- आई नेक्स्ट के पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कैंप में उमड़ी भीड़

- ब्रीदोमीटर टेस्ट के जरिए जानी अपने फेफड़ों की ताकत

- पैसिव स्मोकिंग से परेशान हैं महिलाएं, वर्क प्लेस पर लोगों को नहीं है सेंस

ALLAHABAD: बदली लाइफ स्टाइल और बढ़े वर्क लोड ने टेंशन काफी बढ़ा दी है। नतीजा नशे की लत गई। सिगरेट और तंबाकू टेंशन दूर भगाने का जरिया बन गया। अब दिनभर में कई सिगरेट पी लेते हैं। कभी-कभार तंबाकू भी चबा लेते हैं। लेकिन, कभी सोचा नहीं कि इससे हमारे फेफड़ों का क्या हाल होगा। जब हकीकत सामने आई तो माथे पर बल पड़ गए। आई नेक्स्ट द्वारा व‌र्ल्ड नो टुबैको डे के मौके पर आयोजित पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कैंप में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। जहां, ब्रीदोमीटर टेस्ट के दौरान तंबाकू के लत के शिकार लोगों के फेफड़े कमजोर नजर आए। इनमें से कई ने तो आगे से स्मोकिंग नहीं करने का निर्णय ले लिया।

70 फीसदी ने बयां की हकीकत

आई नेक्स्ट की ओर से शुक्रवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कैंप आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। इस दौरान ख्भ् से फ्0 फीसदी पुरुषों में सांस की दिक्कत पाई गई। काफी ताकत लगाने के बावजूद ब्रीदोमीटर इनका साथ देने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में काउंसलिंग के दौरान 70 फीसदी लोगों ने माना कि वह किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से किसी ने वर्क प्रेशर तो किसी ने शौकिया तौर पर स्मोकिंग का कारण बताया।

महिलाओं की आदत में शुमार हुई तंबाकू

तंबाकू का सेवन करने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। ब्रीदोमीटर टेस्ट के दौरान क्0 से क्भ् फीसदी महिलाओं के फेफड़े कमजोर पाए गए। इनमें से फ्0 फीसदी महिलाएं तंबाकू की लत की शिकार थीं। सर्वाधिक को तंबाकू चबाने की आदत थी। बाकी महिलाओं को किसी न किसी एलर्जी की वजह से सांस की प्रॉब्लम थी। मॉर्निग में कंपनीबाग में हुए कैंप के दौरान नौ फीसदी बच्चों में सांस की दिक्कत थी। इसका मेन कारण एलर्जी ही रहा।

पैसिव स्मोकिंग से परेशान हैं लोग

जांच के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी मिले, जिनको सांस की प्रॉब्लम थी लेकिन वह तंबाकू का सेवन नहीं करते। उन्होंने माना कि वह पैसिव स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं। ट्रेवलिंग, ऑफिस वर्क और पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग करने वालों से उन्हें दिक्कत होती है। खासतौर से महिलाएं और बच्चे इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। ना चाहकर भी उन्हें सिगरेट के धुएं की चपेट में आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि स्मोकिंग करने वालों को दूसरों का ख्याल भी रखना चाहिए।

सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए लोग

आई नेक्स्ट के इस इनीशिएटिव में फॉर्मास्युटिकल कंपनी ल्यूपिन और स्ट्रेची रोड स्थित रेस्परेटरी केयर सेंटर के डॉ। आशुतोष गुप्ता का विशेष सहयोग रहा। इनकी मदद से मॉर्निग में कंपनी बाग, सिविल लाइंस स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बेली हॉस्पिटल में फिजीशियन डॉॅ ओपी त्रिपाठी की ओपीडी और रेस्परेटरी केयर सेंटर में कैंप लगाया गया। जहां सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शामिल होकर अपना चेकअप कराया। इनमें पुरुष, महिलाओं समेत बच्चे भी शामिल रहे। यूनियन बैंक के मैनेजर एमपी राय, रतनलाल चड्ढा, दिनेश कुमार, सुब्रतो सेन, नीरज चड्ढा, सौरभ सिंह, मनमोहन और ल्यूपिन से एरिया मैनेजर अभिजीत नाग, अर्जुन गोयनका, ओपी पांडेय, प्रशांत मिश्रा, गणेश गुप्ता इस मुहिम में साथ रहे।

