राज और सिया तो सिर्फ बानगी भर हैं. जिले में ऐसे कई मामले हैं जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत लाभान्वित हो रहे हैं. इसके तहत 19 वर्ष तक के बच्चों के जन्मजात गंभीर रोगों का निशुल्क इलाज किया जाता है. मरीज की नियमित स्क्रीनिग पहचान फॉलोअप उपचार और आवश्यकता हुई तो रेफर भी किया जाता है. बच्चों में कुछ रोग बेहद आम होते हैं. दांत ह्रदय और श्वसन संबंधी रोग की पहचान समय पर कर ली जाए तो इलाज संभव है. आंकड़ोंके मुताबिक आरबीएसके की टीम के जरिए अप्रैल से सितंबर तक 16451 बच्चों को चिन्हित किया गया था. जिसमे से 15672 बच्चे स्वस्थ्य हुए हैं .

प्रयागराज ब्यूरो, अमर चंद बिंद के चार वर्षीय बेटेराज बिंद का जन्म से ही होंठ व तालू कटा था। वर्ष में 2018 में आशा व एएनएम ने गृह भ्रमण के दौरान चिन्हित किया था। उस समय राज मात्र आठ माह का था। इसके बाद उसका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत उपचार शुरू हुआ। सर्जरी स्माइल ट्रेन कार्यक्रम के तहत कुछ-कुछ महीनों के अंतराल पर तीन सर्जरी हुई। राज अब सामान्य बच्चों की तरह खापी रहा है।
केस 2- तीन साल की सिया को बचपन से दिल की गंभीर बीमारी थी। मां, बाप जब भी अपनी बच्ची को इस दर्द में देखते तो उनका दर्द और बढ़ जाता था। आरबीएसके की टीम ने सिया को ऑपरेशन के लिए चिन्हित कर प्रक्रिया पूरी कर ली थी लेकिन कम उम्र और कोविड के कारण ऑपरेशनटाल दिया गया। फिलहाल छह वर्षीय सिया अब सफल आपरेशन के बादएक सामान्य जिंदगी जी रही है। सिया के पिता संजय कुमारने बताया कि सिया के इलाज के लिए बहुत दूर तक गए। काफी पैसा भी खर्च हुआ।


घर-घर जाकर होती है जांच
आरबीएसके की नोडल अधिकारी डॉ निशा सोनकर ने बताया कि डब्लूएचओ के अनुसार 1000 में से 6-7 बच्चे जन्म संबंधी विकार से ग्रस्त होते हैं। नवजात में 10 फीसद बच्चों की मृत्यु इस कारण से होती है.सरकारी संस्थानों में प्रसव के बाद जांच का प्रावधान है। इसके लिए सीएचसी, पीएचसी में जन्म उपरांतआरबीएसके टीम परीक्षण करती है। इसके अलावा जन्म के छह सप्ताह तक के बच्चों की आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर जांच करती हैं.छह सप्ताह से छहवर्ष तक के बच्चों के लिए आरबीएसके टीम व स्वास्थ्य टीम आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंच कर जांच करती है। छह वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए यही टीम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में जांच करती है।
इन रोगों से मिलता है छुटकारा
जन्म दोष
1. न्यूरल ट्यूब की खराबी
2. डाउनसिंड्रोम
3. फटा होठ एवं तालू/सिफऱ् फटा तालू
4. मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां)
5. असामान्य आकार का कुल्हा
6. जन्मजात मोतियाबिंद
7. जन्मजात बहरापन
8. जन्मजात हृदयरोग
9. असामयिक दृष्टिपटल विकार (जन्म के समय की खामी नहीं, लेकिन बाद में खुद हो सकता है) कमियां
10. रक्ताल्पता, विशेषकर गंभीर रक्ताल्पता
11. विटामिन ए की कमी (बीटॉट स्पॉट)
12. विटामिन डी की कमी (रिकेट्स)
13. गंभीर तीक्ष्ण कुपोषण
14. घेंघा

बाल्यावस्था की बीमारियां
15. त्वचा की बीमारी (खुजली, फफूदीय संक्रमण एवं एक्जिमा)
16. मध्यकर्णशोथ
17. आमवाती हृदयरोग
18. प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां
19. दंत क्षय
20. ऐंठन विकार

विकासात्मक विलंब एवं अशक्तता
21. दृष्टि क्षीणता
22. श्रवण दुर्बलता
23. न्यूरोमोटर की खराबी
24. मोटर विकास का विलंब
25. ज्ञानबोध का विलंब
26. भाषा विलंब
27. व्यवहारगत विसंगति (स्वलीनता)
28. सीखने का क्रमभंग
29. ध्यान की कमी, अतिक्रियाशील होने का विकार
बहुत से बच्चों को तमाम रोगों से छुटकारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के के तहत मिला है। उन बच्चों का चयन कर उनका निशुल्क इलाज किया जा रहा है।
अंकुश, डीआईसी मैनेजर, आरबीएसके

Posted By: Inextlive