संगीत के स्वर लहरियों से गूंजा सीनेट हाल
सीनेट हॉल में संगीत के साधको ने प्रस्तुत किया सात सुरों की सुरीली छटा
prayagraj@inext.co.inPRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का सीनेट हाल सोमवार को एक बार फिर से स्वर लहरियों से गूंज उठा। मौका था इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संगीत एवं प्रदर्शन कला डिपार्टमेंट एवं पद्म भूषण पंडित सामता प्रसाद ट्रस्ट आफ तबला के संयुक्त तत्वाधान में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का। जिसका विषय था 'संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में रस एवं सौदर्य' कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले दीप प्रज्वलन तथा मां सरस्वती एवं पंडित समता प्रसाद व पंडित कुमार लाल मिश्र की प्रतिमा पर कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव, संकायाध्यक्ष शोध एवं विकास प्रोफेसर एस। आई। रिजवी, कुलसचिव एन के शुक्ला, संयोजिका डॉ। रेनू जौहरी, राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय, ग्वालियर की भूतपूर्व कुलपति प्रो। स्वतंत्र शर्मा द्वारा माल्यार्पण किया गया। इसके बाद डॉ.विशाल जैन के निर्देशन में स्टूडेंट्स ने सधे अंदाज में सरस्वती वंदना और यूनिवर्सिटी के कुलगीत की प्रस्तुति दी। दूसरी प्रस्तुति पंडित सामता प्रसाद ट्रस्ट ऑफ तबला के कुलगीत की हुई। जिसका संयोजन एवं निर्देशन डॉ। रेनू जौहरी ने किया।
रस और सौदर्य से परिपूर्ण था सामता प्रसाद का तबला वादनसंगोष्ठी के दौरान कार्यक्रम संयोजिका डॉ। रेनू जौहरी ने कहा कि पद्म भूषण पं। सामता प्रसाद जी का तबला अत्यधिक रस एवं सौंदर्य से परिपूर्ण था। साउंड क्वालिटी, साउंड प्रोडक्शन, साउंड बैलेंसिंग जैसे ध्वनि रसपूर्ण शब्दावलियों का प्रचलन महाराज जी के सत्यम शिवम सुंदरम तबला वादन के संदर्भ में ही प्रचलित हुई। आखिर में एचओडी प्रो। प्रेम कुमार मलिक ने धन्यवाद प्रस्तुत किया। द्वितीय सत्र में प्रो। मुकेश गर्ग ने रस और सौदर्य पर व्याख्यान दिया।
विज्ञान के स्टूडेंट्स भी सीखें संगीत इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति ने संगीत विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी रासा एस्थेटिक्स इन म्युजिक ऑफ अदर फाइन आर्ट का शुभारम्भ किया। नयी शिक्षा नीति में विशेषकर संगीत को स्थान दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि विज्ञान के स्टूडेंट्स भी संगीत सीखें। संगीत से मानसिक तनाव दूर होता है। उन्होंने बौद्धिक क्षमता के विषय में बताया कि संगीत की भी बौद्धिक क्षमता होती है। संगीत की अपनी एक आभा होती है।