संगम के तीर्थ पुरोहित कम्प्यूटर के जमाने में भी रखते हैं बही खाता

प्रयागराज ब्यूरो ।को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ, कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ। रामचरित मानस की ये पंक्तियां बताने के लिए काफी हैं कि प्रयाग की महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है। संगम तट पर अपनों के पिंडदान के लिए देश के कोने कोने से लोग पितृ पक्ष में पहुंचते हैं। यूं तो संगम तट पर पिंड दान कभी भी किया जा सकता है। मगर पितरों की शांति के लिए साल भर में पंद्रह दिन के लिए आने वाले पितृ पक्ष में संगम तट पर पिंडदान का विशेष महत्व होता है। संगम के तीर्थ पुरोहितों की नई पीढ़ी ने अब सिस्टम हाईटेक कर दिया है। हाईटेक सिस्टम बही खाता, कम्प्यूटर होते हुए मोबाइल तक पहुंच गया है। नई पीढ़ी अब पूजन कार्य के लिए तिथि, नक्षत्र और समय के विचार के लिए पत्रा नहीं बल्कि मोबाइल एप का इस्तेमाल करती है। नई पीढ़ी के हाईटेक होने का फायदा ये है कि अब पिंडदान के लिए संगम आने वाले यजमानों को भटकना नहीं पड़ता और न ही तीर्थ पुरोहितों को परेशान होना पड़ता है। इसके बावजूद अभी भी बही खाता की परंपरा बंद नहीं हुई है।

कई पीढिय़ों का हिसाब
तीर्थ पुरोहित बही खाता रखते हैं। जिसमें कई पीढिय़ों की जानकारी दर्ज रहती है। बुजुर्ग तीर्थ पुरोहित अब भी बही खाता लिखना पसंद करते हैं। संगम किनारे बैठने वाले तीर्थ पुरोहित बही खाता में नाम और पता दर्ज करते हैं। ये परंपरा न जाने कब से शुरू हुई है मगर तीर्थ पुरोहितों के पास दो सौ साल पुराना रिकार्ड मौजूद है। जिसमें तीर्थ पुरोहितों के यजमानों की कई पीढिय़ों का ब्योरा दर्ज है। ये बात दीगर है कि अब उन बहियों को केवल देखा ही जा सकता है, उन बहियों की हालत जर्जर हो गई है। मगर तीर्थ पुरोहित उसे अपने पास संभाल कर रखे हुए हैं।

हम तीर्थ पुरोहित का काम कर रहे हैं और यह चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इस काम को करे। तीर्थ पुरोहित का काम हमारी पहचान है। समय के साथ हम सब हाईटेक हो रहे हैं। इससे हमें और यजमानों दोनों को फायदा है।
प्रशांत मिश्रा, तीर्थ पुरोहित

समय के साथ बदलना ही पड़ता है। अब किसी यमजान ने कोई जानकारी के लिए फोन किया तो जरुरी नहीं की हर समय पत्रा साथ रहे। ऐसे में मोबाइल एप को देखकर जरुरी जानकारी यजमान को बता दी जाती है। नई पीढ़ी इसमें माहिर हो गई है।
सूरज शर्मा, तीर्थ पुरोहित

मोबाइल ने थोड़ी मुश्किल बढ़ाई है। जैसे कोई भी यजमान कभी भी फोन कर देता है। ऐसे में थोड़ी समस्या होती है। मगर लाभ ये है कि कोई जानकारी देने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। अब मोबाइल पर तमाम ऐसे एप हैं जिनसे फौरन जानकारी यजमान को उपलब्ध करा दी जाती है।
पंडित धीरज शर्मा, तीर्थ पुरोहित

मेरी सारी पीढ़ी तीर्थ पुरोहित का काम करती आई है। मेरे पास दो सौ साल पुराना रिकार्ड है। बहिया पुरानी होने की वजह से जर्जर हो गई हैं। मगर इसके बावजूद हमारे परिवार ने पुरानी बहियों को भी संभाल कर रखा है। खैर, अब तो सारी डिटेल कम्प्यूटर पर फीड की जाती है।
पंडित कमल शर्मा, तीर्थ पुरोहित

ब्रह्मा जी ने गंगा किनारे यज्ञ किया था। यहीं पर अक्षय वट है। प्रयाग में ही गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है। जिसे संगम कहते हैं। ऐसी पावन भूमि पर पिंड दान का बहुत महत्व बताया गया है। माना जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है, मोक्ष प्राप्त होता है।
आचार्य अरुण कुमार मिश्रा

Posted By: Inextlive