बेली चौराहे से फाफामऊ के बीच बन रहा है सिक्सलेन पुल...फ्लैग पहाड़ का पानी रोक देगा विकास!.
प्रयागराज (ब्यूरो)।शहर के कछार एरिया में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पहाड़ी एरिया सहित दिल्ली, हरियाणा में ताबड़तोड़ बारिश होने से गंगा-यमुना में भी उफान देखने को मिल रहा है। अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो जल्द ही महाकुंभ से जुड़े निर्माण कार्यों पर भी प्रभाव पडऩे लगेगा। सबसे पहले मलाक हरहर से फाफामऊ के बीच बन रहे सिक्सलेन पुल का काम प्रभावित होने जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि आधा मीटर और गंगा का जलस्तर बढ़ा तो हमें निर्माण कार्य में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
पहले रुकेगा सुपर स्ट्रक्चर का काम
गंगा तेजी से खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं। गुरुवार की शाम तक नदी का जलस्तर 78.80 मीटर पहुंच चुका था। ऐसे में मलाक हरहर से फाफामऊ के बीच चंद्रशेखर आजाद सेतु के समानांतर बन रहे सिक्सलेन पुल का काम जल्द प्रभावित हो सकता है। इस पुल के बगल बन रहे सुपर स्ट्रक्चर का काम महज आधा मीटर जलस्तर बढऩे पर रुक जाएगा। अगर दो मीटर जलस्तर बढ़ा तो पचास फीसदी काम प्रभावित होगा। अधिकारियों का कहना है कि गंगा नदी में तीन मीटर और उफान आया तो पुल के निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोकना पड़ जाएगा।
अक्टूबर में शुरू कर देने का टारगेट
9 किमी से अधिक लंबे सिक्स लेन पुल का काम अक्टूबर 2023 तक पूरा होना था। बाढ़ के चलते दो से तीन महीने तक काम प्रभावित हो गया तो निर्धारित समय में काम पूरा हो पाना बेहद मुश्किल होगा। उधर, नदियों लगातार जलस्तर बढऩे से गंगा के कछारी इलाकों में लोग दहशत में आ गए हैं। बक्शीखुर्द में नागवासुकी मंदिर से दशाश्वमेघ घाट, शंकरघाट के बीच गंगा का पानी काफी नजदीक आ चुका है। निषाद बस्ती में पांच हजार लोग रहते हैं, जो अभी से सामान समेटने में लग गए हैं। पार्षद अनुपमा पांडेय का कहना है कि दो से तीन दिन में पानी के बस्ती तक पहुंचने की उम्मीद है। इसी तरह बघाड़ा और सलोरी एरिया में भी पचास हजार लोग बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। यहां पर भी पानी तेजी से मकानों की ओर बढ़ रहा है। पूर्व पार्षद नितिन यादव ने बताया कि इस साल पानी जुलाई माह में ही रफ्तार के साथ बढ़ रहा है जो चिंता का विषय बना हुआ है। यह सभी पुनर्वास केंद्रों के सहारे बाढ़ का सामना करने की तैयारी में जुट गए हैं।
बोट क्लब पर रोकी गयी तैराकी
यमुना का जलस्तर बढ़ जाने से बोट क्लब में तैराकी और बोटिंग को रोक दिया गया है। गऊघाट और बलुआघाट की सीढिय़ों पर भी पानी तेजी से चढऩे से बस्तियों के लोग में बाढ़ का डर समाने लगा है। गुरुवार शाम तक गंगा नदी के बढऩे की रफ्तार दो सेमी प्रति घंटा था, जबकि यमुना का जलस्तर चार घंटे में सात सेमी बढ़ा था। देखा जाए तो गंगा महज छह मीटर खतरे के निशान से दूर रह गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली की बाढ़ की वजह से यमुना में उफान बना हुआ है तो हिमाचल का पानी गंगा में तेजी से पहुंच रहा है। अभी कुछ दिनों तक यह क्रम चलता रहेगा। जब तक बांधों से छोड़े गए पानी पर रोक नही लगेगी। मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराता रहेगा।
गंगा- 78.88 मीटर
यमुना- 77.50 मीटर
खतरे का निशान- 84.73 मीटर सिक्सलेन पुल पर सुपर स्ट्रक्चर बनाने का काम चल रहा है। पानी आधा मीटर दूरी पर है। यह आगे आया तो यह काम प्रभावित होगा। दो से तीन मीटर और जलस्तर बढ़ा तो हमे पुल का काम फिलहाल बंद करना होगा। पानी वापस लौटने के बाद पुन: काम शुरू किया जा सकेगा।
नुसरतउल्ला खान
प्रोजेक्ट हेड, एनएचएआई