मकान बेचकर चुकाया लोन, खुद के बच्चे को कैसे पढ़ाएं
प्रयागराज (ब्यूरो)। शूआट्स में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ मिलाकर के पूरे 1400 ऐसे कर्मचारी हैं जिनका वेतन शूआट्स प्रशासन के द्वारा नहीं दिया गया है। जिस वजह उन्हें घर खर्च चलाने मे समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें 1083 टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ बाकि बचे सिक्योरिटी गार्ड हैं। जिनका वेतन सोसायटी के द्वारा दिया जाता है। छात्र जब फीस जमा करते है तब जाकर के इन कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से फीस तो जमा करा लिया है। लेकिन, वेतन नहीं दिया। कर्मचारियों ने बताया की शूआट्स मे यदि सारे विषयों की एक सेमेस्टर की फीस जोड़ी जाए तो लगभग सौ करोड़ रूपए होगी। जिसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से आन टाइम वसूल कर लिया है। इसके बाद भी शूआट्स प्रशासन कर्मचारियों का वेतन नहीं दे रहा है।
कैसे चलाएं घर
यूनिवर्सिटी प्रशासन के द्वारा पिछले 11 महीनों से टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का तो वहीं तीन महीनों से सिक्योरिटी गार्डों का वेतन नहीं दिया गया है। जिस वजह से उनकों अपने घर का खर्च चलाने मे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वेतन बहाली के लिए जिलाधिकारी तक को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इसके बाद भी अभी तक वेतन बहाली के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है। प्रोफेसरों का कहना है की जब तक उनका वेतन नहीं दिया जाएगा तब तक वे इसी तरह से धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। प्रोफेसर्र ही नहीं रहेंगे तो छात्र कहा से आएंगे।
घर बेच कर चुका रहे हैं कर्ज
प्रोफेसर अजय कुमार सिंह का कहना है की वेतन न मिलने की वजह से बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पा रहे है। जिस वजह से बच्चों का नाम कटा कर के दूसरे स्कूल मे लिखाना पड़ रहा है। सैलरी पर लोन लिया था कई महीनों तक सैलरी आने का वेट किया। जिससे लोन की किश्त बढती चली गई। लोन का प्रेशर का दिमाग पर पडऩे लगा जिस वजह से घर में रोज रोज कलह होने लगी। इसी के चलते मकान बेच कर के लोन भरना पड़ा। मकान बिकने की पूरी जिम्मेदारी शूआट्स प्रशासन की है। अगर समय से वेतन मिल जाता तो मकान बेचने की नौबत न आती।
घर खर्च चलाना हो गया मुश्किल
डॉ रीना मेहता का कहना है की पिछले 15 वर्षों से शूआट्स में अध्यापन का कार्य कर रही हैं। 11 महीने से वेतन न मिलने की वजह से घर का खर्च चला पाना मुश्किल हो गया है। कार लोन, होम लोन इन सब की ईएमआई भरना कठिन हो गया है। वेतन न मिलने की वजह सारा काम रूका हुआ है। यह इनके लिए किसी मानसिक प्रताडऩा से कम नहीं है। जब तक वेतन नहीं मिलेगा तब ऐसे ही धरना प्रदर्शन करते रहेंगे।
वेतन न मिलने के चलते लैब असिस्टेंट मून डेविड कर आत्मदाह का प्रयास कर चुके हैं। मून डेविड का कहना है की यूनिवर्सिटी प्रशासन के द्वारा धरना प्रदर्शन बंद करने के लिए बार बार उन पर दबाव बनाया जा रहा है। मून डेविड ने बताया की तीन दिन पहले लैब असिस्टेंट दिलीप रॉय की पैसे की तंगी के चलते मौत हो गई। इनका कहना है की वेतन न मिलने की वजह से इलाज ठीक ढंग से नहीं हो पाया। परीक्षा समय पर हो पाना मुश्किल
8 जनवरी से शूआट्स में परीक्षा मे होनी है। प्रोफेसर्र ने अपने इरादे पहले साफ कर दिये हैं जब तक वेतन नहीं मिलेगा तब तक अध्ययन अध्यापन का कार्य ठप रहेगा। मगर अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने वेतन बहाल करने के मूड मे दिख नहीं रहा है। जिस वजह से परीक्षा समय पर करा पाना मुश्किल है।