कई अन्य मंत्रियों व भाजपा नेताओं के विरुद्ध 156 3 दाखिल की गई थी अर्जीरिवीजन के समय साक्ष्यों व तथ्यों के अभाव में कोर्ट ने रिवीजन कर दिया खारिज

प्रयागराज (ब्यूरो)।प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री सहित दस भाजपा नेताओं के खिलाफ दाखिल रिजीवन कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बुधवार को रिवीजन पर हुई सुनवाई के दौरान वादी द्वारा लगाए गए आरोपों का साक्ष्य पेश नहीं किया जा सका। वादी राकेश नाथ पांडेय के आरोप थे कि विपक्षीगण सार्वजनिक पद पर रहते हुए सार्वजनिक धन का प्रयोग चुनाव प्रचार व पार्टी विशेष के व्यक्तिगत कार्य में किए गए है। सुनवाई के लिए अदालत के जरिए दोनों पक्षों को सुना गया। सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदार मृत्युंजय त्रिपाठी द्वारा आरोपों का विरोध किया गया। उन्होंने कहा कहा कि वादी द्वारा दायर किए गए रिवीजन तथ्य व साक्ष्य से परे हैं। पत्रावलियों के अवलोकन व साक्ष्यों के अभाव में एडीजे 17- निर्भय प्रकाश ने रिवीजन को खारिज कर दिया।

इन नेताओं पर थे गंभीर आरोप
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के मुताबिक राकेश नाथ पांडेय बनाम सरकार थाना कर्नलगंज ने 156 (3) के तहत जिला जज संतोष राय की अदालत दाखिल किया था। जिला जज के द्वारा मामले की सुनवाई के लिए एडीजे-17 के यहां फाइल भेज दी गई थी। रिवीजन में उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री भारत सरकार नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री भारत सरकार राजनाथ सिंह, उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश बृजेश पाठक, मुख्यमंत्री महाराष्ट्र एकनाथ सिंदे, महासचिव विश्व हिन्दू परिषद विनायक राव देशमुख, निवर्तमान मुख्यमंत्री कर्नाटक बसाव राज, गृहमंत्री भारत सरकार अमित शाह व अन्य भारतीय जनता पार्टी के नेतागण जो भारतीय पद पर आसीन हैं, को पार्टी बनाया गया था। वादी के आरोप थे कि सार्वजनिक पद आसीन होते हुए सार्वजनिक धन का पार्टी विशेष के व्यक्तिगत कार्य में प्रयोग करते हुए चुनाव प्रचार पर खर्च किया गया। रिवीजन में वादी के इस कथन पर कोर्ट में सुनवाई हुई। बताते हैं कि एडीजीसी द्वारा इस रिवीजन के एडमिशन का जबरदस्त विरोध किया गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह मामले का कोई साक्ष्य नहीं है। सारे कथन मनगढंत व तथ्यहीन हैं। इसी के आधार पर एडमिशन स्टेज पर ही साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने रिवीजन को खारिज कर दिया।

मामले में पैरवी का जिम्मा एडीजीसी मृत्युंजय त्रिपाठी को सौंपा गया था। चूंकि प्रकरण गंभीर प्रकृति का था इस लिए मेरे द्वारा भी फाइल की मानीटरिंग की जा रही थी। एडमिशन के स्टेज पर ही दिए गए तर्कों के आधार पर रिवीजन कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

Posted By: Inextlive