बढ़ते एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए सभी वाहनों के पॉल्यूशन सर्टिफिकेट अनिवार्य किए गए. पॉल्यूशन सर्टिफिकेट में कोई धांधली न हो इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई. पॉल्यूशन सर्टिफिकेट ऑनलाइन बनाने की पूरी निगरानी आरटीओ की तरफ से कराई जाती है. इसके बाद भी कुछ पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने वाले सेंटर धांधली काम कर रही है. थोड़े कमाई के चक्कर में ऐसा किया जा रहा है. उन्होंने ऑनलाइन तोड़ का रास्ता तक निकाल लिए है. यह सब हकीकत मंगलवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के स्टिंग में चौकाने वाली बात सामने आइ है. ऐसे समझिए पूरी कहानी का खेल.

प्रयागराज (बयूरो)।

दस हजार से अच्छा है सौ रुपए
ऑनलाइन पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की वैलिडिटी के हिसाब से रेट फिक्स किया गया है।
छह महीने की वैलिडिटी के 60 रुपए और एक साल की वैलिडिटी के सौ रुपए चार्ज रखा है।
पीयूसी यानि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल का सर्टिफिकेट नहीं होने पर दस हजार रुपए का जुर्माना भर सकता है।
जिसके चलते लोग दस हजार के जुर्माने के चक्कर में पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं।
गाड़ी पास न होने पर 50-सौ एक्स्ट्रा खर्चकर जुगाड़ से बनवा ले रहे हैं।

डाउनलोड भी कर सकते हैं सर्टिफिकेट
देखा जाए तो पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जांच केंद्र पर ही मिलता है। आप चाहें तो इसकी डिजिटल कापी डाउनलोड भी कर सकते है। अभी तक डिजी लॉकर या एम परिवहन एप्स में प्रदूषण सर्टिफिकेट को रखने की सुविधा नहीं दी गई है। इस सर्टिफिकेट को डाउनलोड करने के लिए अधिकारिक वेबसाइड पर जाना होगा जहां से वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर, चेसिस नंबर फिल करने के बाद सर्टिफिकेट को डाउनलोड किया जा सकता है।

रिपोर्टर व सेंटर कर्मचारी बातचीत
रिपोर्टर - मुझे अपनी कार का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाना है।
कर्मचारी - बिल्कुल बन जाएगा सर पेट्रोल है या डीजल
रिपोर्टर - डीजल है
कर्मचारी - कार को सेंटर तक लाना होगा तब ही बनेगी
रिपोर्टर - कार तो वाइफ लेकर गई है। देख लीजिए
कर्मचारी - पेट्रोल होता तो बना देता मगर डीजल बिना जांच के नहीं बन पाएगा
रिपोर्टर - कुछ ले देकर बात बन जाए तो देख लीजिए
कर्मचारी - मोबाइल पर कार की आगे-पीछे की फोटो है न
रिपोर्टर - हां मिल जाएगा, चार्ज
कर्मचारी छह महीने का 150 और एक साल दो सौ लगेगा।

कैसे बनता है पॉल्यूशन सर्टिफिकेट
पॉल्यूशन चेकिंग सेंटर पर कंप्यूटर से जुड़ा एक गैस एनालाइजर होता है
यह कंप्यूटर में कैमरा और प्रिंटर जुड़ा होता है
गैस एनालाइजर को गाड़ी के साइलेंसर में डालते है गाड़ी को चालू रखा जाता है
गैस ऐनालाइजर गाड़ी से निकलने वाले पॉल्यूशन की जांच करता है और आकड़े कंप्यूटर को भेजता है
कैमरा गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है, अगर गाड़ी में फिक्स मानक में पॉल्यूशन निकल रहा है तो उसका सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है पॉल्यूशन चेक करने की प्रक्रिया में डीजल और पेट्रोल वाहनों में अंतर होता है।

अगर कोई बिना जांच के सर्टिफिकेट धांधली करके बना रहा है तो जांंच करवा कार्रवाई की जाएगी। ऑनलाइन पॉल्यूशन सेंटर्स की आरटीओ ऑफिस की तरफ से लगातार निगरानी होती है।
डा। सियाराम वर्मा एआरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive