खुद से करने लगते हैं दवाएं खतरे में आ जाती है जानडेंगू की जांच को लेकर नही है जागरुकता जबकि मौजूद हैं संसाधन

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अगर समय रहते डेंगू की पहचान हो जाए तो आसानी से इलाज कराया जा सकता है., लेकिन, ऐसा है नही। लोग अभी भी डेंगू की जांच को लेकर अवेयर नही हैं। नतीजा सामने हैं। अधिकतर मरीज बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। सबसे बड़ी प्राब्लम बिना डॉक्टरी सलाह इलाज शुरू करा देना है। इससे काम्प्लिकेशन बढ़ जाते हैं और मरीज सीवियर कंडीशन मे ं चला जाता है। हालांकि भगवान का शुक्र है इस सीजन में अभी तक डेंगू से एक भी आफिशियल मौत नही हुई है।

दो जगह है एलाइजा जांच
इस समय प्रयागराज मे दो जगह पर डेंगू की अथराइज्ड एलाइजा जांच उपलब्ध है। इनमें से एक एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलाजी लैब और दूसरा बेली अस्पताल है। दोनों जगहों पर कम दरों पर एलाइजा जांच की जा रही है। जबकि प्राइवेट पैथोलाजी में एक से दो हजार रुपए तक एलाइजा जांच के नाम पर वसूले जा रहे हैं। जागरुकता के अभाव में अभी भी अस्पताल में भर्ती कुल मरीजों के पांच फीसदी सैंपल ही एलाइजा जांच के लिए पहुंच रहे हैं। लोगों को पता ही नही है कि एलाइजा जांच को ही सरकार डेंगू की पुष्टि मानती है।

नही है रैपिड डेंगू टेस्ट के इंतजाम
शहर में नैनी, सुलेम सराय, झूंसी, फाफामऊ, एसआरएन अस्पताल, सिविल लाइंस, अपार्टमेंट्स और कालिंदीपुरम आदि हॉट स्पाट एरिया हैं जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बावजूद इसके इन जगहों पर रैपिड डेंगू टेस्ट के कोई इंतजाम नही किए गए हैं। लोगों को जांच के लिए सरकारी या प्राइवेट पैथोलाजी जाना पड़ता है। इन एरिया के लोगों से बातचीत मे पता चला कि फागिंग और एंटी लार्वा स्प्रे हो रहा है लेकिन डेंगू की रैपिड जांच के कोई इंतजाम नही हैं।

एंटी बायटिक खा रहे लोग
डेंगू ट्रीटमेंट प्रोटोकाल कहता है कि मरीज को फीवर आने पर केवल पैरासिटामाल देना चाहिए। फिर डाक्टर की सलाह से दवाएं देनी चाहिए। जब तक प्रिस्क्रिप्शन न कहे एंटी बायटिक नही देनी चाहिए वरना प्लेटलेट्स तेजी से कम हो सकता है। बावजूद इसके 20 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो अपने से एंटी बायटिक का सेवन कर गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं। खुद डॉक्टर्स इस कंडीशन को देखकर हैरान हो रहे हैं।

डीबीसी है एक बेहतर कदम
प्रयागराज में डेंगू का सीजन आते ही एक बेहतर कदम पिछलें कुछ सालों से उठाया जा रहा है। डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर की टीम बनाकर घर घर लार्वा की जांच कराई जाती है। जहां डेंगू का लार्वा पाया जाता है वहां पर लोगों को जागरुक किया जाता है। इन लोगों को बराबर ट्रेनिंग भी दी जाती है। प्रयागराज में ऐसी कुल इस बार 60 डीबीसी टीम बनाई गई है और इन्होंने अब तक दस हजार से अधिक डेंगू लार्वा स्पाट की पहचान कर रोग को फैलने से कफी हद तक रोका है।

पांच साल मे महज 17 की मौत
देखा जाए तो जिस तरह से हर साल डेंगू फैलता है उसके मुकाबले इस बीमारी से डेथ के आंकड़े काफी कम है। छह साल में महज 17 मरीजो की डेथ हुई है। हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है जबकि अनाफिशियल डेंगू से होने वाली मौतों की संख्या इससे ज्यादा हैं। वहीं पिछले साल के मुकाबले इस साल डेंगू के मरीज भी कम सामने आ रहे हैं इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। इस साल अभी तक 329 मामले रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं।

वर्ष कुल मौतें
2018 2
2019 0
2020 0
2021 2
2022 7
2023 6

इस साल एक नही बल्कि दो जगह डेंगू की एलाइजा जांच की जा रही है। लेकिन लोगों में अवेयरनेस की कमी है। वह प्राइवेट पैथोलाजी में इधर उधर की जांच करा लेते हैं लेकिन डेंगू की अथेंटिक जांच नही कराते हैं। हम ऐसे मरीजों का डाटा मिलने पर उनका सैंपल लैब में जांच के लिए भेजते हैं।
आनंद कुमार सिंह
जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराज

Posted By: Inextlive