इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पत्र लिख कर शिकायत की कुछ समझ में नहीं आ रहा है

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना हैं की कोर्स को पूरा करने के चक्कर में उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सत्र को नियमित कराने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रों को हो रहे नुकसान की तरफ ध्यान ही नहीं दे रही है। स्थिति यह है कि छह महीने का कोर्स सिर्फ तीन महीने के भीतर कम्प्लीट कर दिया गया। छात्र कहते रह गये कि उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

भविष्य के साथ खिलवाड़
सोमवार को रिपोर्टर पड़ताल करने के लिए छात्रोंके बीच पहुंचा था। छात्रों का कहना था कि कोविड काल में यूनिवर्सिटी को बंद रखना पड़ा था। तब उन्हें प्रमोट भी किया गया था और कोर्स भी कम कर दिया गया था। इस स्थिति से यूनिवर्सिटी करीब दो साल पहले वापस लौट आयी है लेकिन सत्र पटरी पर नहीं आ सका है। इसे अब आनन फानन में पटरी पर लाने की कोशिश हो रही है। छात्रों ने बताया की उनका सेमेस्टर ऑफिशियल तौर पर पिछले साल 10 अक्टूबर को शुरू हो पाया था। इसके बाद पहले दशहरा और फिर दिवाली पर लम्बा अवकाश रखा गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी में विंटर वेकेशन हुआ और 10 जनवरी 2024 से इंड सेमेस्टर के एग्जाम का शेडयूल जारी कर दिया गया है। कहा कि हमें तो समझ में ही नहीं आ रहा है तैयारी कैसे करें। कुछ छात्रों ने बताया कि उन्होंने अपने प्रोफेसरों से पत्र लिख कर शिकायत भी की उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इस पर प्रोफेसरों ने सत्र का हवाला देते हुए कहा की सत्र को पटरी पर लाना है इस वजह से कोर्स को जल्दी से पूरा किया जा रहा है।

6 महीने का कोर्स 3 महीने में पूरा
छात्रों का कहना है की यूनिवर्सिटी गाइड लाइन के अनुसार साल में 180 दिन क्लास चलनी अनिवार्य है। हम सेमेस्टर सिस्टम में हैं तो कम से कम 90 दिन क्लास चलनी चाहिए। मगर यहां तो पूरे सेमेस्टर के लिए ही पूरे तीन महीने नहीं मि पाये हैं। तीन महीने में तो करीब एक महीने अवकाश में ही निकल गये हैं। छात्रों ने बताया की उनका तीसरा और चौथा सेमेस्टर तो मात्र एक महीने में ही खत्म कर दिया गया था। छात्रों के अनुसार सारी छुट्टियां मिला कर के लगभग 46 दिन ही वर्किंग डेज रहा। इसी बीच में उनके मिड सेम से प्रैक्टिकल और इंड सेमेस्टर के एग्जाम करा लिये गये। जिस वजह से उन्हें कुछ भी समझ में न आया। इतने कम समय में ही उनकी परीक्षा से लेकर सारे प्रैक्टिकल भी करा लिया गये है। इसी में उनके प्रोजेक्ट वर्क को भी सबमिट करा लिया गया। इसके माक्र्स भी उनके रिजल्ट में जोड़े जाएंगे।

इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेशानुसार कुछ कोर्स कम भी किया गया लेकिन जो भी कोर्स है उसकी तैयारी में समय चाहिए था, वह तो हमें मिला ही नहीं। इतने कम समय में सारे विषयों को समझना मुश्किल था। इसके लिए छात्रों ने केवल उतना ही पढ़ा जितने सिलेबस में वो पास हो जाए। क्लासेज तो रट कर पास हो गए मगर आगे किसी भी कम्पटीशन में बैठने पर सफल होने की संभावना कम ही है।

लम्बी छुट्टियों का विवरण
दशहरा 23 से 27 अक्टूबर
दीपावली 11 से 15 नवंबर
विंटर वेकेशन 21 दिसंबर से 1 जनवरी

इतने कम समय में सारे कोर्स को तैयार करते हुए परीक्षा तैयारी कर पाना कठिन काम था। पूरे सिलेबस से 40 प्रतिशत कम कर दिया गया। जिस वजह से कोर्स को पढने में थोड़ी आसानी हो गई।
आशुतोष पांडे, छात्र एयू

पहला सेमेस्टर अक्टूबर में शुरू हुआ और दिसंबर में ही इंड सेमेस्टर के एग्जाम करा लिए गये। जिस वजह से विषय की जानकारी कम होने के साथ मानसिक तनाव को भी झेलना पड़ा।
शशीकांत गुप्ता, छात्र एयू

इतनी जल्दी-जल्दी एग्जाम होने के चलते पढ़ाई का समय बहुत कम मिला। जिस वजह से हमें विषय की केवल संक्षिप्त जानकारी हो पाई।
अमित सिंह, छात्र एयू

पढाई से ज्यादा परीक्षाएं कराई जाती है। जिस वजह से आधा सेमेस्टर तो परीक्षाओं में जाता है। जो समय बचा वो प्रायोगिक परीक्षा होते इंड समेस्टर आ जाता है।
ऋषी सिंह, छात्र एयू

Posted By: Inextlive