बदलों की बेरुखी से रोपित पौधों को 'खतराÓ
प्रयागराज ब्यूरो शहर को हरा-भरा बनाने के लिए इस बार पौध रोपण में मियांवाकी पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है। नगर निगम में हर विभाग को पौध रोपण के लिए लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। बारिश हो नहीं रही है कि लिहाजा पौधों की रोपाई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बगैर बारिश के पौध रोपित भी कर दिए गए तैयार कैसे होंगे? जिम्मेदारों के सामने यह एक बड़ी समस्या व चुनौती के रूप में है। इस समस्या का हल खोजने के लिए अब अधिकारी दिमाग खपाना शुरू कर दिए हैं। इसके लिए नगर निगम में जल्द ही गु्रप मीटिंग की जाएगी। इस मीटिंग की तैयारी शुरू हो गई है। मीटिंग में सभी अधिकारी मिलकर समस्या का हल खोजेंगे। हालांकि बताया यह भी जा रहा कि इस मुद्दे पर एक बैठक हो चुकी है। हालांकि इसमें किसी ठोस निर्णय पर अफसर नहीं पहुंच सके थे।
मियांवाकी पद्धति से रोपित हो रहे पौध
सड़क चौड़ीकरण के दौरान शहर के काफी पेड़ ढहा दिए गए। कुछ काफी पुराने थे जो स्वयं ही ढह गए। ऐसी स्थिति में सिटी के अंदर हरियाली काफी कम हो गई। चूंकि सड़के चौड़ी हुईं और फुटपाथ व पार्किंग आदि बना दिए गए। ऐसी स्थिति में रोड किनारे जगह भी घट गई है। वृक्ष तैयार करने के लिए नए पौधे रोपित किए जाने हैं। मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा पौधों की रोपाई करके उन्हें वृक्ष के रूप में तैयार किया जाय। ताकि शहर में चारों तरफ हरियाली को बढ़ाया जा सके। पौध रोपण के लिए जगह कम की कमी रोड़ा बनने लगी। यह देखते हुए स्मार्ट सिटी जिम्मेदारों को मियांवाकी फार्मूले से पौधों की रोपाई का सुझाव दिया। इसके तहत कम प्लेस में अधिक पौधों को रोपित किए जाते हैं। इस व्यवस्था पर अधिकारियों ने आत्म मंथन किया। अच्छी तरह इसकी सफलता पर चर्चा के बाद फाइल किया गया। निर्णय लिया गया कि मियांवाकी पद्धति से शहर में पौधों की रोपाई की जाएगी। रोड या तालाब व नाला सहित खाली पड़ी जमीनों पर घने पौध रोपित किए जाने का प्लान तैयार किया गया था। इसी फार्मूले के तहत पौध रोपण के लिए विभागवार लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। अफसरों ने कहा था कि मियांवाकी विधि से ज्यादा से ज्यादा पौधे रोपित किए जाएं। पौधों की रोपाई के काम में प्राप्त लक्ष्य के सापेक्ष जलकल व नगर निगम के अफसर जुट गए। बताते हैं कि बारिश के अभाव में रोपित किए जा रहे पौधों के तैयार होने पर संसय पैदा हो गया है।
बारिश का मौसम है लिहाजा अफसरों को लगा था कि रोपित किए जाने वाले पौधे आसानी से तैयार हो जाएंगे।
मगर, पर्याप्त बारिश होने से रोपित किए जा रहे पौधों के तैयार होने पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
शहर से गांव तक चारों तरफ बारिश की कंडीशन काफी खराब है। ऐसे में अफसरों का मानना है कि यदि बारिश की दशा ऐसे ही रही तो रोपित किए जा रहे पौधे कैसे तैयार होंगे।
वाटर टैंकों से कितने पौधों की और कितनी सिंचाई की जाएगी। टैंकर-टैंकर पानी डालकर हर जगह पौधों की सिंचाई कर पाना संभव नहीं दिखाई दे रहा।
इस अब समस्या का तोड़ निकालने के लिए अफसर ग्रुप मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग को लेकर प्लान तैयार किए जा रहे हैं।
विभागीय लोग बताते हैं कि मीटिंग में मौजूद अफसर इस बात का तोड़ निकालेंगे कि आखिर बगैर बारिश किस तरह से रोपित किए गए पौधों को तैयार किया जा सकता है।
निष्कर्ष निकलने के बाद उस पर फौरन अमल शुरू किया जाएगा। पौधों की कंडीशन क्या है इसकी मानीटरिंग भी कराई जाएगी।
पौध रोपण का लक्ष्य व विभाग
जोन/विभाग पौध संख्या
जल-कल 2000
पशु धन 1000
बसवार प्लांट 1000
जोन एक 1000
जोन दो 1000
जोन तीन 1000
जोन चार 1000
जोन पांच 2000
जोन छह 3000
जोन सात 2300
जोन आठ 2000
कुल 17300
पर्याप्त बारिश का नहीं होना रोपित किए जा रहे पौधों के लिए संकट तो है ही। पौध रोपाई का काम चल रहा है और चलता रहेगा। उसे पानी की कमी नहीं हो इस समस्या को तोड़ मीटिंग करके निकाला जाएगा।
उत्तम कुमार वर्मा, पर्यावरण अभियंता नगर निगम