सावन झरी लागी रे धीरे-धीरे
प्रयागराज (ब्यूरो)। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रिया सिंह के निर्देशन में प्रस्तुत भावपूर्ण युगल नृत्य गणेश वंदना से हुई, तत्पश्चात सुप्रिया सिंह एवं साथी कलाकारों ने उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध डेढिय़ा नृत्य प्रस्तुत करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। गणेश वंदना में अनुश्री दुबे व वंदना श्री तथा डेढिय़ा नृत्य में रंगोली तिवारी, प्राची यादव आदि शामिल रही। लोकगीत के क्रम में सावन मास में गाए जाने वाली कजरी बरसो बरसो रे सवनवा मोर सजनवा अइले ना तथा सावन झरी लागी रे धीरे-धीरे को प्रियंका चौहान ने अपनी सुमधुर आवाज में प्रस्तुत किया। इसके बाद रंजना त्रिपाठी ने विंध्याचल धाम गंगा तिरवा की देवी विंध्यवासिनी के डेरवा तथा नकटा मैं जालिम चोर बजनी बिछिया लाई सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
ज्योति आनंद ने रिमझिम पड़त फुहार गगन री घेरी बदरिया सावन, कीर्ति चौधरी ने झूला गीत मोरे गउवां के माटी सुनार लागे को सुमधुर आवाजों में प्रस्तुत कर के लोकरंग बहार की पहली शाम को गायिकाओं एवं नृत्यांगनाओ ने यादगार बना दिया। रागिनी चंद्रा ने पानी बरसे पिया संग में लियाय चल छतवा लगाए चल ना सुनाकर वातावरण को रसमय बना दिया। इस तरह के आयोजन जरूरी
बतौर अतिथिगण आकाशवाणी और दूरदर्शन के निदेशक लोकेश कुमार शुक्ल, वरिष्ठ लोकनाट्यविद अतुल यदुवंशी, प्रधानाचार्य रानी रेवती देवी बांके बिहारी पांडे, वरिष्ठ चित्रकार एवं पत्रकार अजामिल ब्यास, कल्पना सहाय ने कहा कि आज के दौर की बदलती मान्यताओं को अगर इस प्रकार के आयोजनों से जोड़ा जाए तो निश्चित ही अपने गौरव की साख को सदियों तक कायम रख सकेंगे, संस्था के कोषाध्यक्ष एवं आयोजन व्यवस्थापक पंकज गौड़ ने दो दिवसीय कार्यक्रम का विवरण प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महासचिव गायक मनोज गुप्ता तथा संचालन प्रख्यात कवि शैलेश गौतम ने किया।