आज से 18 साल पूर्व हुई बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में वांटेड था कविलखनऊ सीबीआई कोर्ट में सरेंड करने की खबर मिलते ही रिमांड के प्लान में जुटी पुलिस

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। लखनऊ सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण करने वाले 18 वषों से वांछित एक लाख के इनामी अब्दुल कवि को अब धूमनगंज पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेगी। इसके लिए सीबीआई कोर्ट में पुलिस के द्वारा जल्द ही अर्जी डाली जा सकती है। अब्दुल यहां धूमनगंज थाने का वांटेड अपराधी था। बसपा विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। वर्षों से जिले की पुलिस उसे खोजती रही और वह कौशाम्बी स्थित घर पर मौज काट रहा था। राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद एक्शन सरकार सख्त हुई तो एक्टिव हो गई। इस प्रेशर का नतीजा यह रहा दूसरों को डराने वाला कवि खुद दहशत में आकर सरेंडर कर दिया। यह खबर प्रयागराज पुलिस को मिली तो उससे पूछताछ को लेकर पुलिस प्लान बनाने में जुट गई।

अतीक के शार्प शूटरों में एक था अब्दुल
अतीक अहमद के खास गुर्गों में एक और शार्पशूटर अब्दुल कवि कौशाम्बी स्थित सराय अकिल के भकंदा गांव निवासी अब्दुल गनी का बेटा है। आज से करीब 18 साल पहले 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक रहे राजू पाल को गोलियों से भून दिया गया था। गोलियों की आवाज और बम के धमाकों की गूंज सिर्फ जनपद ही नहीं प्रदेश के सदक पहुंच गई है। विधायक राजू पाल की हत्या के बाद पूरे शहर में तोडफ़ोड़ और आगजनी शुरू हो गई थी। हत्या की इस वारदात में आईएस 227 गैंग के सरगना अतीक अहमद व उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ सहित अब्दुल कवि व कई अन्य का नाम सामने आया था। इस घटना के बाद गैंग के सरगना अतीक के नाम का रौब और खौफ पूरे प्रदेश में फैल गया था। राजू पाल को इतनी गोलियां मारी गई थीं कि उसका शरीर छलनी हो गया था। बॉडी का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के जरिए उसके शरीर से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक गोलियां बरामद की गई थीं।
पूजा पाल ने दर्ज करायी थी रिपोर्ट
घटना के बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के जरिए अतीक अशरफ व कवि आदि के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इसी घटना के बाद से अब्दुल कवि भागा तो अब तक पुलिस की पकड़ में नहीं आया था। सरकारें और थाना प्रभारी बदलते रहे और अब्दुल कवि घूम-घूम कर मौजूद करता रहा। पकड़ में नहीं आने पर भगोड़े अब्दुल कवि पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। फिर भी उसकी लोकेशन तक पुलिस नहीं खो पाई थी। पुलिस को के नेटवर्क को धता बताते हुए वह 18 वर्षों तक कभी घर कौशाम्बी तो कभी कहीं और घूमता रहा। इसी बीच मामला सीबीआई के पाले में ट्रांसफर हो गया।

पूछताछ में खुल सकते हैं कई राज
धूमनगंज एरिया में 24 फरवरी को राजू पाल मर्डर केस के गवाह रहे अधिवक्ता उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई। उमेश पाल की भी हत्या उसी स्टाइल में की गई जैसे कि राजू पाल को गोलियों से भूना गया था। अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या से प्रदेश के सदन तक में चीख पुकार मच गया थी। खुद मुख्यमंत्री ने मामले को संज्ञान लिया तो पूरे प्रदेश की पुलिस मशीन की तरह शूटरों के पीछे पड़ गई। उमेश पाल की पत्नी या पाल ने भी पति की हत्या में अतीक अहमद, अशरफ, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम व शाइस्ता परवीन को नाम जद करते हुए अतीक के बेटों व अन्य पर आरोप लगाया था। इसी उमेश पाल मर्डर केस के बाद अतीक के गुर्गों की तलाश में जुटी पुलिस अब्दुल कवि के घर तक जा पहुंची।
दबाव में किया सरेंडर
दबाव बना तो दूसरों की जान लेना वाल अब्दुल कवि को अपनी जान सांसत में नजर आने लगी। डर के मारे वह सीबीआई कोर्ट लखनऊ में सरेंडर कर दिया। सूत्र बताते हैं कि उसके सरेंडर करने की बात यहां पहुंचते ही पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने का प्लान बनाने में जुट गई। पुलिस का मानना है कि अब रिमांड में लेकर पूछताछ करने पर उससे उमेश पाल मर्डर केस से जुड़े कई अहम सुराग का पता चल सकता है।

Posted By: Inextlive