किसी भी संस्थान और देश की पहचान उस देश के शिक्षण संस्थानों में कराए जाने वाले शोध पर निर्भर होती है. विश्व में कोई ऐसा देश नहीं होगा जहां पर इस देश और इस विश्वविद्यालय के लोग न हों. यूनिवर्सिटी का नाम रौशन न कर रहे हों. शोध का प्रथम उद्देश्य समाज कल्याण की बात करना है. सामाजिक परिस्थितिकी का संतुलन बनाने के लिए बेहतर नवाचारों को स्वरूप देना आज की जरूरत है. ये बातें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने शुक्रवार को भूगोल एवं मनोविज्ञान विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त प्री डॉक्टोरल कोर्स के समापन पर आयोजित प्रोग्राम में कहीं.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। उन्होंने कहा कि शोध केवल एक देश की बात नहीं करता। यह पूरे विश्व समाज के कल्याण की बात करता है। इसलिए शोध और अनुसंधान में ईमानदारी लगन और जागरूकता और आसपास के परिवेश में किस प्रकार की आवश्यकता की पहचान जरूरी है। समस्या की पहचान करना और उसके निदान के लिए तकनीक विकसित करना ही शोध का मकसद होना चाहिए। कला संकाय अध्यक्ष कौशल कौशल किशोर श्रीवास्तव का स्वागत किया गया और भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एआर सिद्दीकी ने वीसी का स्वागत किया गया। उन्होंने कोविड काल के दौरान वीसी की तरफ से किये गये प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में 10 नए कोर्सेज का प्रस्ताव एमएचआरडी को भेज चुकी हैं। आने वाले दिनों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में फिर से शुमार हो जाएगा। धन्यवाद डॉक्टर अनुपम पांडे जी ज्ञापित किया। मनोविज्ञान प्रोफेसर कोहली ने प्री पीएचडी कोर्स के बारे में बताया। भूगोल विभाग के प्रोफेसर अनुपम पांडे के अलावा मनोविज्ञान विभाग के डॉ शांति सुमन और डॉ रितु मोदी के साथ-साथ 28 शोध छात्र उपस्थित थे। इन सभी को प्रमाण पत्र दिया गया। जिसमें 17 छात्र भूगोल और 11 मनोविज्ञान विभाग के थे।

Posted By: Inextlive