मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वीके नारायण ने पीडीए से मांगी रजिस्ट्री की डिटेल के साथ रिपोर्ट

प्रयागराज (ब्यूरो)।

48.66
करोड़ रुपये खर्च किये गये अपार्टमेंट बनाने में
2014
में पीडीए शुरू कराया था काम
2016
तक फ्लैट ओनर्स को हैंडओवर कर देना था
140
फ्लैट विभिन्न श्रेणी के बनाये गये हैं
14
मंजिल का बनाया गया है अपार्टमेंट
21
दिसंबर से 15 जनवरी तक रजिस्ट्री के निर्देश

अलकनंदा अपार्टमेंट में फ्लैट के पजेशन व रजिस्ट्री को लेकर पीडीए से जंग लग रहे लोगों के लिए सात साल बाद एक अच्छी खबर है। इस पूरे प्रकरण को शुक्रवार को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वीके नारायण के द्वारा सुना गया। पीडीए व अलकनंदा अपार्टमेंट संघर्ष समिति पदाधिकारी व फ्लैट बुक कराने वाले तमाम भी मौजूद रहे। दोनों पक्षों के द्वारा अपनी-अपनी बात रखी गई। फ्लैट की रजिस्ट्री को लेकर लोगों की तरफ से कई सवाल पीडीए से किए गए। उनके सवालों के सामने पीडीए की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। अध्यक्ष ने पीडीए अफसरों से कहा कि वह 21 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी कराएं। जनवरी में अगली डेट पर वे रजिस्ट्री सहित केस से सम्बंधित अन्य फाइलों को लेकर उपस्थित हों।

दोनों पक्ष रहे मौजूद
सर्किट हाउस में हुई सुनवाई के दौरान पीडीए सचिव व मुख्य अभियंता पीडीए अपने अधिवक्ता के साथ पहुंचे थे। 25 से भी अधिक पैरवी कर रहे फ्लैट बुक करने वाले लोग भी मौजूद रहे। अलकनंदा अपार्टमेंट संघर्ष समिति की ओर से कहा गया कि फ्लैट बुक किए करीब सात सात बीतने वाले हैं। उन्हें फ्लैट तो दूर आज तक पीडीए के द्वारा रजिस्ट्री तक नहीं की गई। मात्र नेहा सिंह के नाम की एक रजिस्ट्री की गई है। लोगों का सवाल था कि जब नेहा सिंह के नाम की रजिस्ट्री पीडीए ने किया तो अन्य को रजिस्ट्री क्यों नहीं की जा रही है? इस सवाल पर पीडीए के अफसर निरुत्तर रहे। इस दौरान अपार्टमेंट की बाउंड्री और पास में एक व्यक्ति के द्वारा जमीन पर किए गए कब्जे का मसला भी रखा गया।

पीडीए पर अब भी शक
रजिस्ट्री का आदेश होने के बाद भी पीडीए से लड़ाई लड़ रहे लोगों में संदेह दिखा। खैर अपार्टमेंट की बाउंड्री को लेकर उठाए गए सवाल पर बिजली विभाग ने कहा है कि पीडीए शिफ्टिंग चार्ज दे तो वे अपना ट्रांसफार्मर अन्यत्र शिफ्ट कर देंगे। पीडीए की ओर से रेरा में किए गए केस को लोगों के द्वारा वापस लिए जाने की बात कही गई। इस पर मुकदमा लड़ रहे लोगों ने कहा कि यदि हम लोग डिफाल्ट होते तो पीडीए 18 प्रतिशत चार्ज वसूल करता। अब जब पीडीए ही डिफाल्ट कर रहा तो रेरा से केस वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।

क्या है अलकनंदा का पूरा विवाद
पीडीए का दावा था कि 2016 तक अपार्टमेंट तैयार करके लोगों को फ्लैट दे दिए जाएंगे।
2016 तक अपार्टमेंट पूरा नहीं किया गया। कार्यदायी संस्था पीडीए पर तो पीडीए कार्यदायी संस्था पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ती रही।
ज्यादातर किराए पर रहने वाले लोग बैंक से लोन लेकर पैसा जमा किए थे।
उनसे पूरा भुगतान लिया जा चुका है। अब वे किश्त का भुगतान करने के बाद भी किराए के मकान में रह रहे हैं

मानवाधिकार अध्यक्ष ने पीडीए को 21 दिसंबर से 15 जनवरी तक रजिस्ट्री करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पीडीए अफसरों से कहा है कि वे अगली डेट पर रजिस्ट्री के डिटेल व दस्तावेज के साथ उपस्थित हों। इस निर्देश पर पीडीए के अधिकारी कितना अमल करते हैं, देखने वाली बात यह है। निर्देश पर अमल नहीं हुआ तो अगली बैठक में यह मुद्दा हम लोगों की तरफ मानवाधिकार के अध्यक्ष के सामने उठाया जाएगा।
आदित्य कुमार सिंह, अध्यक्ष अलकनंदा अपार्टमेंट संघर्ष समिति

Posted By: Inextlive