ओपीडी में लगने लगी भीड़, डॉक्टर भी कम्फर्टेबल
अस्पतालों में नान कोविड ओपीडी ने पकड़ा जोर, मरीजों को राहत
कम होते कोरोना संक्रमण की वजह से नान कोविड मरीजों ने राहत की सांस ली है। बड़ी संख्या में दूसरी बीमारियों के मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। उनका इलाज भी शुरू हो गया है। मरीजों का कहना है कि पिछले दो माह से अस्पताल और क्लीनिक बंद होने से इलाज नही मिल रहा था। केवल फोन पर सलाह मिल रही थ्ीा। जांच कराना भी मुश्किल था लेकिन अब ऐसा नही है। ओपीडी में डॉक्टर्स मरीजों को डायरेक्ट देख रहे हैं। रेलवे अस्पताल में बढ़ी भीड़रेलवे अस्पताल को कोविड लेवल टू बनाया गया गया था। लेकिन यहां पर कोविड और नान कोविड दोनो तरह की ओपीडी संचालित हो रही थी। बावजूद इसके सामान्य मरीजों का आना लगभग बंद था। लेकिन कोरोना संक्रमण के कम होने से एक बार फिर सामान्य मरीजों की ओपीडी में भीड़ बढ़ गई है। शनिवार को बडी संख्या में मरीजों ने ओपीडी में दस्तक दी।
प्राइवेट अस्पतालों में हुई सुनवाईशहर के तमाम ऐसे प्राइवेट अस्पताल हैं जहां इस समय रोजाना 200 से 300 नए मरीज दस्तक दे रहे हैं। यह सभी सामान्य बीमारियों के हैं। प्रशासन द्वारा अस्पताल और क्लीनिक द्वारा मरीजों को देखने काप आदेश देन के बाद भी मरीज कम संख्या में निकल रहे थे। लेकिन अब ऐसा नही है। शहर के तमाम प्राइवेट अस्पतालों में न केवल मरीज ओपीडी में आ रहे हैं बल्कि भर्ती हो रहे हैं। किडनी, लीवर, लंग्स, हड्डी और ईएनटी रोगियों की जांच और सर्जरी भी शुरू हो गई है। इतना ही नही, कैंसर, हार्ट आदि के गंभीर मरीजों को भी डॉक्टरी सलाह मिल रही है।
काल्विन में बढ़ी संख्या इसी क्रम में काल्विन और डफरिन अस्पताल में भी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यहां ओपीडी एक हजार के पार हो रही है। मार्निग मे आठ बजे से पर्चे वाली लाइन में लोग पहुंच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वार्डो में भी भर्ती की संख्या बढ़ रही है। जो मरीज सीरियस हैं उनको भर्ती कर सर्जरी भी की जा रही है। सभी प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर्स पूरी क्षमता के साथ मरीजों को देख रहे हैं। सभी जगह भीड़ हो रही है। हालांकि डॉक्टर्स को सोशल डिसटेंसिंग के साथ मरीजों को देखने की हिदायत दी गई है। डॉ। राजेश मौर्या, सचिव, एएमएहमारे यहां ओपीडी की संख्या तेजी से बढ रही है। लोग घर से निकल रहे हैं और गंभीर मरीज जांच कराने के साथ भर्ती भी हो रहे हैं। लोगों में कोरोना का डर अब कम हो रहा है।
डॉ। सुषमा श्रीवास्तव, एसआईसी काल्विन अस्पताल