शहर के लोगों को मेट्रो ट्रेन में सफर का सपना दिखाये अब छह साल पूरे हो चुके हैं. चार रूट का नाम सामने आया तो इसके बूते प्रापर्टी बिजनेस में उछाल आ गया. प्रापर्टी डीलर्स ने मेट्रो स्टेशन के समीप के नाम पर दाम तक बढ़ा दिये. मेट्रो के चलते आसान रीच के नाम पर प्लाट और अपार्टमेंट खरीद या बुक करा लेने वालों के लिए अब भी यह मुंगेरी लाल के हसीन सपने के समान है. छह साल में इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट ही तैयार नहीं हो पायी है. कुंभ अद्र्धकुंभ और हर साल आयोजित होने वाले माघ मेला वाले शहर के लोगों को मेट्रो के लिए कितने साल और इंतजार करना होगा? इसका जवाब कम से कम अफसरों के पास तो नहीं है. चुनावी सीजन में राजनेताओं से यह सवाल बेमानी लगा.

प्रयागराज (ब्यूरो)।प्रयागराज शहर तीन तरफ से नदियों से घिरा हुआ है। यह देश का इकलौता शहर है जहां हर साल एक महीने के लिए माघ मेला आयोजित होता है। इसका असर करीब दो महीने तक रहता है। पुलों के चलते लोगों को आने जाने में दिक्कत होती है। इसी को देखते हुए करीब छह साल पहले तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने मेट्रो का शिगूफा छोड़ा था। फिलहाल हम इसे भले ही शिगूफा समझें लेकिन तक सरकार ने इसे लेकर गंभीरता दिखायी थी। सर्वे के लिए धनराशि जारी कर दी गयी थी। प्राइवेट एजेंसी को मेट्रो का रोड मैप तैयार करने का ठेका दिया गया था। अफसरों को इसकी समीक्षा में लगाया गया था। इस टीम ने अपना काम पूरा किया। स्टॉपेज तय कर दिये। स्टेशन तय कर दिये। मुख्यालय स्टेशन तय कर दिया। फुल फालिंग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अवलेबिलिटी और रिक्वायरमेंट की डिटेल तैयार कर दी।

तैयार हो चुका था रूट प्लान
दिल्ली की राइट्स कंपनी ने बम्हरौली से कनिहार के बीच पहला रूट तैयार किया था। 24 किमी लंबे इस रूट पर 22 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव था। प्रपोजल था कि इस रूट पर 3.7 किमी की अंडरग्राउंड रेल लाइन बनेगी। 19.5 किमी लाइन एलीवेटेड रखने का प्रस्ताव था। जिला प्रशासन ने राइट्स कंपनी और अर्बन मॉस ट्रांसपोर्ट के साथ मिलकर यह भी तय किया था कि हर एक किमी पर एक स्टेशन बनाया जाएगा। इसके साथ ही नैनी से फाफामऊ के बीच दूसरा रूट तय किया गया था।

फिर हुआ था बदलाव
एक बार सर्वे रिपोर्ट सब्मिट कर दिये जाने के बाद प्रयागराज में मेट्रो रेल संचालन को लेकर बदलाव किया गया। लाइट मेट्रो रेल के संचालन का डिसीजन लिया गया। बाद में पाया गया कि शहर में सामान्य मेट्रो चलाई जा सकती है। इसके बाद पुन: राइट्स कंपनी को डीपीआर बनाने के लिए कहा गया था। अब अधिकारियों का कहना है कि कंपनी से रिवाइज्ड फिजीबिलिटी रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद ही आगे की प्लानिंग की जाएगी।

फंडिंग की समस्या है अहम
एक बार मेट्रो रेल सेवा का निर्माण शुरू होने पर यह प्रोजेक्ट मेट्रो रेल कारपोरेशन के पास चला जाएगा। इसके पहले फिजीबिलिटी रिपोर्ट, रूट प्लान, डीपीआर आदि तैयार कराने का जिम्मा पीडीए को दिया गया है। पिछले छह साल से प्रयागराज में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की फाइल केवल टेबलों पर घूम रही है। बार-बार प्लानिंग भी चेंज होती है। प्रोजेक्ट से जुड़े सोर्सेज का कहना है कि अहम समस्या फंडिंग की है। इस पर सरकार इनीशिएट करेगी तभी बात बनेगी।

क्या है फिजीबिलिटी रिपोर्ट
किसी भी सिस्टम की सफलता के लिए सिस्टम की फिजीबिलिटी रिपोर्ट क्षमता का परीक्षण करना कहलाती है।
इसमें सिस्टम में आने वाली सभी समस्याओं का एनालिसिस किया जाता है, और जानकारी को गहराई से जांचा जाता है।
यह निर्धारित किया जाता है कि सिस्टम को विकसित करने में किस प्रकार से सफलता पायी जा सकती है।
इसमें यह भी देखा जाता है कि कितना खर्च आएगा और किस तरीके से योजना तैयार होगी।
यह भी देखा जाएगा कि शहर में अन्य भी कोई बेहतर तरीका है जिससे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मेट्रो रेल के बगैर सुधारा जा सकता है।
फिलहाल इस रिवाइज्ड फिजीबिलिटी रिपोर्ट को तैयार करने के लिए तीन माह का समय दिया गया है।

पिछली बैठक में राइट्स कंपनी को रिवाइज्ड फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए तीन माह का समय दिया गया था। इसका वर्तमान स्टेटस पता करना पड़ेगा।
संजय गोयल
कमिश्नर प्रयागराज मंडल

Posted By: Inextlive