यहां गंभीर मरीज हो जाते हैं रेफर
प्रयागराज (ब्यूरो)। ठंड के मौसम में हार्ट के केसेज बढ़ जाते हैं। रोजाना दर्जनों नए मामले दस्तक देते हैं। इनमें से 25 फीसदी केस सर्जरी से रिलेटेड होते हैं। जिनमें या तो वाल्व लीक कर जाता है या फिर बाईपास होना जरूरी होती है। लेकिन हार्ट सर्जरी के मामलों को यहां हैंडल नहीं किया जाता है। प्राइवेट अस्पतालों में इस इलाज के लिए 4 से 5 लाख रुपए तक आसानी से खर्च हो जाता है।
एंजियोग्राफी में बना रहे हैं रिकार्डएमएलएन मेडिकल कॉलेज की ओर से यहां तीन डॉक्टर्स को नियुक्त किया गया है। यह सभी एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करने में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। इनमें से कोई डॉक्टर सर्जरी में हाथ नही आजमाना चाहता है। इनके पास संसाधनों की कमी का रोना है। कहते हैं कि सर्जरी के लिए हमारे पास बैकअप स्पेशलिस्ट नही हैं।
एक की बची तो दूसरे ने गंवाई जान
प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले 50 साल के देवेंद्र मिश्रा एसआरएन के कार्डियोलाजी विभाग में इलाज कराने के गए थे। जांच में पता चला कि उनका वाल्व लीक कर गया है। यहां इलाज नहीं हो सकेगा। ऐसे में घर वाले उन्हें आनन फानन में लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए। जहां उनकी जान बच सकी। दूसरा केस बेनीगंज के अनिल तिवारी का है। उनका वाल्व लीक होने पर डॉक्टर्स उसे प्रॉपरली ऑपरेट नही कर पाए और उनकी जान चली गई।
वर्तमान में कार्डियोलाजी विभाग का 34 बेड का वार्ड पूरी तरह से फुल है। रीजन का एकमात्र रेफरल अस्पताल होने की वजह से यहां आसपास के जिलों के भी मरीज आते हैं, कई बार बेड नही मिलने पर मरीजों को इंतजार तक करना पड़ता है। इतना ही नही, एंजियोग्राफी कराने वाले मरीजों को जांच में आधा पैसा खुद लगाना पड़ता है। साथ ही एंजियोप्लास्टी के लिए स्टेंंट भी खरीदकर देना पड़ता है। हमारे पास सर्जरी के डॉक्टर नही हैं। इसकी वजह से सर्जरी केस हैंडल नही हो पाते हैं। शासन से मांग की गई है। एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी हम कर रहे हैं। रोजाना तीन से चार केस कर लिए जाते हैं।
डॉ। पीयूष सक्सेना, एचओडी, कार्डियोलाजी विभाग एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज