पीसीएस के लिए की तैयारी, नहीं मिली तो 'वर्दी' की कतार में
कई परीक्षाओं को देने के बाद अब जेल पुलिस भर्ती में अभ्यर्थी आजमा रहे किस्मत
डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन और चेस्ट व लंबाई नाम के लिए लगी रही लंबी कतारPRAYAGRAJ: बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी के लिए कंपटीशन बढ़ गया है। जरूरी नहीं कि पीसीएस मेंस व आरओ एवं एआरओ की परीक्षा दिए हैं तो पास ही हो जाएं। जब तक नौकरी मिल नहीं जाती कुछ कहना मुश्किल है। लिहाजा जो पहले मिल जाय वही सही है। इसी थॉट के साथ सोमवार को सैकड़ों अभ्यर्थी पुलिस लाइंस के बाहर रोड से गेट के अंदर तक कतार में घंटों खड़े रहे। यह सभी जेल पुलिस भर्ती के लिए डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन और चेस्ट एवं लंबाई की जांच कराए आए हुए थे। कतार में खड़े ज्यादातर अभ्यर्थी इसके पहले भी कई परीक्षाएं दे चुके हैं। कुछ कुर्सी के करीब पहुंच कर वापस हो गए तो कई परिणाम के इंतजार में हैं। हर एक अभ्यर्थी के चेहरे पर अदम्य साहस और आंखों में कहीं न कहीं सफलता की चमक दिखाई दे रही थी। पुलिस लाइंस में करीब 450 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। तीन बजे तक करीब 398 अभ्यर्थी यहां पहुंचे थे।
मैं पीसीएस मेंस की परीक्षा दे चुका हूं। पुलिस भर्ती 19 में भी ट्राई किया था। कुछ कमियों के कारण छांट दिया गया था। इस बार उन कमियों को पूरा करके आया हूं। ईश्वर चाहेंगे तो जेल पुलिस भर्ती में मेरा हो जाएगा। भाई साहब, बेरोजगारी के इस दौर में जो भी नौकरी मिल जाय वही अच्छी है। पीसीएस का अभी मेंस ही दिया हूं। परिणाम आने में वक्त लगते हैं। निकल गया तो आगे देखा जायएगा। पहले जो सामने है उसे देख लें।
सुधीर पाठक, सुभासनगर महोबा कई बाद पुलिस की भर्ती देख चुका हूं। वर्ष 2018 और 2019 वाली भर्ती में भी शामिल हुआ था। मगर रेस कंप्लीट न कर पाने के कारण सेलेक्शन नहीं हो सका। इसके पहले 2017 में आरओ और एआरओ प्री की भी परीक्षा दिए हैं। आज तक उसका रिजल्ट ही नहीं आया। जेल पुलिस भर्ती आई तो किस्मत आजमाने चला आया। इस बार रेस की काफी प्रैक्टिस भी किए हैं। डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन और चेस्ट व लंबाई जांच के बाद रेस की बारी आएगी। रामसुमेर, अलादतपुर फतेहपुरकई परीक्षाएं देकर थक गया हूं भाई साहब। अब तो बस जो भी नौकरी मिल जाय वही सही है। जेल पुलिस भर्ती परीक्षा के पहले जूनियर असिस्टेंट, यूपी एसएसएससी 2016 का मेंस निकाल लिए हैं। आज तक इंटरव्यू की डेट ही नहीं आई। लेखपाल की भी परीक्षा दिए थे। वहां भी निराशा ही हाथ लगी है। कई-कई साल बाद रिजल्ट आते हैं। तब तक तो एज ओवर हो जाती है। सिर्फ एक परीक्षा देकर बैठने से अच्छा है कि प्रयास करते रहें।
आदर्श सिंह, शकरदहा प्रतापगढ़ कोई भी मौका बार-बार जीवन में नहीं मिलता। इसलिए जो भी मौका मिले उसमें खुद को आजमाना जरूर चाहिए। इस जेल पुलिस के पहले भी 41 हजार वाली भर्ती देख चुका हूं। उस वक्त किन्हीं कारणों से नहीं हो पाया था। टीसी की परीक्षा भी दिया हूं। प्रयास नौकरी को हो या बिजनेस का, मेहनत व लगन के साथ किस्मत भी मायने रखती है। जरूरी नहीं कि एक बार या एक जगह सफलता नहीं मिली तो अगली लगह या दोबारा कामयाबी न मिले। अविनास कुमार, जनवाड़ी महोबासीजीएल की मेंस परीक्षा निकाल चुके हैं। इंटरव्यू बाकी है। एनटीपीसी की परीक्षा भी दिए हैं। परीक्षाओं का क्या वह तो तैयारी करने वाले देते ही रहते हैं। अभी मेरा लक्ष्य केवल नौकरी पाना है। इस मकसद को पूरा करने के लिए हर जरूरी मेहनत कर रहे हैं। पूरी उम्मीद है कि जेल पुलिस में मेरा हो जाएगा। क्योंकि, मैने पूरी लगन व मेहनत से तैयारी की है। अब किस्मत ही खराब हो तो क्या किया जा सकता है। सेलेक्ट नहीं हो पाएंगे तो आगे देखेंगे।
नीरज यादव, सदर प्रतापगढ़