- पब्लिक द्वारा डिजिटल प्लेटफार्म पर दी जाने वाली सूचनाओं को भांपने में हो जाती है देर- विभाग में टेक सेवी पुलिस कर्मियों की हो रही मांग खुद अधिकारी भी हो रहे सोशल मीडिया पर स्ट्रांगसमय बदल रहा है. पब्लिक की सुरक्षा के लिए केवल तेज तर्रार पुलिसकर्मी नही चाहिए. बल्कि अब इसके साथ डिजिटली स्मार्ट पुलिसिंग की डिमांड होने लगी है. खुद महकमा भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. फिर भी बहुत से ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो अभी भी सोशल मीडिया पर खुद को स्थापित नहीं कर सके हैं. ऐसे में पब्लिक को रिस्पांस देर से मिलता है. बता दें कि खुद पुलिस के बड़े अधिकारी भी खुद को डिजिटली स्ट्रांग बनाने में लगे हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस को टेक सेवी होना समय की मांग क्यो हैं। इसके कई उदाहरण हैं। कई घटनाएं या वाकये ऐसे सामने आए हैं जब पुलिस को तकनीकी रूप से मजबूत नही होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। खुद पब्लिक को भी देर से पुलिसिया कार्रवाई का लाभ मिला। ऐसे कुछ मामले आपके सामने हैं-एग्जाम्पल नंबर एक- लोकेशन न मिलने पर भटकते रहेकुछ दिन पहले शहर के ताड़बाग एरिया में जुआ खेलने सूचना पुलिस को मिली। जिसपर 112 डायल गाड़ी को फौरन मौके पर जाने को कहा गया। लोकेशन न मिलने से वह इधर-उधर भटकते रहे। फिर सूचना देने वाले ने पुलिस को लाइव लोकेशन भेजा लेकिन वाहन में बैठे पुलिसकर्मी के डिजिटली स्ट्रांग नही होने से वह गूगल मैप पर लोकेशन ट्रेस नही कर सका। यह जानकारी खुद सीओ ने शेयर की।एग्जाम्पल नंबर दोइग्नोर करने पर ट्रांसफर


पिछले दिनंों नीवा चौकी में तैनात एक दरोगा को टेक सेवी नही होने का खामियाजा भुगतना पड़ा। कई बार अधिकारियों के मैसेज व पब्लिक की सूचना जल्दी न देख पाने पर उनको नाराजगी का सामना करना पड़ा। उनके क्षेत्र की जनता ने कई बार सोशल मीडिया पर भेजी गई सूचना को इग्नोर करने का भी आरोप लगाया। सुधार नही होने पर उन्हें फतेहपुर भेज दिया गया। एग्जाम्पल नंबर तीनदरोगा को मिली फटकार गंगापार एरिया के एक चौकी पर तैनात एक दरोगा को जिले से बाहर रहने वाले एक परिवार ने बेटी के साथ हुये मारपीट का वीडियो भेजा। लेकिन दरोगा व्हाट्सऐप पर भेजे गए वीडियो को नही देख पाए क्योंकि उनका ऐप एक साल से अपडेट नही था। अगले दिन बाद परिवार के लोग शहर पहुंचे तो एसपी से मिलकर बेटी के साथ होने वाले अत्याचार व दरोगा को भेजे गए वीडियो के बारे में जानकारी दी। जिस पर सच्चाई जानने के बाद एसपी को दरोगा को डांट लगानी पड़ी। यहां पर भी मौजूद हैं कमियां

यहां तक कि पुलिस विभाग के अफसरों द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप गु्रप में भी शामिल कुछ दरोगा और इंस्पेक्टर एक्टिव नही हैं। वह अधिकारियों द्वारा भेजे गए मैसेज को कई घंटे तक सीन नही करते हैं। सूत्रों की माने तो आज भी कई थाने व चौकी में ऐसे दरोगा व इंस्पेक्टर है। जो पुलिस विभाग में भर्ती हुये नए टेक्निकल स्मार्ट व डिजिटल एक्टिव सिपाही की मदद के सहारे नौकरी कर रहे हैं। कोई भी गुड वर्क व घटना की डिटेल्स उन्हीं से ग्रुप में डलवा रहे है। इतना ही नही थाने या चौकी में तैनाती से पहले अधिकारी संबंधित पुलिस कर्मी के टेक सेवी होने की जानकारी भी मांग रहे हैं। ताकि वह स्मार्ट वर्क कर सके। खुद को अपगे्रड कर रहे अधिकारीखुद अधिकारी भी अपने आप को समय के साथ बदल रहे हैं। उनके अधीनस्थ डिजिटल प्लेटफार्म पर एक्टिव हो इसके लिए वह ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सऐप पर अपने फालोअर्स की संख्या बढ़ाने में लगे हैं। इस मामले में एडीजी जोन प्रेम प्रकाश सबसे आगे हैं। इनके फालोअर्स की संख्या बाकी अधिकारियों से अधिक है। बाकी पुलिस विभाग के अधिकारी भी इस राहत पर चल रहे हैं।आजकल का जमाना टेक सेवी है। हमे नौकरी करने के साथ खुद को डिजिटल वल्र्ड में भी एक्टिव रखना है। कई सूचनाएं सोशल मीडिया या ग्रुप पर आ जाती हैं। जिनसे कनेक्ट होने के लिए पुलिस कर्मियों को तकनीकी रूप से स्मार्ट होना जरूरी है। उनको इस दिशा में मोटीवेट भी किया जा रहा है।प्रेम प्रकाश, एडीजी जोन

Posted By: Inextlive