ऑनलाइन गैंबलिंग गेम के चक्कर में पड़कर लाखों रुपए के कर्जदार हुए सर्वेश सिंह पटेल ने अपने ही पड़ोसी कारोबारी के बेटे वासु को किडनैप कर लिया. जब पुलिस ने मामले का खुलासा हुआ तो यह घटना सभी के जुबान पर थी. मतलब सट्टेबाजों ने मोबाइल फोन को अपना नया अड्डा बना लिया है. इसकी लत में पड़कर युवा अब अपराधी भी बन रहे हैं. सर्वेश जैसे न जाने कितने युवा ऑनलाइन गैंबलिंग गेम्स के एडिक्शन में आकर अपराध का रास्ता चुन सकते हैं. अगर इस पर समय रहते रोक न लगाई गई तो खामियाजा पूरी सोसायटी को भुगतना पड़ेगा.


प्रयागराज ब्यूरो । आजकल मोबाइल गेम्स के नाम पर गैंबलिंग गेम्स तेजी से बढ़ रहे हैं। इनका विज्ञापन टीवी पर भी देखा जा सकता है। फुटबाल, क्रिकेट, रमी आदि के नाम पर सैकड़ों ऐसे गेम खिलाए जा रहे हैं। जिनको एक बार खेलने के बाद आसानी से युवा और किशोर फंस जाते हैं। एक्सपट्र्स बताते हैं कि अक्सर टीनएजर्स और यंगस्टर्स मोबाइल पर पैसे कमाने के तरीकों को सर्च करते हैं। साफ्टवेयर कंपनियां ऐसे नंबरों को ट्रेस करके उनके पास ऐसे गैंबलिंग के आकर्षक विज्ञापन भेजने लगती हैं। जिसमें कम समय में लाखों-करोड़ों जीतने का लालच दिया जाता है। शुरुआत में होती है जीत, फिर देते हैं क्रेडिट


लालच में आकर एक बार गेम डाउनलोड करने के बाद इनके नोटिफिकेशंस आने लगते हैं। जैसे कोई पहली बार गेम खेलता है उसे ये कंपनियां कुछ पैसे जितवा देती हैं। जिससे एडिक्शन की शुरुआत होती है और प्लेयर धीरे धीरे जीतने के साथ हारने लगता है। लेकिन पुराने पैसे की चाह में वह बड़ी रकम का कर्जदार बन जाता है। फिर वह अपने दोस्तों और परिवार वालों से उधार पैसे मांगने लगता है। ऐसी गेमिंग कंपनियां अपने प्लेयर्स को कुछ क्रेडिट मनी भी उपलब्ध कराती हैं और एक बार अगर गेम से दूर जाने लगो तो तमाम नोटिफिकेशंस भेजकर फिर से आकर्षक ऑफर देने लगती हैं। एक साल से बढ़ गई है केसेज की संख्याकाल्विन अस्पताल के मनोरोग केंद्र में चार साल पहले मोबाइल एडिक्शन सेंटर चालू किया गया था। इस सेटर में पिछले एक साल से ऑनलाइन गैंबलिंग एडिक्शन के मामले अधिक आ रहे हैं। परिवार के लोग ऐसे एडिक्ट को लेकर आते हैं और उसे गेम्स से छुटकारा दिलवाने की गुहार लगाते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं ऐसे मरीजों की काउंसिलिंग की जाती है। वह कहते हैं कि बिहेवियर एडिक्शन उपचार के लिए मैन अप्रोच काउंसिलिंग की जाती है। यह एक काग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी है। इसमें ऐसे मरीजों का डेली रूटीन चार्ट बनाया जाता है। जिसके अनुसार उन्हें दिनचर्या रखनी होती है और बिना दवा उनको ठीक करने की कोशिश की जाती है।

1- पेशे से डॉक्टर नवीन कुमार (बदला हुआ नाम) की पत्नी उन्हें चार माह पहले मोबाइल एडिक्शन केंद्र में लेकर आई थीं। उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब को ऑनलाइन जुएं की बुरी लत लग गई है। जब भी कोई मैच आता है या टूर्नामेंट चलता है तो यह 60 से 70 हजार रुपए हार जाते हैं। कभी कभी इससे अधिक भी चला जाता है। इससे पूरा घर परेशान है। फिलहाल मनोरोग केंद्र में उनकी काउंसिलिंग चल रही है।2- सोरांव निवासी 29 साल का इंजीनियर जितेंद्र कुमार (बदला हुआ नाम) को छह माह पहले ऑनलाइन गैंबलिंग गेम खेलने की आदत हो गई। इस आदत के चलत उस पर लाखों रुपए उधार हो गए। उधारी से डरकर वह घर पर छिप गया। नौकरी भी नही जाता था। जब माता-पिता को इसकी भनक लगी तो उसे मोबाइल एडिक्शन केंद्र में लेकर आए। फिलहाल वह भी अंडर ट्रीटमेंट है।3- सिविल लाइंस के एक कांवेंट स्कूल में पढऩे वाला कक्षा बारह का छात्र इमरान (बदला हुआ नाम) को भी ऑनलाइन जुएं खिलाने वाले गेम की आदत लग गई। पहले तो उसने दोस्तों से उधार मांगा और फिर उसने घर से पैसे चुराने शुरू कर दिए। जब इसकी जानकारी हुई तो पैरेंट्स उसे डॉक्टर के पास लेकर गए। काउंसिलिंग के बाद उसकी आदत में कुछ सुधार आया है।ऐसे होगा बचाव- एडिक्ट को मोबाइल चलाने के बजाय दूसरी एक्टिविटी में बिजी रखें।- अगर घर का कोई बच्चा एडिक्ट है तो उसके मोबाइल पर निगरानी ऐप लगा दीजिए।- एडिक्ट को जुएं से होने वाले नुकसान के बारे में बताइए।- मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग कराकर संबंधित को उचित परामर्श दिलवाइए।

- अगर मरीज के पास अचानक से अधिक पैसे आ गए हैं तो इसका कारण पता कीजिए। कहीं ऑनलाइन जुएं से तो उसने नही यह रकम जीती है।वर्जनपिछले एक साल में मोबाइल एडिक्शन केंद्र में ऐसे केसेज बढ़े हैं। टीवी और मोबाइल पर बड़ी सेलिब्रिटीज ऐसे गैंबलिंग गेम्स का विज्ञापन कर रही है। इससे लोगो में आकर्षण पैदा होता है। यह कंपनियां शुरुआत में जीतने देती हैं लेकिन बाद में लाखों का उधार हो जाता है जिससे एडिक्ट अपराधियों से हरकतें करने लगते हैं।डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सकइस तरह के केसेज सामने आ रहे हैं। हमने ट्रेस किए हैं और एडिक्ट के माता-पिता को समझाने की कोशिश की है। बच्चों को बहुत हाईटेक मोबाइल न दें और उसके फोन की साफ्टवेयर के जरिए निगरानी करें। अगर ध्यान नही देंगे तो भविष्य में चोरी, किडनैपिंग, आनलाइन फ्राड या दूसरी घटनाओं में इनवाल्व हो सकता है।राजीव तिवारी, साइबर क्राइम थाना प्रभारी

Posted By: Inextlive