अधिवक्ता नबी हत्याकांड आज भी याद करते हैं लोगअतीक अहमद पर चला था बम घायल हुए थे थानेदार


प्रयागराज (ब्यूरो)।कचहरी में हत्या की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। यहां भी कचहरी में हत्या हो चुकी है और बम चल चुके हैं। ये बात दीगर है कि न्यायालय परिसर में सुरक्षा के बड़े दावे किए जाते हैं। मगर वकील नबी हत्याकांड और माफिया अतीक पर बम से हमले की घटना सारी सुरक्षा व्यवस्था पर की धज्जियां उड़ा चुकी हैं। बुधवार को लखनऊ कचहरी में कुख्यात संजीव जीवा की हत्या की घटना के बाद प्रयागराज कचहरी में हुई घटनाओं की चर्चा शुरू हो गई।माफिया अतीक पर हुआ था हमला


ये बात और है कि अब माफिया अतीक अहमद अतीत हो चुका है, मगर एक वक्त था जब इसी शहर में नहीं पूरे प्रदेश में माफिया अतीक का नाम बड़े अदब से लिया जाता था। अतीक की दहशत से लोग कांपते थे। लेकिन कुछ उसके दुश्मन ऐसे भी थे जो उसे मार देना चाहते थे। बात 2007 की है। अतीक जेल में बंद था। जार्जटाउन थानेदार धीरेंद्र सिंह उसे पेशी पर ले गए थे। कचहरी में सुनवाई के बाद अतीक को लेकर पुलिस वापस लौट रही थी। दूसरे मंजिल से लौटते वक्त सीढिय़ों पर अचानक तेज धमाका हुआ और भगदड़ मच गई। अतीक गिरा हुआ था और थानेदार धीरेंद्र सिंह लहुलूहान पड़े थे। अन्य सिपाही दरोगा अपनी जान बचाकर इधर-उधर हो चुके थे। धुएं का गुबार छंटा तो पता चला कि बम से अतीक पर हमला हुआ था। हमलावर भीड़ का फायदा उठाकर भाग चुके थे। मामले में एखलाक का नाम सामने आया था। जांच में पता चला कि अतीक ने खुद ही अपने ऊपर हमला कराया था। वकील की हत्या में दहक उठी थी कचहरी

वकील नबी हत्याकांड पूरे प्रदेश में चर्चा में रही। 11 मार्च 2015 को वकील नबी अहमद की हत्या दरोगा शैलेंद्र सिंह ने की थी। रोज की तरह उस दिन भी कचहरी में माहौल सामान्य था। वकील और मुवक्किल अपने कामकाज में व्यस्त थे। कचहरी परिसर में अचानक वकील नबी अहमद और दरोग शैलेंद्र सिंह के बीच जोर से बहस होने लगी। जब तक लोगों का ध्यान उन दोनों की तरफ जाता गोली की आवाज आने लगी। दो गोली चली और वकील नबी अहमद गिर पड़े। शैलेंद्र सिंह ने रिवाल्वर से नबी को गोली मार दी थी। घटना के बाद दरोगा हाथ में रिवाल्वर लहराते हुए भाग निकले। रिवाल्वर देख कोई भी दरोगा को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सका। भीड़ जुट गई। नबी की मौत हो चुकी थी। आक्रोशित वकीलों ने कचहरी परिसर में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। तीन दिन तक अधिवक्ता बवाल काटते रहे। तीसरे दिन जब दरोगा शैलेंद्र सिंह को प्रयाग रेलवे स्टेशन के पास से पकड़ा गया तो वकील शांत हुए। बाद में दरोगा को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उमेश पाल पर हुआ था हमलाशहर में चर्चित उमेश पाल हत्याकांड को लेकर कई महीना बीतने के बाद भी खबरों का सिलसिला थम नहीं रहा है। उमेश पाल इस बार तो मारा गया मगर उस पर कचहरी में 11 जुलाई 2016 को हमला हुआ था। राजू पाल हत्याकांड में उमेश कचहरी में गवाही देने गया था। लौटते वक्त कचहरी परिसर में ही उस पर गोलियां चलीं थीं। लेकिन वह बच गया। भीड़ होने की वजह से हमलावर उसे घेर कर मार तो नहीं सके लेकिन दहशत बनाने और गवाही देने से रोकने के लिए उस पर जानलेवा हमला किया गया।

Posted By: Inextlive