प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले होमियोपैथी डॉक्टर्स पर लगाम कसने जा रही है. अब वह बिना ड्रग लाइसेंस मरीजों को केवल प्रिस्क्रिप्शन लिख सकेंगे. दवा बेच नहीं सकेंगे. बिना परमिशन के ऐसा किया तो उनको लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में शासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है क्योंकि बिना ड्रग लाइसेंस दवा बेचने से मरीजों को बिल रिइम्बर्समेंट कराने में दिक्कतें पेश आने लगी हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रयागराज में बड़ी संख्या में होमियोपैथी डॉक्टर्स न केवल मरीज को देखते है बल्कि अपनी क्लीनिक से ही उनको दवा भी बनवाकर दे देते हैं। मरीज के मांगने पर उनको डॉक्टर बिल व बाउचर थमा देते हैं। जब मरीज इसी बिल के रिइम्बर्समेंट के लिए जाता है तो उसे लौटा दिया जाता है। क्योंकि बिना ड्रग लाइसेंस दवा बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। अब डॉक्टर्स वैध लाइसेंस नही होने पर केवल मरीज को प्रिस्क्रिप्शन ही लिख सकेंगे।

नही कराते हैं डीएचओ रजिस्ट्रेशन
जिस प्रकार एलोपैथी डॉक्टर्स अपना सीएमओ रजिस्ट्रेशन कराते हैं उसी प्रकार होमियोपैथी प्रेक्टिशनर्स को अपना डीएचओ रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
लेकिन प्रयागराज में ऐसा नही हा रहा है। पिछले साल महज दो सौ डॉक्टर्स ने अपनी क्लीनिक का डीएचओ रजिस्ट्रेशन कराया था।
इसमें से महज 60 ने इस साल लाइसेंस रिन्यूवल कराया है जो शर्मनाक स्थिति है।
बता दें कि जिले में सैकड़ों की संख्या में होमियोपैथी क्लीनिक संचालित हो रही हैं।
शासन की ओर से 20 अक्टूबर से पहले डीएचओ रजिस्ट्रेशन कराने की टाइम लाइन दी गई है।

लिया जाएगा एफिडेविट
अधिकारी बताते हैं कि एलोपैथी की तरह होमियोपैथी चिकित्सा में भी ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट लागू है।
इसमें भी दवाओं की खरीद और बिक्री के लिए ड्रग लाइसेंस बनाया जाता है।
बहुत से डॉक्टर्स इस लाइसेंस को बनवाना जरूरी नही समझते हैं।
ऐसे में जो डॉक्टर्स को डीएचओ रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
इस दौरान उनसे एक एफिडेविट भरवाया जा रहा है जिसमें उन्हें बिना ड्रग लाइसेंस दवा नही बेचने की शपथ लेनी पड़ेगी।

कोरोना में खूब चली प्रेक्टिस
आयुर्वेद की तरह कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में होमियोपैथी डॉक्टर्स ने भी खूब शाबाशी बटोरी है। कई गंभीर कोरोना मरीजों को होमियोपैथी दवाओं के जरिए ठीक किया गया है। तमाम होमियोपैथी डॉक्टस्र की क्लीनिक पर मरीजों की जबरदस्त भीड़ देखी जा सकती है। ऐसे में शासन ने भी अब नियमों के पालन कराने की कवायद शुरू कर दी है।

क्लीनिक में सस्ती होती हैं दवाएं
कुछ होमियोपैथी डॉक्टर्स का कहना है कि मेडिकल स्टोर के मुकाबले क्लीनिक में मरीजों को सस्ती दवाएं मिलती हैं। ब्रांडेड कंपनियों की होमियोपैथी दवाओं के रेट कई गुना होते हैं। मरीज उनको एफोर्ड नही कर पाएंगे। शहर के कई होमियोपैथी डाक्टर्स अपनी फीस नही लेते हैं। वह केवल दवाओं का पैसा लेते हैं। ऐसे में अगर उनके पास ड्रग लाइसेंस नही होने पर कड़ाई से नियम का पालन कराया गया तो उनके भुखमरी की नौबत आ सकती है।

जिन्होंने अपने अस्पताल या क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन नही कराया है वह 20 अक्टूबर से पहले डीएचओ कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। साथ ही जो डॉक्टर्स नियमानुसार वैध लाइसेंस के बिना दवा की बिक्री करते पाए जाएंगे उनके खिलाफ ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाएगी। पंजीकरण रद करने के लिए होमियोपैथिक मेडिसिन बोर्ड उप्र को सूचित किया जाएगा।
डॉ। संजीव वर्मा
डीएचओ प्रयागराज

Posted By: Inextlive