प्राइवेट ओपीडी खुली, मरीजों को राहत
पहले दिन बंद रही पचास प्रतिशत क्लीनिक, संक्रमण के डर से नहीं बैठे चिकित्सक
डेढ माह बाद शहर के निजी अस्पतालों व नर्सिग होम्स में चहल-पहल नजर आई। प्रशासन के आदेश के बाद शुक्रवार को खुली ओपीडी में गिनी चुनी संख्या में इलाज कराने मरीज पहुंचे। इनमें से अधिकतर गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे और लंबे समय से इलाज नहीं मिलने से परेशान हो रहे थे। संचालकों ने बताया कि अभी स्वास्थ्य सुविधा पटरी में आने में टाइम लगेगा। लंबे समय से अस्पतालों में ओपीडी नहीं चल रही थी जिससे तमाम स्टाफ अवकाश पर चला गया था। ऐसे में सिस्टम दोबारा शुरू करने में थोड़ी मशक्कत करनी होगी। उधर पचास फीसदी क्लीनिक में डॉक्टर पहुंचे तो बाकी जगह सन्नाटा पसरा रहा। अभी तक फोन पर चला इलाजतुलारामबाग के रहने वाले मनीष अग्रवाल को हार्ट की प्राब्लम है। शुक्रवार को वह कर्नलगंज के एक निजी अस्पताल में पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक महीने से फोन पर इलाज चल रहा था। अब जाकर दिखाने का मौका मिला। डॉक्टर ने कुछ जांचें लिखी हैं। बैंक कर्मी निहारिका को किडनी में स्टोन है। उनका आपरेशन होना था कोरोना के चलते अस्पताल की ओपीडी बंद हो गई। शुक्रवार को उन्हें दोबारा डॉक्टर को दिखाने का मौका मिला। डॉक्टर ने उन्हें नेक्स्ट वीक सर्जरी के लिए कहा है। इसी तरह पेशे से टीचर शादाब को भी हार्ट की समस्या है और शुक्रवार को उन्होंने भी लाउदर रोड की एक निजी क्लीनिक में खुद को दिखाया। वह भी डेढ माह से इलाज के लिए तरस रहे थे।
धीरे-धीरे लौट रहे डॉक्टर्स प्रयागराज में इस समय 300 नìसग होम्स हैं और इनमें हजारों डॉक्टर जुडे हुए हैं। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद यह डॉक्टर या तो कॉलिंग पर मरीजों को सलाह दे रहे थे या घर पर थे। कुछ डॉक्टर्स जरूर नìसग होम्स में पूरे एहतियात के साथ मरीज देख रहे थे। अब जबकि कोविड प्रोटोकाल के साथ मरीजों को देखने की परमिशन मिली है ऐसे में डॉक्टर्स धीरे धीरे नìसग होम्स में लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के केसेज कम जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी संक्रमण पूरी तरह से खत्म नही हुआ है। यहां बरकरार है संक्रमण का खतराजिले में एक हजार क्लीनिक हैं जिनमें सिंगल डॉक्टर बैठ रहे हैं। इन एक कमरे की क्लीनिक में रोजाना सौ से डेढ़ सौ मरीज देखे जाते हैं। शुक्रवार को पचास फीसदी क्लीनिक में डॉक्टर जरूर बैठे लेकिन वहां संक्रमण का खतरा साफ नजर आया। खुद को दिखाने पहुंचे मरीजों ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं किया। हालांकि सबसे ज्यादा क्लीनिक ग्रामीण एरिया में संचालित हुई। शहर में कई डॉक्टर्स ने अभी अपनी क्लीनिक सेवाएं चालू नहीं की हैं।
नìसग होम खोल दिए गए हैं। कुछ जगहों पर अभी कोविड के मरीजों को देखा जा रहा है इसलिए वहां सामान्य मरीजों को नहीं देखा जा सकता है। कई अस्पताल ऐसे भी हैं जो कोरोना काल में भी बंद नहीं हुए। डा सुशील सिन्हा अध्यक्ष, नìसग होम एसोसिएशन यूपी सभी जगह कोरोना प्रोटोकाल के साथ मरीजों को देखा जा रहा है। डॉक्टर्स के साथ मरीजों की सेहत का भी ख्याल रखा जा रहा है। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढे़गी। डा एमके मदनानी अध्यक्ष, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन