कछार में नदी, शहर में बारिश बनी मुसीबत
- शहर में ही दो हजार से अधिक लोग शरणार्थी बने
- रविवार शाम बारिश से दर्जन भर इलाकों में जलभराव - स्लूज गेट को बंद किए जाने से सड़कों पर ठहरा बारिश का पानी प्रयागराज- कछार के लोग दोहरी मुसीबत से घिर गए हैं। एक तो बारिश का पानी तो दूसरे उफनाई नदियां। दरअसल नदियों के खतरे के निशान पार कर जाने के चलते चारों स्लूज गेट बंद कर दिए गए हैं। इसके चलते शहर के अंदर का पानी बाहर नहीं जा पा रहा है। इसके लिए पंप लगाए गए हैं। वहीं रविवार शाम झमाझम बारिश होने से यह पानी निचले इलाकों में जाकर भर गया। ऐसे में यह लोग एक ओर नदी तो दूसरी ओर बारिश के जलभराव से परेशान हो गए। घुटनों तक भर गया पानीदारागंज, सलोरी, ओम गायत्री नगर, करेली, बघाड़ा आदि इलाकों में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया है। ऐसे में यहां से लोग पलायन कर आश्रय स्थलों में जा रहे हैं। इसी बीच रही सही गनीमत तब पूरी हो गई जब रविवार शाम जोरदार बारिश हुई। इसके बाद सड़कों से लेकर गलियों तक जलभराव हो गया और इन इलाकों में लोगों का निकलना दूभर हो गया। इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना था कि हम पंप के जरिए पानी को बाहर फेक रहे हैं। स्लूज गेट बंद होने से यह पानी सीधे शहर से बाहर नही निकल पाएगा।
खतरे के निशान से पार हुई गंगा उधर,रविवार शाम गंगा का जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है। जलस्तर बढ़ने के साथ ही गंगा के तटवर्ती इलाकों में हालात गंभीर हो गए हैं.वहीं यमुना नदी भी बढ़ रही हैं। हालांकि अभी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से थोड़ा नीचे है। प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ, जल पुलिस और पीएसी को तैनात किया है। इससे पहले 22 सितंबर 2019 को गंगा-यमुना का जलस्तर 85.78 मीटर तक पहुंच गया था। क्यों बढ़ रहा जलस्तर तीन अगस्त को राजस्थान के धौलपुर बैराज से छोड़ा गया 18 लाख क्यूसेक पानी चंबल होते हुए यमुना में जैसे ही आना शुरू हुआ संगम नगरी में बाढ़ की स्थिति बनने लगी। अनुमान के अनुरूप रविवार की रात आठ बजे गंगा का पानी फाफामऊ घाट पर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा था। यहां खतरे का बिंदु 84.73 मीटर है।उधर,मध्य प्रदेश से होते हुए जिले के मेजा में गंगा में मिलने वाली टोंस नदी भी उफनाई हुईं हैं। कई गांवों और शहर के दर्जन भर मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिला मुख्यालय में ही 554 परिवारों के 2574 लोगों ने 13 शिविरों में शरण ली है। जिला प्रशासन की ओर से कुल 110 राहत शिविर खोले गए हैं।
कम पड़ गए भोजन पैकेटबाढ़ पीडि़तों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में भीड़ बढ़ने से दिक्कतें पैदा होने लगी हैं। म्योर रोड स्थित ऋषिकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बाढ़ शिविर में रविवार दोपहर तक 600 लोग पहुंचे थे लेकिन लंच पैकेट 300 भेजे गए। बिजली का कनेक्शन भी गायब हो जाने से लोग गर्मी और मच्छर से परेशान नजर आए। अमीन आनंद सोनकर ने बताया कि दोपहर एक बजे तक 102 परिवारों के छह सौ लोग शिविर में पहुंचे थे। जितने लेागों की जानकारी भेजी गई उतना भोजन पैकेट ही आया है। बाकी की व्यवस्था कुछ देर बाद की गई है। कैंट हाई स्कूल, सदर बाजार बाढ़ राहत शिविर में 552 लोग दोपहर डेढ़ बजे तक पहुंचे थे। राजापुर में भीड़ बढ़ने पर प्रशासन को अलग से इंतजाम करने पड़ रहे हैं। कैंट हाई स्कूल में निरीक्षण करने पहुंचे डीएम संजय कुमार खत्री कर्मचारियों को चेतावनी देकर वापस लौट गए। डीएम ने नाव से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि हमारी ओर से एनडीआरएफ, जल पुलिस और पीएसी को लगाया गया है।