लोकतंत्र के महापर्व पर उन लोगों के जज्बे को सलाम जिन्होंने न उम्र की सीमा को गौर किया और दिव्यांगता की लाचारी को हावी होने दिया. सबको दरकिनार करते हुए वह रविवार को सीधे पोलिंग बूथ पहुंचे और अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उनको देखकर जवानों ने भी दांतों तले उंगली दबा ली. जब उनसे पूछा गया तो एक स्वर में कहा कि हमारे एक वोट की कीमत हमें पता है. इसे हम बर्बाद नही होने दे सकते.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अतरसुईया की रहने वाली 80 साल की जनकला तिवारी रविवार को खत्री पाठशाला में वोट देने पहुंची थीं। उनके साथ कोई नही था और वह बिना किसी सहारे के कांप रही थी। रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि अम्मा अकेले हो का। तो बोली हां बेटा। रिपोर्टर ने उनसे कहा कि इस उमर में काहे वोट देने आई हो तो बोली कि हमारा वोट बहुत कीमती है। चुनाव में वोट देना बहुत जरूरी है।पैरालाइज है लेकिन वोट जरूर देंगेशहर दक्षिणी विधानसभा के शिवचरण लाल कन्हैया लाल इंटर कॉलेज में वोट देने पहुंचे श्रीगोपालजी ठीक से चल भी नही पा रहे थे। उनके बेटे ने किसी तरह उन्हें कुर्सी पर बिठाया। पूछने पर उन्होंने बताया कि वोट देना जरूरी है। अब तो मुझे भी याद नही कि कितने चुनाव में वोट दे चुका हूं। बेटे ने कहा कि पैरालाइज हैं लेेकिन फिर भी वोट देने आए हैं।


सरकार का सवाल है, वोट तो देना ही होगा

कल्याणी देवी एरिया की रहने वाली गायत्री पाठक भी वोट देने पहुंची थीं। वह छड़ी के सहारे धीरे धीरे चल रही थीं। साथ में परिजन भी थे। दो कदम चलने के बाद वह बेंच पर बैठकर हाफने लगीं। पूछने पर कहा कि यह प्रदेश की सरकार का सवाल है। आज वोट नही देंगे तो अयोग्य लोग शासन में आ जाएंगे। उन्होंने कहाकि सभी को वोट देना चाहिए। कटघर की रहने वाली विनीता केसरवानी दिल्ली से सीधे वोट डालने अपने कटघर स्थित पोलिंग बूथ पहुंची। उन्होंने बताया कि बीमारी की वजह से वह दिल्ल मेदांता में भर्ती थीं। शनिवार को डॉक्टर्स ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। रविवार सुबह फ्लाइट से प्रयागराज आई हैं और इसके बाद वह घर नही गईं। सबसे पहले बूथ पर आकर उन्होंने वोट दिया है। जमुना क्रिश्चियन कॉलेज में बने पोलिंग सेंटर पर महावीर गली की रहने वाली ऊषा देवी व्हील चेयर पर वोट देने पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि वह हर चुनाव में वोट देती हैं। चलने फिरने में भले ही दिक्कत हो लेकिन किसी न किसी तरह से वह पोलिंग बूथ पर पहुंच जाती हैं। वोट दिलवाने में परिजन उनका साथ देते हैं।हर एक वोट जरूरी होता है

बहादुरगंज के केपी जायसवाल इंटर कॉलेज में व्हील चेयर पर गुलाम वारिस भी वोट देने आए थे। उनके पिता उनको वोट दिलाने लाए थे। उन्होंने बताया कि गुलाम चल फिर नही पाते हैं। फिर भी हर चुनाव में घर वालों के साथ आकर वोट जरूर डालते हैं। किसी भी चुनाव में वह बिना वोट दिए नही रहते हैं।
कोरे साबित हुए सरकारी दावे! बताया जा रहा था कि इस बार 80 साल से अधिक बुजुर्ग और दिव्यांगों के वोट बैलेट पोस्टल के जरिए डाले जाएंगे। लेकिन तकरीबन एक दर्जन बुजुर्ग और दिव्यांगों से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे घर पर कोई भी नही आया था। किसी ने बैलेट पोस्टल से वोट डलवाने का आप्शन नहीं दिया। अगर ऐसा होता तो इसका लाभ भी लिया जा सकता था।

Posted By: Inextlive