रिस्क तो ले ही रही थी पुलिस
प्रयागराज (ब्यूरो)। पूर्व सांसद अतीक अहमद के आतंक का साम्राज्य करीब चार दशक तक कायम रहा। इस दौरान उसने तमाम लोगों को दोस्त और दुश्मन बनाया था। इसे लेकर अतीक के साथ उसका भाई पूर्व विधायक अशरफ को भी डर लग रहा था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू की तो दोनो भाईयों ने पहले ही आशंका जता दी थी कि उनकी हत्या हो सकती है। अतीक ने तो सुप्रीम कोर्ट तक में अर्जी लगायी थी कि उसकी जान को खतरा है इसलिए जो भी पेशी या पूछताछ होनी है उसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया जाय। सुप्रीम कोर्ट ने अतीक को उसके आग्रह के अनुसार तो राहत नहीं दी लेकिन पुलिस को यह आदेश जरूर दिया था कि उसे पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करायी जाय। इसके बाद भी धूमनगंज पुलिस रिमांड पर मिलने के बाद उसे पुलिस की जीप में लेकर चंद सिपाहियों के साथ घूमती रही। इसी का फायदा उठाकर हत्यारों ने कानून व्यवस्था को एक बार फिर से खुली चुनौती दे डाली।
दोनो ने जता दी थी आशंका
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक और अशरफ नामजद किये गये तो तय हो गया था कि दोनों से पूछताछ की जायेगी। इसके बाद दोनों ने अपने अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट में अर्जी दे दी थी कि उनकी जान को खतरा हो सकता है लिहाजा उन्हें ट्रेवल न कराया जाय। कोर्ट ने इस पर दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस को सौंप दी थी। अतीक और अशरफ को उमेश पाल हत्याकांड के बाद पहली बार 28 मार्च को एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया गया था। इस दिन पहली बार अतीक को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी। अशरफ को कोर्ट ने बरी कर दिया था। सजा सुनाये जाने के बाद दोनों को गालियां दी गयी थीं। वकील के भेष में कुछ लोग जूते की माला लेकर पहुंच गये थे। इस स्थिति ने इस आशंका को बल दे दिया था कि सुरक्षा को लेकर कोई रिस्क लेने वाली स्थिति नहीं है।
रिमांड वाले दिन भी कोर्ट में हुआ था बवाल
पुलिस ने अतीक और अशरफ को 14 अप्रैल को वारंट बी पर गुजरात की साबरमती और बरेली जेल से लाकर सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। इस दिन भी कचहरी में हंगामा हुआ था। दोनों को गालियां दी गयीं थीं। बोतल फेंक कर मारने की कोशिश की गयी थी। इसके बाद माना जा रहा था कि पुलिस अब एलर्ट हो जाएगी और कोई रिस्क नहीं लेगी। 14 की रात पुलिस दोनों को रिमांड पर लेने नैनी जेल पहुंची तब भी सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। धूमनगंज थाने के बाहर भी सुरक्षा के कड़े इंतेजाम थे। लेकिन, पूछताछ में मिली जानकारियों को पुष्ट करने के लिए निकलने के दौरान पुलिस से जरूर थोड़ी चूक हो गयी। रुटीन चेकअॅप के लिए ले जाने के समय पुलिस उतने हाई एलर्ट मोड में नहीं थी जितना होना चाहिए था। इसी लूप होल का फायदा अपराधियों ने उठाया और दोनों को गोली मारने के बाद सीधे आत्मसमर्पण कर दिया।
रमित शर्मा
पुलिस आयुक्त, प्रयागराज