94 परसेंट लोगों का मीटर मिला ओके मात्र तीन परसेंट ही मीटर में पकड़ में आया फास्ट व अन्य खराबीचेक मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ता को जमा करना होता है मिनिमम चार्ज 'इसमें तेरा घाटा मेरा कुछ नहीं जाता हैÓ. यह लाइन बिजली विभाग पर बिल्कुल सटीक बैठती है. उपभोक्ताओं की परेशानी व कंफ्यूजन के चलते बिजली विभाग मालामाल हो रहा है. जी हां बीते कुछ सालों से स्मार्ट मीटर के फास्ट चलने को लेकर तमाम उपभोक्ताओं के मन में कंफ्यूजन पैदा हो रखा है. इसे दूर करने के लिए विभाग ने चेक मीटर का सिस्टम बना रखा है. चेक मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ता को विभाग द्वारा एक मिनिमम चार्ज देना होता है. इस मिनिमम चार्ज के जरिए विभाग बीते डेढ साल में पांच हजार से अधिक उपभोक्ताओं से 9 लाख 21 हजार रुपए की कमाई कर चुका है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। मीटर फास्ट चलने की शिकायत को लेकर बिजली विभाग ने चेक मीटर लगवाकर कंफ्यूजन दूर करने का काम कर रही है। वहीं चेक मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ताओं से 175 रुपये फीस वसूला जाता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के हाथ लगे चेक मीटर के डाटा अनुसार बीते डेढ साल के अंतराल में 5366 उपभोक्ताओं ने चेक मीटर के लिए अप्लाई किया। जिसमें से 97 परसेंट लोगों का मीटर ओके मिला। मात्र तीन परसेंट यानी कि 103 के करीब ही ऐसे उपभोक्ता रहे। जिनके मीटर में फास्ट व अन्य खराबी सामने आई। इस चेक मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ता से 175 रुपये फीस जमा कराया गया। वहीं 5263 उपभोक्ता ऐसे मिले। जिनका मीटर ओके था। इन उपभोक्ताओं से विभाग को 921025 लाख रुपये की कमाई हो चुकी है।

हर तरफ से विभाग को फायदा
बकाए बिजली बिल के कारण कनेक्शन न कटे, इसलिए कई बार बैंक में धनराशि न होने के बावजूद उपभोक्ता चेक काटकर बिजली विभाग को दे देते है। विभाग जब इन चेक को बैंक लगाता है तो पर्याप्त बैलेंस न होने के कारण यह बाउंस हो जाते है। चेक बाउंस होने पर खाते से करीब पांच सौ रुपये (हर बैंकों का अलग-अलग चार्ज होता है) काट लेता है। वहीं चेक बाउंस होने पर विभाग की ओर से भी उपभोक्ता पर बकाए बिल पर दो प्रतिशत का जुर्माना वसूला जाता है। इस जुर्माने से बीते साल भर में बिजली विभाग ने 40 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई है।

Posted By: Inextlive