एप पर ओके, चूके तो खा जाएंगे 'धोखाÓ
प्रयागराज (ब्यूरो)। अगर आप भी सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहने की जरूरत है। टू व्हीलर हो या फिर फोर व्हीलर खरीदने में आप अधिक पैसे न चुका दें, इस हिसाब से यूज्ड गाड़ी की स्थिति, उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, विक्रेता की मालिकाना स्थिति आदि महत्वपूर्ण है। क्योंकि इन दिनों प्रयागराज जिले में एक हफ्ते के अंतराल तीन अलग-अलग थानों से 34 चोरी की बाइक मिल चुकी है। इन सभी बाइकों पर नंबर प्लेट लगे हुए हैं लेकिन ज्यादातर बाइक के नंबर मिसिंग है। आठ-दस बाइक पर जो नंबर पढऩे में आए उसे दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने परिवहन एप के जरिए चेक किया। नंबर के हिसाब से बाइक बिल्कुल सही दिखा। अब सवाल है कि अगर सबकुछ ओके दिखा रहा है तो चोरी की आखिर कैसे हुईं।
समझें क्या है 'खेलÓ
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पड़ताल के दौरान रिपोर्टर ने इस मुद्दे को लेकर आरटीओ के अधिकारी, स्टाफ और आरटीओ संबधित कार्य कराने वाले प्राइवेट लोगों से समझने की कोशिश की गई। इस दौरान जानकारी हुई कि बाइक के नंबर पर बहुत कुछ डिपेंड नहीं होता है। बाइक का असली मालिक कौन है। नंबर किसी भी बाइक का लिखवा लीजिए। जिनकी बाइक उसी मॉडल और कलर की हो। सेकेंड हैंड बाइक या कार सही पकड़ में इंजन व चेचिस नंबर से ही आती है। पड़ताल जब आगे बढ़ी तो आरसी नंबर पर लिखे कुछ फोन नंबर तक गलत मिले। यह तो साफ हो गया है कि यह नंबर पक्का किसी अन्य व्यक्ति के बाइक का ही है। सिविल लाइंस थाने में पकड़ी गई दो बाइक ऐसी दिखाई पड़ी। जिनकी कंडीशन काफी पुरानी थी। लेकिन परिवहन एप पर नंबर डालकर चेक करने पर दो साल पुरानी दिखी।
आपको जो व्यक्ति बाइक बेच रहा है उसके लिए जरूरी है कि वह पहले आपको बाइक की आरसी दे। अगर आप बाइक खरीद रहे हैं तो आप ध्यान से आरसी में लिखी डिटेल और बाइक की डिटेल को मिलाएं। मसलन आरसी में जो बाइक की चेसिस नंबर और इंजन नंबर है, बाइक की बॉडी और इंजन पर वही नंबर होना चाहिए। इसके साथ ही आरसी में यूज्ड बाइक के मालिक का नाम, टैक्स पेमेंट की स्थिति, और रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) आदि के बारे में भी लिखा होता है।
अगर आरसी बुक में बैंक की मुहर लगी है, या हाइपोथेटिकेशन में किसी बैंक.फाइनेंस कंपनी का जिक्र है तो इसका मतलब है कि उसे खरीदने के लिए लोन लिया गया था। इस स्थिति में आपको बाइक बेचने वाले व्यक्ति से फॉर्म 35 या बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना चाहिए। इसके बाद ही आप आरटीओ से बनने वाली नई क्रष्ट में बैंक लोन की एंट्री खत्म कर सकेंगे।
बीमा पॉलिसीयूज्ड वाहन के लिए भी बीमा पॉलिसी होनी जरूरी है। बिना बीमा के आपका वाहन आरटीओ में रजिस्टर नहीं होगा। अगर आप सेकेंड हैंड बाइक खरीद रहे हैं तो वाहन के पुराने मालिक से आपको बीमा पॉलिसी भी लेनी चाहिए। बाद में बीमा पॉलिसी वाहन बेचने वाले व्यक्ति की जगह उसके नए मालिक के नाम से ट्रांसफर हो जाएगी। अगर पुरानी बीमा पॉलिसी एक्सपायर हो गयी है तो वाहन खरीदने वाले व्यक्ति को नई आरसी के साथ या पुरानी आरसी के साथ ही बीमा पॉलिसी खरीदनी चाहिए।
बाइक बेचने वाले से फॉर्म 28, 29 और 30 लेना
फॉर्म 28 वास्तव में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है। अगर वाहन खरीदने वाला व्यक्ति इसे दूसरे राज्य में ले जाता है तो इसकी तीन कॉपी चाहिए। अगर बाइक उसी राज्य में रखना है तो इसकी जरूरत नहीं है। फॉर्म 29 वाहन का मालिकाना हक ट्रांसफर करने का आवेदन है। इसकी दो कॉपी लेनी चाहिए। फॉर्म 30 किसी मोटर वाहन के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने का रिपोर्ट है। इसकी एक कॉपी चाहिए।