साइबर ठगों पर भारी पड़ी पुलिस
प्रयागराज (ब्यूरो)। ऑनलाइन विभिन्न माध्यमों को साइबर शातिर लोगों को ठगने का जरिया बना चुके हैं। लोगों को झांसे में लेने के बाद ठगी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। समझाने के बावजूद लोग शातिरों के झांसे में फंस जा रहे हैं। तीन दिन पूर्व धूमनगंज निवासी जंग बहादुर सिंह के पास एक कॉल आई। बताया गया कि वह बैंक से बोल रहा है। एटीएम अपडेट करने का झांसा देकर ओटीपी पूछा। जंग बहादुर समझ नहीं पाए और ओटीपी बता दिए। बस यही एक चूक साइबर शातिरों की कामयाबी का कारण बन गया। ठग उनके खाते से 70 हजार रुपये पार कर दिए। मोबाइल पर रुपये निकलने का मैसेज आया तो उन्हें ठगी की जानकारी हुई। इसी नैनी के विजय बहादुर खाते से साइबर ठग एनी डेस्क एप्स के जरिए 39 हजार 999 रुपये गायब कर दिए। साइबर शातिर करछना के राजकरण यादव के खाते से जरिए एनीडेस्क एप्प 47 हजार 362 रुपये और झूंसी की रिया सिंह से ओटीपी पूछकर 15 हजार रुपये एवं शंकरगढ़ निवासी रघुनाथ ठाकुर से फ्लिपकार्ट एप्प के जरिए 14 हजार 999 रुपये की ठगी की गई। इस तरह करीब एक लाख 87 हजार 360 रुपये की कुल ठगी हुई। ठगी के शिकार लोगों द्वारा मामले की शिकायत पर डीआईजी/एसएसपी ने जांच साइबर सेल सौंप दी। हफ्ते भर के अंदर साइबर सेल एक लाख 49 हजार 997 रुपये साइबर ठगों के हाथ से वापस खींच लाया। वापस आए रुपये पाकर शिकायतकर्ता ने पुलिस की मुंह भर तारीफ किए।
सावधानी और जानकारी जरूरीसाइबर सेल के लोग कहते हैं कि ठगी के लिए साइबर क्रिमिनल तरह तरह के झांसे देते हैं
इस लिए लोगों को चाहिए कि वह मोबाइल पर एटीएम कार्ड या बैंक संबंधी जानकारी किसी को नहीं दें।
ऑनलाइन खरीदारी या रुपयों का ट्रांजेक्शन भी संभल कर करें, घटना के तुरंत बाद शिकायत पुलिस से करें
किसी के द्वारा फोन पर प्रलोभन देकर अकाउंट नंबर या एटीएम कार्ड नंबर ओटीपी पूछा जाय तो न बताएं
ध्यान रखें कि बैंक अकाउंट डिटेल या ऐसी चीजें बैंक के कर्मचारी या अधिकारी मोबाइल पर नहीं पूछते साइबर ठगी से बचने के लिए सतर्क रहना ही एक बेस्ट तरीका है। शिकायत के बाद भी ऐसे ठग जल्दी पकड़ में नहीं आते। क्योंकि उनके मोबाइल नंबर फेक आईडी पर होती है। उनकी लोकेशन भी किसी एक जगह सटीक नहीं मिल पाती। इस लिए सतर्कता के बताए जा रहे उपायों का लोग पालन करें।
सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी डीआईजी/एसएसपी