देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को बच्चे प्रिय थे. प्रयागराज में पंडित नेहरू ने जन्म लिया था तो सोमवार को बाल दिवस मनाने की तैयारी भी पूरे जोर शोर से है. आज के दौर के बच्चे अपनी पहचान की बदौलत अपने परिवार का नाम रौशन कर रहे हैं. उनके चाचा नेहरू अब इस दुनियां में दुलारने के लिए नहीं है लेकिन सपोर्ट करने वाले लोग जरूर हैं जो चाहते हैं कि बच्चे सफलता की नई इबारत लिखें. यह वे बच्चे हैं जो मुकाम तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. उमर में ये कच्चे हैं लेकिन धुन के पक्के हैं. लक्ष्य सिर्फ एक है कि ऐसा मुकाम हासिल किया जाय जो मिसाल बन जाय. परिवार स्कूल ही नहीं देश और प्रदेश को भी उन पर नाज हो. इस बाल दिवस पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट कुछ ऐसे ही बच्चों की कहानी सामने लेकर आ रहा है...

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यह कहानी है शंकरघाट कालोनी शनि मंदिर के पास रहने वाली शैलजा यादव और उनकी छोटी बहन विष्णुप्रिया है। दोनों एसएमपीपीएस की छात्रा हैं। मां कमला यादव हाउस वाइफ हैं और पिता प्रभात कुमार बिजली विभाग में एसडीओ के पद पर तैनात हैं। शैलजा की उम्र अभी 13 साल ही है। वह नौवीं की छात्रा हैं। विष्णुप्रिया 7वीं की छात्रा हैं। दोनो ने घर के बगल में स्थित राइफल शूटिंग एकेडमी को शौकिया ज्वाइन किया था। शैलजा और विष्णुप्रिया दोनों ने ठान लिया है कि अब इस फील्ड में भी कॅरियर आप्च्युनिटी तलाशनी है। सिर्फ दो साल में शैलजा नेशनल चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं। वह 10 मीटर निशानेबाजी की स्र्पधा में भाग लेंगी। शैलजा की मां बताती हैं कि बचपन से ही बेटी को हथियारों का शौक था। खिलौने के नाम पर वह तलवार और बंदूक की पसंद करती थी। अब बच्ची इसमें कॅरियर बनाने के लिए निकल पड़ी है तो उसे पूरा सपोर्ट है ताकि वह लक्ष्य तक पहुंच सके।

17 मिनट में पार कर लिया यमुना
बच्चे किस हद तक जुनूनी हो सकते हैं, इसकी मिसाल है पंखुरी गुप्ता। उनके पिता आकाश केसरवानी बताते हैं कि बेटी को तैराकी का शौक था तो समर कैंप के लिए बोट क्लब पर ले गये थे। वहां के कोच त्रिभुवन निषाद ने बच्ची को ट्रेंड किया करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के भीतर ही वह यमुना की लहरों से खेलने लग गयी। पिछले दिनो उसने सिर्फ 17 मिनट में उसने यमुना नदी का एक से दूसरा छोर नाप दिया। नदी का दायरा यहां पांच सौ मीटर से अधिक बताया गया है। एक बार में उसके यह करिश्मा कर दिखाया है। पिता आकाश केसरवानी का कहना है कि अभी उसी उम्र सिर्फ दस साल है तो किसी बड़ी प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं ले सकती है। उन्होंने प्रयागराज में प्रोफेशनल तैयारी के लिए स्वीमिंग पूल की कम संख्या बताते हुए कहा कि प्राइवेट पुल में प्रैक्टिस करना बेहद महंगा है। इसके बाद भी वह बच्ची को बड़े मुकाम तक पहुंचाने में पूरी मदद करेंगे।

जूडो को बनाया पैशन, हासिल किया ब्लैक बेल्ट

यह कहानी है प्रियंका त्रिपाठी की। उन्हें जूडो में किस्मत आजमाने का जुनून है। उनकी अब तक उपलब्धि भी इस दिशा में बेहतरीन है। इंटरनेशनल ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुकी हैं। एसएमपीपीएस में पढ़ाई कर रही प्रियंका बताती हैं कि वह जूडो एसोसिशन की तरफ से मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं। पिछले दिनों हुए ओपन डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट में वह गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं। इसी 17 नवंबर को उन्हें स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करना है। 14 से 16 एज ग्रुप में खेलने वाली प्रियंका को इसी साल मुंबई में होने वाले ब्लैक बेल्ट होल्डर्स के कैंप में भी पार्टिसिपेट करना है। इसकी तैयारियों में भी वह लगी हुई हैं। वह देहरादून में नेशनल भी खेल चुकी हैं।

मैराथन जीतने की जिंद
उमर अभी इतनी नहीं है कि वह मैराथन जैसे इवेंट में पार्ट ले सके। लेकिन, जुनून ऐसा है कि आठ साल की उमर में उन्होंने इंदिरा मैराथन की दौड़ पूरी कर डाली। कम उमर के चलते उन्हें मैराथन में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं मिली तो कोच के नाम पर रजिस्ट्रेशन हुआ और वह उन्हीं के साथ पूरा दौड़ी। मूल रूप से मांडा एरिया की रहने वाली काजल जुनून की इतनी पक्की हैं कि इसी साल गर्मी में उन्होंने प्रयागराज से लखनऊ तक दौड़ते हुए जाने का फैसला लिया। उनके जुनून का प्रदेश सरकार के मुखिया ने भी स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर काजल का स्वागत किया और वाद किया कि वह बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे ताकि वह लक्ष्य हासिल कर सके।

Posted By: Inextlive