देखरेख के अभाव में सीमेंटेड ब्रेकर यात्रियों को आर्थिक के साथ शारीरिक चोट दे रहे हैं. यह वही सीमेंटेड ब्रेकर हैं जो शहर के चौराहों पर बनाए गए हैं. सिटी के कई चौराहों पर इस ब्रेकर के प्लास्टर उधड़ गए हैं. प्लास्टर के उधड़ जाने से बिछाई गई सरिया बाहर आ गई है. बाहर निकली हुई इस सरिया से गाडिय़ों के टायर पंक्चर हो रहे हैं. पंक्चर बनवाने में गाड़ी मालिकों को विभागीय अनदेखी के चलते रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऊपर से जो वक्त की बर्बादी हो रही वह अलग. चौराहे के इन ब्रेकरों पास सड़कें भी जगह-जगह धंस गई हैं. इससे सड़क और ब्रेकर की ऊंचाई में अंतर आ गया है. इससे ब्रेकर पर गाडिय़ों में लगने वाले झटके से यात्रियों के रीढ़ की हड्डी व मसल्स में पेन उत्पन्न हो रहा है. बावजूद इसके इस ओर विभागीय लोग देखना और ब्रेकर को दुरुस्त कराना मुनासिब नहीं समझ रहे.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। कुंभ के पहले 2019 में शहर की सड़कें तूफानी गति से चौड़ी की गई थीं। रोड किनारे बने कई मकानों के काफी हिस्से को तोड़ा गया था। चौड़ीकरण में भी मकान व वृक्ष आड़े आए उन सभी को ढहा दिया गया। सड़कें चौड़ी हुईं और पीडब्लूडी के द्वारा इन सड़कों का निर्माण कराया गया। इस बीच चौराहों के सौंदर्यीकरण का भी काम युद्ध स्तर पर चलाया गया। यह जिम्मेदारी पीडीए को सौंपी गई थी। चौराहों पर हर तरफ डिवाइडर और सीमेंटेड ब्रेकर बना दिए गए। इस ब्रेकर को बनाने वक्त सरिया बिछाई गई। ताकि गाडिय़ों के वजह से ब्रेकर डैमेज नहीं हो। शासन से अकूत पैसा भेजा गया था, लिहाजा प्रशासन व कार्यदायी संस्थाएं ब्रेकर बनाने में भी पूरी कला का प्रदर्शन कीं। इस नए माडल के ब्रेकर को बनाकर सरकार व पब्लिक को कुछ नया दिखाने की कोशिश की गई। यहां तक तो सब कुछ ठीक था। कुंभ भी आराम से बीत गया। इसके बाद स्थानीय यात्रियों को अब जो परेशानी हो रही उस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा। ज्यादातर चौराहों के यह सीमेंटेड ब्रेकर डैमेज होने से डेंजर हो गए हैं।

यहां ब्रेकर की स्थिति है ज्यादा खराब
तेलियरगंज चौराहा पेट्रोल पम्प के सामने, एमएनआईटी चौराहा
लोकसेवा आयोग चौराहा, पत्रिका चौराहा, अलोपीबाग पुल के नीचे चौराहे पर बनाए गए यह सीमेंटेड ब्रेकर जर्जर हो गए हैं।
प्लास्टर उखड़ जाने से सरिया तक बाहर आ गई। यह चौराहे तो महज एक उदाहरण हैं।
शहर के अंदर ऐसे कई चौराहों जिन पर यह ब्रेकर हर रोज हजारों यात्रियों के लिए मुसीबत की वजह बन गए हैं।
बाहर निकली सरिया से लोगों की गाडिय़ों के टायर पंक्चर हो रहे हैं।
डैमेज ब्रेकर पर गाडिय़ों के चढ़ते ही लगने वाले झटके से तमाम गाड़ी सवारों की कमर व रीढ़ की हड्डियों एवं मसल्स तक में दर्द भी हो रहे हैं।
रोज-रोज के इस झटके से मिल रहे दर्द के इलाज में पब्लिक को हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

चौराहों पर डैमेज ब्रेकर की समस्या वाकई परेशान करने वाली है। इसस गाडिय़ों में लगने वाले झटके से बॉडी में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। लगातार ऐसे चौराहों से गुजरते रहने पर आदमी कमर व रीढ़ की हड्डी का रोगी बन सकता है। शहर के जितने भी चौराहे पर डैमेज ब्रेकर हैं उन्हें दुरुस्त किया जाना चाहिए।
डॉ। आरके अग्रवाल बैरहना

शहर में कई चौराहों के सीमेंटेड ब्रेकर की दशा जर्जर है। जिम्मेदार पीडब्लूडी हो या पीडीए, इस जर्जर चौराहों के ब्रेकर को अविलंब दुरुस्त करना चाहिए। मेंटिनेंस के जिम्मेदार विभाग को पब्लिक की इस समस्या पर गंभीरता देखना चाहिए। जर्जर ब्रेकर हो या सड़कें, गाडिय़ों में लगने वाले झटके से शरीर में दर्द का होना स्वाभाविक है।
डॉ। अशोक त्रिपाठी राजापुर

चौराहों पर सीमेंटेड ब्रेकर वह भी इतने ऊंचे होने ही नहीं चाहिए थे। ब्रेकर का एक टॉप मानक है। जिसे एक दो अंगुल ऊंचा गिट्टी और डामर से नाली नुमा बनाया जाता था। इससे ब्रेकर जल्दी डैमेज भी नहीं होते थे और गाडिय़ों में बैठे यात्रियों को झटका भी नहीं लगता था। ब्रेकर बनाने में यह नया प्रयोग करना ही यात्रियों के लिए सिर दर्द बन गया है।
सुनील सिंह धूमनगंज

इतना तो आम आदमी को भी मालूम है कि तारकोल से बनाई गई सड़क के बीच सीमेंटेड काम नहीं करने चाहिए। क्योंकि सीमेंटेड एरिया को तारकोल अच्छी तरह से पकड़ नहीं पाता। यह बात खुद इंजीनियर भी जानते और समझते हैं। बावजूद कुछ नया करके वाहवाही लूटने के लिए बीच रोड चौराहे पर सीमेंटेड ब्रेकर बना दिए गए।
अजय प्रताप शिवकुटी

Posted By: Inextlive