सिंगल बेंच के प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट संशोधित करने के आदेश को डबल बेंच ने किया खारिजइंटरव्यू तक की प्रक्रिया पूरी कर चुका है उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कोर्ट में मामला होने से फंसा था रिजल्टउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अपनी सबसे बड़ी परीक्षा पीसीएस 2021 का रिजल्ट इसी हफ्ते घोषित कर सकता है. इसका इंटरव्यू तक दे चुके प्रतियोगी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. यह इसलिए संभव होगा क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा दाखिल विशेष अपील को स्वीकार करते हुए एकल जज द्वारा पारित उस आदेश को मंगलवार को रद कर दिया जिसके द्वारा एकल जज ने पीसीएस -2021 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद कर दिया था. सिंगल बेंच ने पूर्व सैनिकों को पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ देते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आयोग को निर्देश दिया था. एकल पीठ ने कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी होने के बाद मुख्य परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी किया जाय और परीक्षा कराई जाए. उसके बाद साक्षात्कार का आयोजन किया जाए.


प्रयागराज ब्यूरो, हाईकोर्ट ने पीसीएस-2021 की तरह ही ग्रुप सी और ग्रुप बी पदों पर भी पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ देने निर्देश दिया था। यह आदेश एकल जज ने एयर फोर्स के जूनियर वारंट ऑफिसर सतीश चंद्र शुक्ला व तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया था। कोर्ट ने आयोग की ओर से जारी पीसीएस-2021 प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को विकृत करार देते हुए रद किया था। याचियों के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 मार्च 2021 को अपने गजट नोटिफिकेशन में यूपी लोक सेवा आयोग में शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता सेनानियों और पूर्व सैनिकों के आश्रितों के लिए आरक्षण संशोधन अधिनियम 2021 के तहत सभी ग्रुप की नौकरियों में भर्ती के लिए पूर्व सैनिकों को पांच फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था बनाई है। इसे आयोग की ओर से निकाली गई भर्ती प्रक्रिया से पहले ही जारी कर दिया गया था लेकिन आयोग ने इस प्रविधान को लागू नहीं किया और पूर्व सैनिक अभ्यर्थियों को बिना आरक्षण दिए ही प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया। चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने एकल जज के दो अगस्त 2022 को पारित आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा दाखिल विशेष अपील स्वीकार कर ली। सरकार कर रही विचारमालूम हो कि एकल जज के समक्ष याचिका में तर्क दिया गया था कि 1993 से पहले पूर्व सैनिकों को सभी ग्रुप ए, बी, सी और डी की भर्तियों में आरक्षण दिया जा रहा था। ए व बी ग्रुप में आठ फीसदी और बी व सी में तीन फीसदी का आरक्षण दिया जा रहा है। 1993 के बाद नए आरक्षण नियम लागू होने से पूर्व सैनिकों को पांच फीसदी आरक्षण दिया जाने लगा। बाद में ए व बी ग्रुप में आरक्षण देना बंद कर दिया गया। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले में सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है।

Posted By: Inextlive