गर्व है कि शहर में रहते हैं कारगिल के विजेता
प्रयागराज (ब्यूरो)। आपरेशन युद्ध में शामिल रिटायर्ड फौजी कहते हैं कि कारगिल जम्मू कश्मीर का एक जिला है। इस जिले में सिंधु नदी बहती हो भारत से होकर पाकिस्तान जाती है। यह नदी गगन चुंबी पहाडिय़ां हैं। पहाड़ी पाकिस्तान की तरफ ढलान पर है। जबकि हमारी यानी भारत की ओर खड़ी ऊंचाई पर। यही वजह थी कि दुश्मन देश के जवान ढलान से होकर ऊंची पहाडिय़ों पर आराम से चढ़ जाते थे। पाकिस्तान के हजारों लड़ाके इन्हीं पहाडिय़ों की चोटी पर बैठकर बम गोले बरसा रहे थे। हमारी तरफ पहाड़ी खड़ी थी इस लिए जब हम सब फायर करते थे गोली आसमान में चली जाती थी। फिर भी देश का सपोर्ट और दुआएं के बल पर हम फौजी उन पहाडिय़ों में लड़ाई लड़ते हुए आगे बढ़ते गए। इस जंग में उस वक्त बोफोर्स दुश्मनों को मात देने में देश की बोफोर्स तोप काबिले तारीफ काम आई थी। इसी तोप से पहाड़ पर गोले बरसा कर हम फौजी रास्ता बनाते गए और पहाड़ पर चढ़ते गए। एक वक्त आया जब हम सब पहाडिय़ों को चढ़कर उस टाइगर हिल तक पहुंच गए जहां दुश्मन देश के लड़ाके छिपे बैठे थे। यह देखकर दुश्मन ऊपर से हम पर गोलियां व गोले दागने लगे। इसी टाइगर हिल पर ही देश के ज्यादा जवान शहीद हुए थे। यह देखकर लड़ाई के लिए एयर फोर्स उतारी गई। जवान बताते हैं कि भारतीय एयर फोर्स के जाबांज जवानों ने इतनी बम की बरसात की पूरा टाइगर हिल आग का गोला बन गया। यह देखकर पाकिस्तान के लड़ाके भागने लगे। इसके बाद टाइगर हिल तक पहुंच चुके देश के थल सेना के जवान टाइगर हिल पर पहुंच गए और दुश्मनों को मात देकर वहां विजय का तिरंगा गाड़ दिए। कहते हैं वह जंग याद करके आज भी जेहन में सिहरन और दुश्मन देश के प्रति खून खौल उठता है।
वीर जवान जिन्होंने लड़ी थी यह जंग
कारगिल युद्ध के विजेता रहे 31 पूर्व सैनिक इसी शहर और जिले में रहते हैं। जिन्होंने इस पूरे युद्ध को अपनी आखों से देखा और हाथ एवं हौसले से लड़ा है। वीर सेनानी पूर्व सैनिक कल्याण समिति के संरक्षक फौजी श्यामसुंदर सिंह पटेल बताते हैं कि इनमें पूर्व आनरेरी कैप्टन उदयभान सिंह, अभयराज सिंह, पूर्व एचएफओ रामलखन प्रजापति, सूबेदार मेजर पीएन ओझा, विनोद कुमार मिश्र, सूबेदार श्यामसुंदर सिंह पटेल, आईसी तिवारी, इंद्रभान सिंह, विनोद कुमार सिंह, आनरेरी सूबेदार विनोद कुमार पांडेय, हवलदार सत्यपाल श्रीवास्तव, आईजे राय, एसएन यादव, एससी तिवारी, अशोक कुमार, राकेश कुमार, जीएस पांडेय, अरविंद कुमार तिवारी, शिवभवन सिंह, पूर्व सिग्नल मैन संजय कुमार सिंह, पूर्व सूबेदार मेजर बीएन सिंह, कुकेश मिश्र, पूर्व हवलदार राकेश कुमार तिवारी, पूर्व नायब सूबेदार मसुरियादीन गुप्ता, पूर्व हवलदार सुभाष चंद्र पटेल, पूर्व कैप्टन एचसी सिंह, पूर्व सारजेंद्र रोहित सिंह, पूर्व हवलदार पवन कुमार मिश्र व पूर्व सूबेदार मेजर खादिम अहम, पूर्व हवलदार प्रवीण द्विवेदी व पूर्व सिपाही जय प्रकाश गुप्ता शामिल हैं। बताते हैं इस युद्ध में नायक लालमणि यादव निवासी नैनी शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी संतोषी देवी को वीरता का सम्मान मिला था। इसी तरह फतेहपुर के धाता निवासी हाल पता सुलेमसराय हवलदार कंचन सिंह भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी पत्नी कुसुम देवी को भी सरकार द्वारा वीरता सम्मान से नवाजा गया था।