रोडवेज बसों में न तो पैसेंजर्स की जान की कोई कीमत है. न ही उनका कोई सम्मान. ऐसे कई मामले आए दिन सामने आते रहते हैं.

प्रयागराज ब्यूरो । कई बार इन बसों के चालक यात्रा के दौरान कान में फोन लगाकर एक हाथ स्टेयरिंग संभाले नजर आ जाएंगे। हद तो तब हो गई जब रविवार और सोमवार को सिटी की सड़कों पर एक रोडवेज की सिटी बस बिना शीशे के दौड़ते नजर आई। इस बस के बैक साइड का शीशा पूरी तरह से टूटा हुआ था। बस में पैसेंजर्स भी खचाखच भरे हुये थे। बावजूद बस तेजी से फर्राटा भरकर दौड़ती नजर आई। यह पूरा दृश्य दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के कैमरे में कैद हो गया। हैरानगी की बात है कि पैसेंजर्स की शिकायत के बावजूद कंप्लेंट्स करने के बावजूद ड्राइवर व कंडक्टर सुनकर इग्नोर कर दे रहा था।
फॉर्मेलिटी हो रही पूरी
निगम ने बस में बैठे तमाम पैसेंजर्स की जान की कीमत मात्र पांच हजार रुपये निर्धारित की है।
जी हां यदि कोई व्यक्ति ऐसे किसी ड्राइवर द्वारा लापरवाही करने का वीडियो बनाकर अधिकारियों से कंप्लेंट करता है तो उसपर पहली बार पांच हजार रुपये का अर्थदंड डाल कर फॉर्मेलिटी पूरी कर दी जाती है।
दूसरी बार गलती को रिपीट करता है तब जा कर उस कर्मचारी को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिले के कुछ एआरएम को ही इस प्रावधान की सही जानकारी नहीं है।

टक्कर लगाना पर बड़े हादसे की आंशका
इस रोडवेज की सिटी बस का आलम है कि इसका बैक साइड का शीश पूरा टूटा पड़ा है। अगर गलती से आमने-सामने वाहन की टक्कर लगने पर या फिर तेजी व अचानक बैक लगाने पर बड़ा हादसा हो सकता है। इस शीशे से गिरने पर पीछे से आ रही कोई भी वाहन के चपेट तक में आ सकते है। रिपोर्टर के पूछने पर भी ड्राइवर ने कोई जवाब देना उचित नहीं समझा। इससे साफ है कि ड्राइवर ही नहीं बल्कि इन बसों को सड़कों पर दौडऩे से न रोकने पर उच्चाधिकारी भी जिम्मेदार है।

यह है नियम
शासनादेश है कि कोई भी ड्राइवर फोन से बात करते हुये वाहन नहीं चलाएगा। बात करना है तो बस के कही रुकने पर बात करें। वाहन चलाते वक्त फोन कंडक्टर के पास जमा कर दें। वहीं अगर बस में लाइट खराब है तो रात्रि में चलाने से बचें। बस डैमेज है या फिर शीशा पूरी तरह से टूटा है। जिसके चलते कोई हादसा हो सकता है तो बस को नहीं चलाना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

कमाने के चक्कर में पैसेंजर्स की जान जोखिम में
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब पड़ताल की तो पता चला। इनके पास बसों का शॉर्टेज है। जो बस वर्कशॉप में खड़ी भी है उनके इंजन में काम हो रहा है। जिसके चलते सड़कों पर नहीं चल सकती है। जबकि इस टूटे शीशे वाले बस का शीशा किसी दूसरे बस के साथ चेंज किया जा सकता है। लेकिन किसी दूसरे बस से बैक साइड का शीशा निकालना व फिट करना संभव नहीं है। इसी कारण कमाने के चक्कर में टूटे शीशे वाली बस को लेकर सड़कों पर दौड़ रही है। जिससे पैसेंजर्स की जान जोखिम में है। वर्कशॉप में दो दर्जन के करीब बस कंडम कंडीशन में खड़ी है। कुछ बसों के खराब हुये पार्ट्स नहीं मिलने के चलते भी खड़ी है। इस बारे में ठीक से कोई जानकारी देना वाला तक नहीं है।

119
जिले के अंदर है सिटी बसें
92
बसों का कंडीशन है सही
27
सिटी बसों का कंडीशन हो चुका है खराब
50
जिले के अंदर है इलेक्ट्रिक बसें
600
रोडवेज की बसें प्रयागराज से दूसरे जिलों के मार्गों पर दौड़ रही
19
से अधिक बसों का कंडीशन खराब या फिर पार्ट्स के अभाव में खड़ी है वर्कशॉप में

वर्कशॉप के अंदर बाहर दोनों जगह पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। बसों की कंडीशन चेक होने के बाद ही सड़कों पर भेजा जाता है। अगर ऐसा है तो चेक करवाया जाएगा।
एम के त्रिवेदी, आरएम प्रयागराज

Posted By: Inextlive