द जर्नी आफ आईडियाज
The journey of ideas
-निराला आर्ट गैलरी में शुरू हुई तीन दिवसीय painting exhibition --Different places से आए artists ने जमाया रंग ALLAHABAD हर बड़ी शख्सियतें हमें क्रिएटिविटी डेवलप करने की एडवाइज देती हैं। नए-नए आइडियाज पर काम करने की सलाह देते हैं। कहते हैं जिसके पास आइडियाज होते हैं उसके अन्दर कुछ भी कर गुजरने का माद्दा होता है। आइडिया ही तो हैं, जिसके दम पर न केवल कई बड़ी पर्सनैलिटीज को पहचान मिली, बल्कि पूरी दुनिया ने उन्हें सराहा। कुछ ऐसी ही सोच के साथ अपनी पेंटिग्स लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की निराला आर्ट गैलरी में पहुंचे थे डिफरेंट स्टेट से आए युवा आर्टिस्ट। बांग्लादेश से भी आए कलाकारगैलरी में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद और ढाका (बांग्लादेश) आदि जगहों से आए आर्टिस्ट्स ने अपनी ग्रुप पेंटिंग्स लगा रखी है। इसमें प्रकृति की सुन्दरता, ग्रामीण परिवेश, वातावरण की खूबसूरती, महिलाओं की समाज में स्थिति, ट्रेडिशन, सोशल इश्यूज, सोसायटी की प्राब्लम आदि को कैनवास पर बखूबी अकेरा गया है। बेहतरीन ग्रुप पेंटिंग्स में दिपांजलि शेखर की नैचुरल वेटिंग, शुभांकर प्रकाश भारती की नो इट्स नाट जस्ट ए अ मिरर, ऋषि कुमार के शान्ति निकेतन विलेज, सिमरन चटर्जी के वंडर वुमेन, अर्पिता पाल के थ्री डी टू टू डी नेचर, अवधेश गंगवार के अनटाइटल्ड, शिल्पिन्विता दास के फालिन को खूब पसंद किया गया। बांग्लादेश के जतन चन्द्र राय की थीम को भी विषेश चर्चा मिली।
स्टाप मोशन व ब्लैक माउथ की तारीफ इस दौरान दीपांजलि शेखर ने टीवी पर एक शार्ट फिल्म का आडियो प्रजेंटेशन भी किया। इसमें नेचर के साथ मनुष्य के जुड़ाव को स्टॉप मोशन में दर्शाया गया था। इसे भी लोगों ने खूब पसंद किया। शुभांकर के ब्लैक माउथ चित्र को भी जमकर सराहना मिली। इसमें वुमेंस के साथ होने वाली घटनाओं को सोसायटी के लिए शर्मनाक करार देते हुए महिलाओं के मुंह पर काली पट्टी बांधकर दर्शाया गया है। बता दें कि ट्यूजडे से शुरु हुई एग्जिबिशन हर रोज दस से चार बजे के बीच ख्8 फरवरी तक चलेगी। मुझे तो यहां का रिस्पांस देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। बंगाल से यहां तक आना सफल हो गया। बहुत कुछ सीखने को मिला। दीपांजलि शेखर, आर्टिस्ट हमने अपनी तरफ से बेहतर करने की पूरी कोशिश की है। लोगों की सराहना भी मिल रही है तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है। शुभांकर प्रकाश भारती, आर्टिस्टहर एक पेंटिंग्स का अलग ही लुक है। सबकी अपनी बोली और अपनी भाषा है। बेजुबान होकर भी चित्र मानों सबकुछ समझा रहे हैं।
श्वेता गुप्ता, स्टूडेंट एयू हमारा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोग आएं और हमारी चित्रकारी की अच्छाइयों और खामियों के बारे में बताएं। इसी से एक कलाकार सीखता है। ऋषि कुमार, आर्टिस्ट इसे देखने के बाद क्या कहा जाए क्या न कहा जाए। मैं तो पूरी तरह से मोहित हो गई हूं। मेरी भी कोशिश होगी कि इस तरह का कुछ क्रिएटिव कर सकूं। फौजिया रईस, स्टूडेंट एयू सिनियर्स से सीखने का अवसर मिल रहा है। इससे बेहतर और क्या हो सकता है। मैं भी आगे चलकर बेहतर चित्रकारी करना चाहती हूं। यशि सक्सेना, स्टूडेंट एयू काफी कलरफुल आयोजन है। यूनिवर्सिटी में इस तरह के प्रोग्राम लगातार होने चाहिए। इसी से मेधा को प्रोत्साहन भी मिलता है। मुख्तार आलम, स्टूडेंट एयू