बच्चों को अब बोन्स दे रही दर्द वाला टेंशन
- बच्चों में विटामिन डी और विटामिन डी -3 की कमी के कारण पैरेंट्स हो रहे परेशान
- लंबे समय के बाद खुलने जा रहे बच्चों के स्कूल prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के दोनों वेव में लॉकडाउन के चलते छोटे बच्चों का स्कूल जाना संभव नहीं हो सका। इस दौरान स्कूल के बंद होने के कारण ऑनलाइन ही क्लोसस का संचालन हो रहा था। पैरेंट्स भी कोरोना के डर के कारण बच्चों को घर से बाहर भेजने में घबराते रहे। बच्चे भी पढ़ाई के साथ ही इंडोर गेम्स से ही अपना मनोरंजन करते रहे। ऐसे में धूप से मिलने वाला विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में बच्चों की बॉडी को नहीं मिल सका। यही कारण है अब पैरेंट्स के सामने उनके बच्चों में बोंस कमजोर होने के मामले हॉस्पिटल में आने लगे हैं। तेज बहादुर सप्रू हॉस्पिटल से लेकर एसआरएन में भी कई ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।बदले हुई लाइफ स्टाइल है कारण
आर्थोपेडिक सर्जन डॉ। जितेन्द्र जैन का कहना है कि समय के साथ तेजी से लाइफ स्टाइल में बदलाव हो रहा है। यहीं कारण है कि बच्चों के साथ बड़ों में भी विटामिन डी की कमी बन रही है। लेकिन कोरोना काल में बच्चों के घर में कैद होने से इनमें भी तेजी से विटामिन डी की कमी बढ़ी है। 90 फीसदी विटामिन डी, जिसे कैल्शिफरोल के रूप में भी जाना जाता है। इसकी शरीर को आवश्यकता होती है। पराबैगनी किरणों से त्वचा का संपर्क होने से त्वचा में प्रोविटामिन डी में बदल जाता है। ब्लड के जरिए यकृत में जाता है और हाईड्राक्सी विटामिन डी में परिवर्तित करता है। इससे शरीर में कैल्शियम का संतुलन बना रहता है।
ऐसे करा सकते हैं जांच 1. लड़कों में 16 से 18 साल और लड़कियों में 13 से 14 साल तक लंबाई बढ़ती है। अगर इस समय विटामिन डी की कमी होती है, तो बच्चों की हड्डियां कमजोर होती है और लंबाई पर भी इसका असर पड़ता है। 2. इसलिए समय रहते इलाज कराने से बच्चों को भविष्य में होने वाली दिक्कतों से बचाया जा सकता है। बोन मिनरल डेंसिटी या हाईड्रोक्सी से कैल्शियम की जांच की जाती है। 3. ब्लड में विटामिन डी का सामान्य लेवल 50 से 20 नैनोग्राम रहना चाहिए। लेकिन 20 नैनोग्राम तक रहे तो सतर्क हो जाए। इसे धूप, विटामिन डी की गोली या खानपान से बढ़ाया जा सकता है। इनसे मिलता है विटामिन डीसूर्योदय के समय धूप में रहने से विटामिन डी ज्यादा मिलता है। इससे चर्म रोग होने की संभावना कम रहती है। इसके अलावा मछली, अंडा का पीला भाग, गाय का दूध, पनीर, मक्खन, छाछ पीने, गाजर का सेवन करने से विटामिन डी मिलता है।
इनसे करें परहेज फास्ट फूड, वसा युक्त आहार, ज्यादा शक्कर वाले खाद्य पदार्थ, कैफीन विटामिन डी का अवशेषण में अवरोध पैदा करता है। ऐसे में इनसे बचना चाहिए। विटामिन डी के कमी के लक्षण - हड्डी और मांसपेशियों की कमजोरी - चलते समय घुटने से आवाज आना - बिना किसी श्रम से पसीना आना - हड्डियों में दर्द होना - इम्युनिटी में कमी से बार-बार बीमार होना - थकावट महसूस होना - समय से पहले वृद्ध होना - विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत धूप होता है। बच्चों में इंटरनेट, मोबाइल गेम्स का चलन बढ़ा है। गर्मी के कारण बच्चे ज्यादा समय एसी में बिताते हैं। इस वजह से उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है। कोविड के चलते तो इसकी कमी और बढ़ी है। शुरुआत में ध्यान न देने पर आगे बच्चों को कई तरह की दिक्कत हो जाती है। डॉ। जितेन्द्र जैन, आथोपैडिक सर्जन- विटामिन डी की कमी का समय से पता लग जाए, तो दवाओं से ही इसे दूर किया जा सकता है। इसकी कमी बड़ों से लेकर बच्चों तक में पहले से ही थी। लेकिन कोरोना काल में बच्चों के घर में ही अधिकतर समय बिताने के कारण यह समस्या और बढ़ गई है। अब बच्चों की हड्डियां की कमजोरी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है।
डॉ। एपी सिंह, आर्थोपेडिक सर्जन, बेली हॉस्पिटल