बालसन से एकलव्य चौराहे तक के सफर में सिग्नल पर छह मिनट धूप में रुकने को लोग मजबूरसिग्नल के वक्त लेफ्ट साइड नहीं छोड़ते लोग हर रोज झेलनी पड़ रही है समस्या

प्रयागराज ब्यूरो । शहर में चौराहों के बीच की कम दूरी और हर जगह लगे रेड सिग्नल पर रुकने की मजबूरी धूप में यात्रियों की परेशानी का सबब बन गई है। शहर के अंदर कई ऐसी मुख्य सड़कें हैं जिस पर बने चौराहों के बीच का डिस्टेंस बमुश्किल पांच सौ मीटर से भी कम है। हर चौराहे के सिग्नल पर यदि एक-एक मिनट भी यात्री रुक रहे तो पांच मिनट होते हैं। करीब दो किलो मीटर के बीच पांच मिनट सिग्नल पर धूप में खड़े यात्री आग सी बरस रही धूप में झुलस जा रहे हैं। तेज धूप और गर्मी व धूप के बीच इन चौराहों के सिग्नल पर रुकना यात्रियों की सेहत के लिए भी खतरा बन गया है। इतना ही नहीं सिग्नल के वक्त लेफ्ट साइड पर रास्ता नहीं मिलने से वाहन सवारों को फजीहत झेलनी पड़ रही है। हालात और मौसम को एवं खतरे को देखते हुए गर्मी व तेज धूप होने तक रेड सिग्नल की टाइमिंग को लोग घटाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं।

दो किमी के बीच छह चौराहे
लोगों की मानें तो शहर के बालसन चौराहे से धोबी घाट के आगे एकलव्य चौराहे के बीच की दूरी करीब दो किलो मीटर है। इस दो किलोमीटर के बीच छह चौराहे हैं जिस पर रेड सिग्नल की व्यवस्था संचालित हैं। हर सिग्नल की टाइमिंग कम से कम 90 से 100 सेकंड की बताई जाती है। लोगों का कहना है कि मानें तो पहला सिग्नल बालसन चौराहे पर ही पड़ता है। वहां से निकलते ही इंडियन प्रेस फिर हिन्दू हास्टल चौराहे पर रेड सिग्नल है। हिन्दू हास्टल से आगे बढऩे पर लोक सेवा आयोग फिर धोबी घाट और चंद कदम आगे बढ़ते ही एकलव्य चौराहे का सिग्नल आ जाता है। हर सिग्नल पर कम से कम एक मिनट भी यदि यात्री रुक रहे तो कुल छह चौराहे हैं और छह मिनट होते हैं। मतलब यह कि इस दो किलो मीटर का सफर आग सी बरस रही धूप में तय करने के लिए पांच मिनट तक लोगों को धूप में खड़े रहना पड़ रहा है।

रेड लाइट पर रुकना मजबूरी
इसी तरह फाफामऊ साइड से आते वक्त पडऩे वाले तेलियरगंज और ट्रैफिक चौराहे के बीच सिग्नल की दूरी करीब कई किलो मीटर का डिस्टेंस है। ट्रैफिक चौराहे से फिर चौराहों और उन पर लगे सिग्नल की दूरी आधा मिलो मीटर से भी कम है। ट्रैफिक से करीब पांच सौ मीटर आगे बढऩे पर म्योहाल और चंद कदम की दूरी पिर लोक सेवा आयोग चौराहे पर सिग्नल सिग्नल है। यदि म्योहाल सिग्नल से हाईकोर्ट जाना है तो थोड़ी दूरी पर धोबी घाट इससे आगे चंद कदम की दूरी पर एकलव्य फिर थोड़ा आगे डक घर के पास चौराहे पर सिग्नल पड़ता है। तीखी धूप में हर इन हर चौराहों पर भी रेड लाइट पर रुकना मजबूरी है। स्थिति को देखते हुए लोगों का कहना है कि अफसरों को चाहिए कि जब तक धूप तेज हो रही है रेड इन चौराहों के रेड सिग्नल की टाइमिंग को घटना देना चाहिए।


जिस तरह से तेज धूप हो रही है उसमें यदि ज्यादा देर तक रहा जाय तो कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इतना ही नहीं, यदि पानी कम पी रहे तो पेट में जल, अपच और गैस के साथ यूरिन में भी जल जैसी स्थिति उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। बचने के लिए लोगों को चाहिए कि वे धूप में कम से कम निकलें।
डॉ। एके अग्रवाल, बैरहना


कार से सफर करने वालों को बहुत परेशानी चौराहों पर रेड सिग्नल पर इस धूप से नहीं है। उन्हें लेफ्ट साइड से गुजरने पर है क्योंकि रास्ता जाम होने के चलते आगे नहीं निकल सकते। हर चौराहे पर सिग्नल लगे हैं। एक चौराहे पर यदि एक मिनट भी धूप में सिग्नल के चलते कोई रुक रहा तो और चार चौराहे पड़े तो चार मिनट रुकने पड़ रहे हैं। लोगों की समस्या व चौराहों की दूरी को देखते हुए रेड सिग्नल की टाइमिंग
घटाना बहुत जरूरी है।
डॉ। पवन पचौरी, प्रो। कुल भास्कर डिग्री कॉलेज

सिटी के चौराहों पर रेड लाइट की व्यवस्था अच्छी बात है। मगर उसकी टाइमिंग स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए चेंज भी किया जाना चाहिए। चौराहे एक दूसरे से इतने नजदीक हैं कि डेढ़ से दो किलो मीटर के बीच चार से पांच सिग्नल मिल जाते हैं। इस तरह इस दो किमी की दूरी को तय करने में कम से कम पांच मिनट तो लोगों को रुकना ही पड़ रहा है। सिग्नल ग्रीन होने तक यात्री खास कर बाइक सवार धूप से परेशान होते रहते हैं।
आशुतोष मिश्र, बिजनेस मैन


ज्यादातर अधिवक्ता बाइक से ही हाईकोर्ट व कचहरी के लिए आते और जाते हैं। बालसन चौराहे से यदि एकलव्य चौराहे तक की ही बात करें तो कम से कम पांच रेड लाइट पड़ती है। केवल इतना ही सफर तय करने में कम से कम पांच मिनट तक चौराहों पर आग सी धूप में रुकना पड़ता है। व्यवस्था पब्लिक की सहूलियत के लिए होनी चाहिए न कि समस्या के लिए।
पंकज अग्रहरि, अधिवक्ता जिला कचहरी

Posted By: Inextlive