Prayagraj Madarsa News: प्रयागराज में जिस मदरसा में जाली नोट छापने का खुलासा हुआ था उसे बुधवार को पीडीए ने उसे सील कर दिया है.बतादें कि यहां नकली नोट छापने का कारखाना पकड़े जाने के बाद बड़ी कार्रवाई हुई. जांच एजेंसियों के हाथ में अहम सुराग लगे. फॉरेन फंडिंग की आशंकामें मदरसा प्रबंधक के नाम से पीडीए ने नोटिस जारी कर कागजात व नक्शा मांगा है.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। Prayagraj Madarsa News: जिस मदरसा में जाली नोट छापने का खुलासा हुआ था, बुधवार को पीडीए ने उसे सील कर दिया है। अतरसुइया कम्पाउंड स्थित मकान नंबर 140 जामिया हबीबिया मजीदे आलम के निर्माण को अवैध बताया गया है। यह कार्यवाही प्रयागराज विकास प्राधिकरण के जोनल अधिकारी जोन-2 के द्वारा की गई। बिल्डिंग के दरवाजे में ताला लगाने के बाद सीलिंग के साथ वैधानिक चेतावनी का बैनर भी लगा दिया गया है। जोनल अधिकारी के द्वारा आबिद हबीबी के नाम से बिल्डिंग का नक्शा प्रस्तुत करने की नोटिस जारी की गई है। अफसर आबिद हबीबी को फिलहाल मदरसे का प्रबंधक बता रहे हैं।

कई राज्यों के छात्र
सीलिंग की कार्रवाई से पहले टीम ने मदरसे में मौजूद छात्रों और अध्यापकों को बाहर निकाला गया। मदरसे के हास्टल में रहने वाले करीब 70 बच्चों को उनके घर भेज दिया गया है। यहां रहने वाले बच्चे छह राज्यों के हैं। बताया तो यह भी जा रहा कि मदरसा से पढ़कर निकले लगभग 600 से अधिक बच्चों की तलाश में एटीएस व आईबी की टीम इंवेस्टिगेट कर रही है। माना जा रहा है कि यह वे बच्चे हैं जिन्हें माइंडवाश के बाद मौलवी मो। तफसीरुल आरफीन ने छोड़ा था। इस प्रकरण की गंभीरता उस जांच एजेंसियों के लिए उस वक्त और बढ़ गई, जब मदरसे का कनेक्शन सऊदी अरब और तुर्की तथा दुबई से सामने आया। टीम से जुड़े सूत्र की मानें तो पता यह भी चला है कि उन देशों में मौजूद कुछ लोग हर साल 40 से 50 लाख रुपये भेजा करते थे।

बैंक खातों पर नजर
अब एजेंसिया इस सवाल का जवाब खोजने में लगी हैं कि आखिर यह पैसा किस बैंक खाते आता था? और जिम्मेदार खर्च कहां किया करते थे। हालांकि इन पैसों के बारे में मैनेजर शाहिद कहते हैं कि देश व विदेश से यह पैसा मदद के रूप में भेजा करते थे। मिलने वाले इन पैसों को बच्चों की शिक्षा व उनके खाने एवं रहने व मदरसा को संचालित करने पर खर्च किया जाता था। कुछ इसी तरह का लेखा जोखा एटीएस और आईबी के सामने कमेटी द्वारा रखे जाने की बात भी की जा रही है। जांच एजेंसियों ने पैसा भेजने वालों को व उनके अकाउंट को भी सर्च कर लिया है। मगर सभी उनकी पहचान को उजागर करने से कतरा रहे हैं।

80 वर्ष पुराना है मदरसा
मदरसे को फंडिंग के लिए मौलवी तफसीरुल आरफीन ने देश के राज्यों के अलावा विदेश में नेटवर्क फैलाया था।
मदरसा चला रहे कमेटी से जुड़े करीब एक दर्जन लोगों के बैंक अकाउंट की जांच एजेंसियां कर रही हैं
बैकों से डिटेल मिलने के बाद मालूम चल सकेगा कि एक्चुअली कहां कहां से फंडिंग हुई है।
प्रिंसिपल मौलवी मो। तफसीरुल आरफीन के परिजनों व उसके रिश्तेदारों के बैंक अकाउंट भी इनवेस्टीगेशन टीम के रडार पर हैं।
यह मदरसा करीब 80 वर्ष पुराना बताया गया है। मौलवी मो। तफसीरुल आरफीन यहां पिछले तीन वर्षों से बतौर प्रिंसिपल काम करता था।
इसके पूर्व यहां उसके पिता आशिकुल रहमान प्रिंसिपल हुआ करते थे। कोविड में उनका इंतकाल हो गया था।
प्रति वर्ष 100 से अधिक बच्चे यहां से तालीम लेने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए निकल जाते थे।

फॉरेन के सफर की तलाश
पुलिस गिरफ्त में आये जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर को फिलहाल मास्टर माइंड होने से इंकार किया जा रहा है। ओडिशा के चाना बाशुदेवपुर का रहने वाला जाहिर खान फर्जी आधार कार्ड बनाने में माहिर है। जांच टीम के उसके पास से कई फर्जी आधार कार्ड हाथ लगे हैं। पूछताछ में उसने कुछ अहम क्लू आईबी को दिया है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक उसने बताया है कि ओडिशा में उसका भाई भी पहचान दस्तावेज बनाने का काम करता है। बाद में वह मौलवी के साथ मिलकर मदरसा में नकली नोट छापने का काम करने लगा। एजेंसियों को भनक मिली है कि मदरसा से जुड़े लोग पिछले कई वर्षों से विदेश आते और जाते हैं। विदेश आने और आने के उनके मकसद को भी टीमें सर्च करने में जुट गई हैं।

मोबाइल में बंद हैं राज
मदरसा के मौलवी मो। तफसीरुल आरफीन व उसके साथियों मो। अफजल, मो। जाहिर खान के मोबाइल में कई राज कैद हो सकते हैं। इन तीनों के मोबाइल को जांच टीमों ने अपने कब्जे में ले लिया है। जांच एजेंसियों का मानना है कि शातिरों ने कुछ अहम डिटेल, तस्वीरें एवं रिकार्डिंग को मोबाइल से गायब कर दिया होगा। इसलिए पूरा डेटा रिकवरी करने के लिए मोबाइल फोरेंसिक साइंस लैब यानी एफएसएल भेजने की तैयारी है। अफसरों को उम्मीद है कि इस जांच के बाद मोबाइल में उन तीनों के विदेशी कनेक्शन और साजिश के भी कई क्लू हाथ लग सकते हैं।

घटना ने खड़े किये सवाल
मदरसे में नकली नोट छापने का कारखाना लगाने के पीछे मौलवी व उसकी टीम का उद्देश्य क्या था?
वह अगले वर्ष आयोजित होने वाले कुंभ में नकली नोट खपाने की तैयारी का ट्रायल तो नहीं कर रहा था।
मौलवी को नकली नोट छापने का आइडिया व ट्रेनिंग किसने और कहां पर दी।
विदेश में बैठे किसी संगठन ने मौलवी पर दबाव बनाया था तो उसने इसकी शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई।

मकान नंबर 140 जामिया हबीबिया मजीदे आलम कम्पाउंड अतरसुइया को सील कर दिया गया है। प्रबंधक को बिल्डिंग का नक्शा व अन्य कागजात पेश करने के लिए नोटिस दी गई है। वह कागजात नहीं दिखा पाया तो नेक्स्ट लेवल की कार्रवाई की जाएगी।
संजीव उपाध्याय जोनल अधिकारी पीडीए जोन-2

Posted By: Inextlive