अनजान बने रहते हैं लोग

कैंप के दौरान देखने में आया कि लोग सांस की प्रॉब्लम को लेकर अनजान थे। ब्रीदोमीटर में हकीकत सामने आने के बाद उनकी आंखें खुली रह गई। डॉ। आशुतोष गुप्ता ने बताया कि बहुत से लोग स्मोकिंग करते हैं लेकिन फेफड़े की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। उनके फेफड़े कमजोर होने लगते हैं और एक समय ऐसा आता है जब वह अस्थमा या सीओपीडी की चपेट में आ जाते हैं। लोगों को समय-समय पर अपने फेफड़े की जांच जरूर कराना चाहिए।

सात से आठ फीसदी को चाहिए इलाज

जांच में पाया गया कि सात से आठ फीसदी लोगों की सांस की प्रॉब्लम बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इन्हें डॉक्टरों ने प्रॉपर इलाज की सलाह दी। अधिक देर करने में यह गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। काउंसलिंग के दौरान डॉक्टरों ने इन लोगों को तंबाकू छोड़ने की सलाह दी। उन्हें तंबाकू से होने वाले खतरे के बारे में आगाह भी किया।

व्यायाम और टहलना है लाभदायक

सांस की प्रॉब्लम से दूर रहने के लिए तंबाकू छोड़ना तो जरूरी है ही। साथ ही लोगों को व्यायाम और टहलने पर भी जोर देना चाहिए। कंपनीबाग में अर्ली मॉर्निग लगाए गए कैंप में कई लोगों की ब्रीदोमीटर पर परफॉर्मेस काफी अच्छी रही। इन लोगों ने बताया कि वह रोजाना सुबह आधे से एक घंटे बाग में टहलते जरूर हैं। इससे उनकी फिटनेस बनी रहती है। डॉ। ओपी त्रिपाठी ने बताया कि व्यायाम और टहलने से फेफड़े मजबूत होते हैं।

फैक्ट फाइल

ब्रीदोमीटर टेस्ट में फेल हुए पुरुष- ख्भ् से फ्0 फीसदी

तंबाकू के शिकार लोग- 70 फीसदी

ब्रीदोमीटर टेस्ट में फेल हुई महिलाएं-क्भ् फीसदी

तंबाकू की शिकार महिलाएं- फ्0 फीसदी

फेफड़े की बीमारी के शिकार- सात से आठ फीसदी

स्मोकिंग करने वालों की कॉमन एज- ख्0 से फ्भ् साल

बच्चों में सांस की दिक्कत-नौ फीसदी

ऐसे छोड़े तंबाकू

- दिन में एक या दो सिगरेट पीना भी हानिकारक है। इसका धुआं फेफड़ों में उत्तेजना पैदा कर हवा की नलियों को सिकोड़ देता है। अधिक बलगम बनने से नलियों में रुकावट पैदा होती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

- अपने हाथों की उंगलियों को बिजी रखिए। उंगलियों के बीच में सिगरेट की जगह पेंसिल या पेन पकडि़ए।

- च्युइंगम चबाइए। ताजा फल व सब्जियां खाएं। पानी खूब पीजिए।

- ऐसी चीजों से दूर रहिए जो तंबाकू की लत को बढ़ावा देती हैं।

- डॉक्टर की सलाह पर निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी ले सकते हैं।

इन जगहों पर लगा कैंप

- कंपनी बाग

- स्थित रेस्पेरेटरी केयर सेंटर,स्ट्रेची रोड

- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया,सिविल लाइंस

- बेली हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive