एमएलएन मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नही है जांच की सुविधाकानपुर में मिला है जीका वायरस प्रयागराज में जारी है एलर्ट गर्भवती महिलाओं के लिए है अधिक खतरनाक बच्चे में हो सकते हैं विकारप्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस समय कोरोना और डेंगू से लड़ाई में उलझा है. ऐसे में जीका कभी भी दस्तक दे सकता है. ऐसे में हमें होशियार रहने की जरूरत है. क्योंकि इस बीमारी की जांच की सुविधा अभी शहर में उपलब्ध नही है. उधर कानपुर में जीका की ंएट्री होने के बाद शहर में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ गया है. इसलिए त्योहार पर होशियार रहने की जरूरत है. संक्रमण कैसा भी हो इस सीजन में आपके लिए खतरनाक हो सकता है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जीका वायरस रोग जीका वायरस के कारण होता है। यह मुख्य रूप से एक संक्रमित मच्छर (एडीज इजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस) के काटने से लोगों में फैलता है। आमतौर पर बीमारी लक्षणों के साथ एक सप्ताह तक चलती है। यह हल्की होती है। बहुत से लोगों में लक्षण नहीं दिखते हैं या सिर्फ हल्के लक्षण दिखते हैं। हालांकि, प्रग्नेंसी के दौरान जीका वायरस इंफेक्शन गंभीर बर्थ डिफेक्ट (जन्म दोष) पैदा कर सकता है। इसे साइंस की भाषा में माइक्रोसेफली कहते हैं। अन्य गंभीर मस्तिष्क दोष भी हो सकते हैं।कैसे फैलता है जीका का संक्रमण


जीका मुख्य रूप से एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। अगर संक्रमित व्यक्ति को मच्छर काटता है तो उसके जरिए दूसरे लोगों को भी संक्रमण हो सकता है। दूसरे अन्य कारणों में यौन संपर्क में आने से भी जीका का संक्रमण हो सकता है। अगर संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आए तो भी संक्रमण के चांस होते हैं। लक्षणजीका वायरस बीमारी के सबसे आम लक्षण बुखार, दाने, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होना और मांसपेशियों में दर्द हैं। इसके लक्षण डेंगू से मिलते हैं और कई बार संक्रमित व्यक्ति में लक्षण नजर नही आते। लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह वायरस काफी खतरनाक हो सकता है।

कैसे होगा जीका से बचावजीका से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने और अपने परिवार को मच्छरों के काटने से बचाएं। इंसेक्ट रेपलेंट का इस्तेमाल करें। पूरी बाजू की शर्ट और फुल पैंट पहनें। अगर खुले में सोते हैं तो मच्छरदानी लगाएं।मरीज आएगा तभी खरीदेंगे किटएमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायलाजी लैब में डेंगू की जांच की जाती है। यहीं पर जीका वायरस की जांच भी होना है। अधिकारयिों का कहना है कि जब तक कोई सस्पेक्टेड केस सामने नही आता है तब तक जांच किट नही खरीदी जा सकती है। फिलहाल अभी जांच के प्रबंध नही हैं। इसकी जांच में भी डेंगू की तरह पांच से छह घंटे लगते हैं। इसमें ब्लड और यूरिन कलेक्ट की जाती है।जारी हुआ है एलर्ट

जिला मलेरिया विभाग कानपुर में जीका के केसेज आने के बाद सतर्क हो गया है। शासन ने भी यूपी में एलर्ट जारी किया है। अधिकारियों का कहना है कि डेंगू की तरह ही जीका वायरस के मरीज पाए जाने पर दवा के छिड़काव की कार्रवाई की जाएगी। हमारी ओर से मच्छर जनित परिस्थतियों से लोगों को होशियार किया जा रहा है। लार्वा पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। मरीज पाए जाने के छह किमी के दायरे में रोकथाम की कार्रवाई होगी। गर्भवती महिलाओं की फीवर की जांच के लिए आशाओं को लगाया जाएगा। जिससे कि गर्भवती महिलओं की जांच कर उन्हें इस वायरस के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। गर्भवती महिला के अगर भ्रूण में वायरस चला गया तो बच्चा में जन्मजात विकार जैसे सिर का छोटा होना आदि सामने आ सकते हैं। साथ ही इसे कान्जेनिटल जीका सिंड्रोम कहा जाता है। इसमें शिशु की जोड़ों की संरचना में समस्या, आंखों में दिक्कत, सुनने में परेशानी आदि समस्या हो सकती है। अभी तक जीका का कोई टीका भी नही बना है।48 हजार से अधिक हैं कोरोना मामलेदूसरी ओर कोरोना लगातार नए रिकार्ड बना रहा है। इस समय भी कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। त्योहार पर बाजार में होने वाली भीड़ से संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है। इस समय जिले में 48586 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं। जल्द ही पचास हजार मामले दर्ज हो जाएंगे। उधर तीसरी लहर की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। ऐसे में त्योहार पर जीका के साथ कोरोना का खतरा भी मंडरा रहा है।लगातार रिकार्ड बना रहा डेंगू
दूसरी ओर डेंगू के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं। बेकाबू हो चुके मामले जिले में 752 के आंकड़े पर पहुंच चुके हैं। अभी भी मरीजों का आना जारी है। बुधवार को 19 नए मामलों ने जिले में दस्तक दी है। इसमें से अधिकतर मामले शहरी एरिया से सामने आए हैं। अगर मच्छरों पर काबू नही किया गया तो जीका और डेंगू दोनों हाहाकार मचा सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मौसम ठंडा हो जाने के बावजूद डेंगू काबू में नही आ रहा है।ऐसे होगा तीनों रोगों से बचावकोरोना- मुंह पर मास्क लगाएं, सैनेटाइजर का यूज करें, उचित दूरी बनाए रखें और समय समय पर साबुन से हाथ धोते रहें।डेंगू और जीका- दिन और शाम के समय पूरे बदन के कपड़े पहनें।- घर के भीतर और आसपास सफाई का ध्यान रखा जाए।- किसी भी खाली बर्तन या जगह पर पानी न एकत्र होने दें।- गर्भवती महिलाओं और बच्चों का रखें ध्यान।- अपने कूलर, पानी की टंकी और पौधे आदि को समय समय पर साफ करें।- जीका वायरस से प्रभावित जगहों पर जाने पर अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें।
एलर्ट जारी हो चुका है। कानपुर से कनेक्टिविटी बेहतर है इसलिए हम लोग तैयार हैं। डेंगू और जीका के लक्षण और बचाव के इंतजाम एक जैसे हैं। लेकिन बावजूद इसके लोगों को होशियार रहना है। घर में मच्छरों की रोकथाम पर ध्यान देना है। अगर कोई जीका संक्रमित आता है तो उससे खतरा हो सकता है।आनंद सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराजहमारे पास किट मौजूद नही है। अगर किट आ जाए तो जीका की जांच यही पर हो जाएगी। जब तक कोई सस्पेक्टेड मरीज नही आता है तब तक हम किट नही खरीद सकते हैं। जीका की जांच में चार से पांच घंटे का समय लगता है।डॉ। मोनिका, एचओडी, माइक्रोबायलाजी लैब एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive