बाढ़ से परेशान थे पीडीए ने कालोनी 'अवैध' बताकर बढ़ा दी टेंशन
पीडीए ने शहर की 81 कालोनियों को अवैध किया घोषित
गंगा के कछार एरिया में डेवलप हुई सभी कालोनियां इसके दायरे में ऐसी ज्यादातर कालोनियों में घुसा हुआ है पानी गंगा के कछारी एरिया में बने घरों पर इस साल फिर से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। दर्जनों घरों में तो पानी ने प्रवेश भी कर लिया है। जिससे यहां रहने वाले मकान छोड़कर आश्रय स्थलों की ओर भाग रहे हैं। यह सभी घर स्टेट लैंड की जमीनों पर बने हैं और सरकारी सूची में इन्हे अवैध घोषित किया जा चुका है। हाल ही में पीडीए द्वारा जारी सूची में कुल 81 कालोनियों को अवैध घोषित किया गया है जिसमें कछार भी शामिल है। सवाल यह उठता है कि स्टेट लैंड पर जब यह आबादी बस रही तब सिस्टम ने क्यों नही लगाई। आखिर ये मकान एरिया में कैसे तैयार हो गए? बिना रजिस्ट्री खरीद ली जमीनगंगा किनारे के छोटा बघाड़ा के ढरहरिया मोहल्ले में सबसे पहले बाढ़ का पानी प्रवेश करता है। यहां पर जमीन का ज्यादातर हिस्सा स्टेट लैंड है। स्टेट लैंड में बने मकानों के मालिकों से रिपोर्टर ने बात की। उन्होंने बताया कि इन जमीनों की रजिस्ट्री नहीं हुई है। एग्रीमेंट के आधार पर इनको खरीदा गया है। फिर इन पर मकान बनवाया गया। अब इन घरों में लोग 11 महीने चैन से रहते हैं। बचे हुए एक माह बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं।
रातों-रात हो जाता है निर्माण यहां के निवासियो से जब हमने बात की तो उन्होंने अपनी मजबूरी बयां की। उनका कहना था कि स्टेट लैंड की जमीन होने की वजह से इनका रेट काफी कम होता है। जब मकान बनवाते हैँ तो पीडीए के कर्मचारी आकर पाबंदी लगाते हैं। उनको किसी तरह से अपने फेवर में कर लिया जाता है। कुछ मकान मालिको ंने बताया कि उनका मकान पीडीए ने तोड़ दिया था इसलिए रातों रात निर्माण करवाना पड़ा। वन टाइम इंवेस्टमेंट का बिजनेसढरहरिया एरिया में रिपोर्टर ने देखा कि यहां बनाए गए मकानों में मालिक नही रहते हैं। यहां यूनिवर्सिटी, कॉलेजेस सहित प्रतियोगीि छात्रों को किराए पर कमरे दिए गए हैं। यानि सरकारी जमीनों पर लॉज बनवाकर बिजनेस किया जा रहा है। बगल में रेलवे स्टेशन, बाजार और यूनिवर्सिटी होने की वजह से यहां की लोकेशन भी अच्छी है। ऐसा करने से कुछ दिनों में लागत वसूल हो जाती है। बहुत अधिक होता है तो पीडीए का नोटिस आता है। जिसे लोग अनदेखा कर देते हैं। यहां रहने वालों को बिजली, पानी की सुविधा दी जा रही है। सीवर लाइन भी बिछा दी गई है। यह लोग नगर निगम को टैक्स भी अदा करते हैं।
जून से सितंबर तक रहता है खतरा लोगों का कहना है कि हर साल जून से सितंबर के बीच यहां बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है। गंगा बेहद करीब होने के चलते अगर बारिश अच्छी हुई तो घरों में पानी चला आता है। ऐसे में उनको आश्रय स्थलों में शरण लेनी पडती है। लेकिन यहां रहने वालों को इसकी आदत पड़ गई हैं। क्योंकि इतना सस्ता मकान वह शहर में कही और नही बनवा सकते हैं। पीडीए ने जारी कर दी है सूची पीडीए की ओर से शहर के 81 अवैध कालोनियों को चिंहित किया गया है। इनकी सूची जारी किए जाने के बाद अब कार्रवाई की तैयारी चल रही है। इन एरिया में हरवारा गांव, बेनीगंज और चकिया के आसपास, भावापुर, धुस्सा, ढरहरिया, बघाड़ा, झलवा, पीपल गांव, बाजूपुर करेली, सर्वाेदय नगर अल्लापुर, हादीगंज अल्लापुर, डांडी नेनी, दांदूपुर, कृष्णा नगर कालोनी कीडगंज, मुक्ता विहार कालोनी नैनी सहित तमाम एरिया शामिल हैं। इन सभी एरिया में सरकार की जमीन पर अवैध निर्माण हुए हैं।हमारा मकान दस साल पुराना है। हमने जमीन खरीदकर बनवाया है। मकान तो स्टेट लैंड पर ही बना है। लेकिन क्या करें, हमारे पूर्वज इसी एरिया के हैं और हम यही पर दूध का बिजनेस भी करते हैं।
अमरदीप यादव, छोटा बघाड़ा यहां की जमीन सस्ती है। अगर इतने पैसे में कही और मकान बनता तो हम ले लेते। लेकिन यहां रजिस्ट्री नही हुई है। पीडीए से कभी नोटिस भी नही मिला है। हमलोग बिजली, पानी और हाउस टैक्स भी जमा करते हैं। सुनीता माली, छोटा बघाड़ा हम लोग तेरह साल से कछार में रह रहे हैं। हर साल यहां पानी भर जाता है। तब बाहर आना पड़ता है। हम नही हजारों लोग मकान बनवाकर रह रहे हैं। यह भी सही है यह स्टेट लैंड की जमीन है। उर्मिला, छोटा बघाड़ा हमारा मकान जब बन रहा था तब पीडीए ने तोड़फोड़ की थी। लेकिन हीमने जैसे तैसे बनवा लिया। यहां सभी को सस्ती जमीन मिली है और सभी लोग बनवाकर रह रहे हैं। साना, छोटा बघाड़ा