30 किताबों के चक्कर में रुक गयी पेंशन
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके हैं प्रो। आरआर तिवारी
ड्यूज क्लीयर न करने के चलते आई नौबत, इविवि ने रोकी पेंशन इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के कार्यवाहक कुलपति रहे जेके इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलाजी विभाग के प्रोफेसर आरआर तिवारी की पेंशन पर रोक लगा दी गई है। उन पर आरोप है कि रिटायर होने के बाद उन्होंने अब तक इविवि प्रशासन को 30 किताब और कुछ अन्य सामान नहीं लौटाया। ऐसे में उन्हें नो ड्यूज (अदेयता प्रमाण पत्र) नहीं मिला। प्रोफेसर तिवारी ने मामले में कुलपति को पत्र भेजकर गुहार लगाई है। 30 जून को हो चुके हैं रिटायरप्रोफेसर तिवारी की नियुक्ति 10 जनवरी 1982 को हुई थी। वह 30 जून 2021 को रिटायर हो गए। इससे पूर्व सामान की वापसी के लिए डाक्टर आशीष खरे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। प्रोफेसर तिवारी ने जब सारे सामान वापस किए तो कमेटी ने उसे लेने से इनकार करते हुए उन्हें मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया। उन्होंने कई कमेटी के सदस्यों से मिलने का प्रयास किया लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि उन्होंने 81 ऐसे सामान भी इविवि को वापस किए हैं, जिसका लिस्ट में जिक्र तक नहीं था। इसके अलावा 178 किताबें भी विभाग के लाइब्रेरी को वापस किए। साथ ही अपनी 85 किताबें भी विभाग को दान में दी। इसके बावजूद कमेटी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्होंने 30 किताबें अभी भी वापस नहीं की। इसके लिए प्रोफेसर तिवारी ने लिखित में कमेटी के सदस्यों से कहा कि यदि किताबें गायब हो गई हैं तो वह किताबों की कीमत देने को तैयार हैं।
स्पीड पोस्ट से भेजी थी चाबी प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि रिटायरमेंट वाले दिन 30 जून को वह विभाग पहुंचे। उन्होंने विभागाध्यक्ष से मिलकर चाबी सौंपने का समय मांगा तो कार्यो में व्यस्तता का हवाला देकर इनकार कर दिया गया। शाम तीन बजे तक इंतजार करने के बाद प्रोफेसर तिवारी ने विभाग के चपरासी भुवनेश्वर को चाबी सौंप दी और घर चले गए। शाम को साढ़े छह बजे विभागाध्यक्ष के कहने पर चपरासी ने घर पहुंचकर चाबी वापस कर दी। इस पर उन्होंने रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल को सूचना दी और अगले दिन स्पीड पोस्ट के जरिए चाबी भेजी। पेंशन के लिए आवश्यक है नो ड्यूजइविवि से रिटायर होने वाले शिक्षकों को पेंशन के लिए पहले विभागाध्यक्ष, सहायक कुलसचिव, एनएसएस, क्रीड़ाध्यक्ष, केंद्रीय पुस्तकालय अध्यक्ष, स्टेट अफसर, एसबीआइ या पीएनबी, चीफ प्राक्टर, यूजीसी-एचआरडीसी और डीएसडब्ल्यू कार्यालय से नो-ड्यूज लेकर इविवि प्रशासन को देना पड़ता था। बाद में इस प्रणाली को और आसान बनाते हुए 10 की जगह पांच दफ्तरों से ही नो ड्यूज देने का निर्णय लिया गया। इसके प्रमाण पत्र से इस बात की मंजूरी मिलती है कि संबंधित शिक्षक का इविवि पर किसी भी तरह का बकाया नहीं है।
प्रोफेसर आरआर तिवारी द्वारा विभाग की कुछ किताबों और अन्य सामान के अभी तक वापस नहीं होने के कारण विभाग की ओर से नो ड्यूज नहीं मिला है। इस वजह से पेंशन भुगतान के प्रक्रिया में देरी हो रही है। डाक्टर जया कपूर, पीआरओ। इविवि को सारे सामान वापस कर चुका हूं। जो सामान विभाग की लिस्ट में नहीं थे, वो भी जमा कर दिया है। कुछ किताबें नहीं मिलीं, उसके लिए लिखकर दे चुका हूं कि मुझसे उसकी कीमत ले ली जाए। प्रोफेसर आरआर तिवारी पूर्व कुलपति