समय रहते यदि ध्यान नहीं दिया गया तो फाफामऊ पांटून पुल पर किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. क्योंकि रोक के बावजूद इस पांटून पुल से तिपहिया वाहन ही नहीं सवारी लेकर बसें भी आवागमन कर रही हैं. यात्रियों के जान को खतरे में डालकर यह बसें इस पांटून पुल से चल रही हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि इस तरफ पुलिस महकमें के अफसरों की नजर नहीं जा रही है. बनाए गए बैरियर पर पुलिस की ड्यूटी होने के बावजूद बसें पांटून पुल से कैसे चल रहीं? यह एक बड़ा सवाल है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। एक अप्रैल से फाफामऊ पुल के मेंटिनेंस का काम शुरू हुआ है। मेंटिनेंस वर्क के चलते इस पुल से बाइक छोड़कर सभी प्रकार के वाहनों का संचालन रोक दिया गया है। छोटी व हल्की गाडिय़ों के लिए गंगा नदी में दो पांटून पुल बनाए गए हैं। इस पुल से सिर्फ कार वालों को आने की इजाजत है। प्रशासन द्वारा तिपहिया को भी पांटून पुल से आने व जाने की अनुमति नहीं दी गई है।

शेष प्राइवेट से लेकर रोड की बस सहित ट्रक जैसे बड़े वाहनों को थरवई रोड होते हुए शास्त्री ब्रिज से शहर में प्रवेश के आदेश हैं। बावजूद इसके कुछ चालक बसों का संचालन बगैर रोक टोक के पांटून पुल से कर रहे हैं। पांटून पुल से ज्यादातर बसें फाफामऊ की ओर से शहर की तरफ आ रही हैं। वह भी सवारियों को बैठाकर। जबकि पांटून पुल की भार क्षमता महज पांच टन ही होती है।

जानकार बताते हैं कि सवारियों से भरी बस का वेट पांच टन से काफी अधिक होता है। कहा जा रहा है कि पांटून पुल से होकर शहर आ रही बसों पर पुलिस की खास मेहरबानी है। यही वजह है कि बगैर रोक टोक के बसें पांटून पुल से होकर शहर आ रही हैं। बड़ा सवाल यह है कि यदि किसी दिन हादसा हो गया और बस में सवार यात्रियों की मौत हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

Posted By: Inextlive