- आंखों में गए रंग से हुई जलन, केमिकल से हुए बेहाल

- चेहरे की त्वचा पर दिखा रंग का विपरीत असर

होली पर रंगों ने जमकर लोगों को परेशान किया। केमिकल वाले रंगों के आंखों में जाने से लोगों को जबरदस्त जलन का सामना करना पड़ा। आनन फानन में उन्हे हॉस्पिटल भेजा गया। इसी तरह रंगों के रिएक्शन से दर्जनों की त्वचा को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। उन्हें भी डॉक्टरी सलाह की जरूरत पड़ी है। डॉक्टर्स का कहना है कि लापरवाही बरतने से दिक्कतें पैदा हुई है। लोगों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

तेज जलन से हुए बेहाल

खुल्दाबाद के राकेश तिवारी सोमवार को अपने दोस्तों संग होली खेल रहे थे। अचानक किसी ने उनके चेहरे पर गीला रंग डाल दिया। रंग की कुछ बूंदे आंखों में जाने से उन्हें तेज जलन हुई। थोड़ी देर तक उन्होंने आंखों को पानी से धोने की कोशिश की लेकिन आराम नही मिलने पर तत्काल वह एमडीआई हॉस्पिटल पहुंचे। यहां पर डॉक्टर्स ने उनकी आंखों का तत्काल ट्रीटमेंट किया। डॉक्टर्स का कहना था कि रंग में मिले केमिकल की वजह से यह परेशानी हुई है। इसका असर जाने में दो से तीन दिन का समय लग जाएगा।

चेहरे पर हो गए घाव

इसी तरह चौक की रहने वाली कोमल को उसकी सहेलियों ने चेहरे पर रंग लगा दिया। थोड़ी देर बाद उसके चेहरे पर जोर से जलन होने लगी। उसने पानी से चेहरा धोया तो भी राहत नही मिली। साबुन लगाते ही चेहरे पर बड़े बड़े फफोले पड़ गए और तेज दर्द होने लगा। दर्द से तिलमिलाता देख परिवार के लोग उसे नजदीक के निजी हॉस्पिटल में ले गए। वहां पर डॉक्टर ने बताया कि उसे केमिकल से एलर्जी हो गई है। एक सप्ताह में वह ठीक हो जाएगी। लेकिन इस बीच रंगों से दूरी बनाकर रखनी होगी।

दर्जनों की संख्या में मिले मरीज

होली पर रंगों के रिएक्शन के मरीजों की संख्या कम नही रही। दर्जनों की संख्या में मरीज आंख और त्वचा के डॉक्टर्स के पास पहुंचे थे। इनमें से कईयों की हालत गंभीर रही। बाजार में सस्ते और सिंथेटिक कलर्स की भरमार होने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इन रंगों में हानिकारक केमिकल होते हैं जो ह्यूमन बॉडी को जबरदस्त नुकसान पहुंचाते हैं। इनको खरीदने वालों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हर साल दर्जनों की संख्या में मरीज इन रंगों की चपेट में आते हैं।

आंखों में रंग जाने से काफी नुकसान हो सकता है। हॉस्पिटल में जितने मरीज पहुचे थे उनका इलाज चल रहा है। सभी को ट्रीटमेंट उपलब्ध करा दिया गया। कुछ सीरियस थे तो उनको बेहतर इलाज दिया गया है।

डॉ। एसपी सिंह, डायरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल प्रयागराज

त्वचा पर रंगों का रिएक्शन होना आम बात है। कभी कभी इनका असर अधिक हो जाता है। ऐसे में मरीजंों को तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है। लोगों को प्राइमरी ट्रीटमेंट के तरीके भी नही पता हैं।

डॉ। शक्ति बसु, त्वचा रोग विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive