उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली में किया गया संशोधनकई मानक में राहत मिलने से वाहन मालिक खुश लेकिन छात्रों के अभिभावकों ने जताई नाराजगीस्कूली वाहन स्वामियों के लिए राहत भरी खबर है. उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली 1998 में हुए 28वें संशोधन में स्कूली वाहनों के लिए तमाम महत्वपूर्ण अनिवार्यता का खत्म कर दिया गया है. नए संशोधन में जो अनिवार्यता खत्म की गई हैं उन्हें अब राज्य सरकार अपने स्तर से लागू करने का निर्णय लेगी. इस संशोधन में सबसे पहले स्कूली बसों और वैन से जाने वाले बच्चों के अभिभावक अब वाहन में बच्चे की मौजूदगी की सटीक जानकारी नहीं हासिल कर पाएंगे क्योंकि स्कूली वाहनों में सीसी कैमरा और ट्रैकिंग डिवाइस की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. बगैर सीसी कैमरे के भी स्कूल प्रबंधन अपने वाहन संचालित कर सकेंगे. जहां कई मानक में राहत मिलने से वाहन मालिक खुश है तो वहीं छात्रों के अभिभावकों ने नाराजगी जताई है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। एयर फोर्स स्कूल बमरौली के स्कूल वाहन स्वामी कलीम इसे सुकून की तब्दीली बताते हैं। उनका कहना है कि
निर्धारित मानकों में बदलाव से स्कूली वाहन चालकों पर लगातार बना रहने वाला अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा। ग्लोरियस स्कूल वाहन मालिक अभिषेक जायसवाल कहते हैं की यह बदलाव पूरी तरह व्यवहारिक हैं। क्योंकि ज्यादातर वाहन मालिकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह इन डिवाइस और सीसीटीवी कैमरे के खर्चे को पूरा कर सकें।

सीट बेल्ट भी नहीं
इसी तरह अब प्रत्येक सीट पर सीट बेल्ट की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। स्कूली वाहन का चालक ही सीट बेल्ट पहनेगा। सर्कुलर में स्कूली वाहन में अगर छात्राएं है तो परिचालक महिला होगी। बस में एक अध्यापक भी यात्रा कर सकेगा।


दो किलोग्राम अग्निशमन यंत्र
स्कूली वाहन अब फस्र्ट एड बाक्स के साथ ही पहले पांच किलोग्राम वजन के अग्निशमन यंत्र की अनिवार्यता थी। इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के स्कूली वाहन चाहे वह डीजल चलित हों या सीएनजी उनकी उम्र बढ़ा कर 15 वर्ष कर दी गई है। वैन में अब पर्दे नहीं लगेंगे। यह संशोधन भी छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करेंगे।

अभी कुछ दिनों पहले इंदौर में एक स्कूली बस के ड्राइवर ने तेज रफ्तार के चक्कर में लड़ा दिया था जिसमें मौके पर ही 8 बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसे की जांच में पाया गया था कि उस बस का ट्रैकिंग डिवाइस और सीट बेल्ट प्रॉपर नहीं था जिसकी वजह से इतनी बड़ी वारदात सामने आई।
- अभिषेक चौहान - अभिभावक


आए दिनों स्कूल बसों के ड्राइवर तेज रफ्तार की वजह से दुर्घटनाएं कर देते हैं।
ट्रैकिंग डिवाइस लगने से ड्राइवर के मन में भी डर बना रहता था। वैसे भी स्कूलों में जो वाहन लगे हुए हैं उनमें आधे से अधिक किस स्थिति में है यह किसी से छुपा नहीं है। ऊपर से पूरा ही समाप्त कर दिया गया।
वर्जन - पंकज सिंह, अभिभावक

सरकार को बच्चों की जान माल की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए ना कि उस खुली वाहन मालिकों को थोड़ी सी राहत देकर छात्रों को भगवान भरोसे छोड़ देने पर। जितना हो सके उतना सुरक्षित बनाना चाहिए। यह मानक में राहत अभिभावकों की टेंशन बढ़ा दी है। सीसी कैमरा तो सुरक्षा के लिहाज से काफी अच्छा था।
अजय प्रताप सिंह, अभिभावक

हर कोई सक्षम नहीं होता है कि इन चीजों को अपने स्कूली वैन या छोटी बसों में लगा सके। ज्यादातर स्कूली गाडिय़ां आसपास एरिया के बच्चों को ले जाने के लिए लगी है। फिलहाल काफी दूरदराज स्कूलों में आने-जाने वाली बसों व वैन में सारे मानक लगभग पूरे हैं।
वर्जन - अरूण अग्रहरी, स्कूल वाहन मालिक

Posted By: Inextlive