तोता को पता था बंसल मर्डर का राज?
सेंट्रल जेल की जिस बैरक में रची गई साजिश उसी में था जुल्फिकार उर्फ तोता
माफिया अतीक अहमद का करीबी और खास शूटर के रूप में है तोता की पहचान न्यूरो सर्जन डॉ। अश्वनी कुमार बंसल (एके बंसल) के कत्ल का राज जुल्फिकार उर्फ तोता को पहले से मालूम था। क्योंकि नैनी सेंट्रल जेल के जिस बैरक में कत्ल की साजिश रची गई थी, उसी में वह भी बंद था। उसके साथ इस बैरक में कई अन्य लोग और भी थे। यह बातें एसटीएफ लखनऊ द्वारा जारी की गई रिलीज में स्पष्ट कही गई है। मतलब यह कि यदि तोता चाह लेता तो बंसल मर्डर केस का खुलासा पहले ही हो गया होता। ऐसे में पुलिस की विवेचना पर सवाल खड़े होते हैं। आखिर यह बात प्रयागराज पुलिस को वारदात के तीन साल बाद भी मालूम क्यों नहीं चल सकी। अन्य लोगों को भी रहा होगा मालूमलखनऊ एसटीएफ द्वारा जिस मो। शोएब पुत्र मुकीम निवासी आजादनगर कोतवाली प्रतापगढ़ को गिरफ्तार कर बंसल मर्डर केस का खुलासा किया है। वह शोएब प्रतापगढ़ सहित प्रयागराज व आसपास के अन्य जनपदों में फैक्चर गैंग का सक्रिय मेंबर के रूप में जाना जाता है। लखनऊ एसटीएफ ने कहा है कि डॉक्टर बंसल मर्डर केस की साजिश नैनी सेंट्रल जेल के एक नंबर सर्किल बी ब्लास बैरक में रची गई थी। इस बैरक में माफिया दिलीप मिश्रा, अशरफ उर्फ अख्तर कटरा और जुल्फिकार उर्फ तोता व गुलाम रसूल पहले से मौजूद थे। इसी बैरक में आलोक सिन्हा को भी रखा गया था। बताया गया कि आलोक सिन्हा व दिलीप मिश्रा ने बंसल के कत्ल का प्लान बैरक में ही तैयार किया था। मतलब यह कि इस बैरक में उस वक्त रह रहे तोता सहित अन्य लोगों को भी कहीं न कहीं से यह बात मालूम जरूर रही होगी। माना जा रहा है कि यदि बंसल मर्डर केस में पुलिस शिद्दत से विवेचना करती तो यह मामला कब के प्रयागराज पुलिस खोल चुकी होती। क्राइम एक्सपर्ट कहते हैं कि विवेचना में शिथिलता की वजह से यह केस इतने साल से पेंडिंग था, और खुलासे का श्रेय लखनऊ एसटीएफ ले गई। तोता माफिया अतीक के करीबी व शूटर के रूप में जाना जाता है।