तमंचा फैक्ट्री पर पुलिस का छापा, हुई मुठभेड़
प्रयागराज (ब्यूरो)। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं। मुठभेड़ में दोनों तरफ से चलाई गई गोलियों की आवाज रात के सन्नाटे को चीरने लगीं। मुठभेड़ की खबर सुनते ही फोर्स के साथ एसपी सिटी संतोष कुमार मीना मौके पर पहुंच गए। तब तक पूरामुफ्ती पुलिस की गोली पांव में लगने से घायल एक शातिर व उसके भाग रहे साथी को दबोच चुकी थी। दोनों के अन्य साथी रात में अंधेरे का फायदा उठाते हुए भाग निकले। घायल बदमाश रत्नेश उर्फ नकलेश को पुलिस द्वारा एसआरएन हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जबकि उसके साथी गोलू को पूरामुफ्ती थाने लाकर पूछताछ शुरू की गई। मौके से दस निर्मित और तीन अद्र्धनिर्मित तमंचा व कारतूस और एक बाइक भी पुलिस को मिली है।
कौशाम्बी जिले के हैं शातिर
पुलिस लाइंस में मामले का खुलासा सोमवार को एसएसपी द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि पूरामुफ्ती थाना प्रभारी उपेंद्र प्रताप ङ्क्षसह टीम के साथ रविवार रात गश्त पर थे। इस बीच उन्हें खबर मिली कि सफदरगंज स्थित ईंट-भ_े के पास झाड़ी के पीछे भट्ठी जलाकर कुछ लोग तमंचा बना रहे हैं। यह खबर मिलते ही वह टीम के साथ मौके पर छापा मार दिए। पुलिस टीम के साथ थाना प्रभारी को आते देख तमंचा बना रहे बदमाश फायरिंग शुरू कर दिए। बदमाशों की मंशा को देखते हुए जवाब में पुलिस भी फायरिंग की गई। पुलिस की गोली पांव में लगने से रत्नेश उर्फ नकलेश पुत्र रमेशचंद्र घायल हो गया। वह कौशाम्बी जिले के पिपरी थाना क्षेत्र स्थित मेहंदीपुर गांव का रहने वाला है। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके भाग रहे साथियों में एक को जवानों ने दौड़ाकर दबोच लिया। पकड़े गए इस शातिर का नाम गोलू पुत्र रामसुमेर निवासी कौशाम्बी थाना पिपरी के महमूदपुर मनौरी गांव का है। घायल बदमाश को इलाज के लिए एसआरएन हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। थाने लाए गए गिरफ्तार गोलू ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका एक पूरा गैंग है। गैंग के अन्य साथी भी मौके पर मौजूद थे। मगर वह भागने में कामयाब हो गए। गैंग प्रयागराज सहित आसपास के जनपदों में भी तमंचे की सप्लाई का काम करता है। इस गैंग का सरगना गोली से घायल रत्नेश ही है। उस पर धूमनगंज, करेली, खुल्दाबाद में मुकदमे दर्ज हैं। गैंगस्टर के तहत भी उस पर कार्रवाई की गई है।
तमंचा लेकर बस से जाते थे गुर्गे
पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार किया गया गोलू बताया कि वह सभी ऑन डिमांड तमंचा बनाने का काम करते थे। प्रति तमंचा तीन से चार हजार रुपये में बेचा करते थे। तमंचा की क्वालिटी पर उसके रेट का निर्धारण करते थे। निर्मित तमंचा को गैंग के गुर्गे जरिए बस दूसरे जनपदों में ले जाने का काम किया करते थे। बताया कि बस से सप्लाई देने पर पकड़े जाने का खतरा कम रहता है। चूंकि बसों में चेकिंग नहीं होती। अपनी बाइक या प्राइवेट कार से ले जाने पर रिस्क पकड़े जाने का डर रहता है।
मुठभेड़ में पकड़े गए बदमाशों के भागे हुए साथियों की तलाश में टीमें लगाई गई हैं। जल्द ही वह सभी भी गिरफ्तार करके जेल भेजे जाएंगे।
शैलेश कुमार पांडेय, एसएसपी प्रयागराज