अब हत्या की धारा 302 की जगह 103 की जाएगी. धारा की संख्या में ये परिवर्तन नई व्यवस्था के तहत किया गया है.

प्रयागराज ब्यूरो । । अब हत्या की धारा 302 की जगह 103 की जाएगी। धारा की संख्या में ये परिवर्तन नई व्यवस्था के तहत किया गया है। जिसमें अब थानों में मुकदमें आईपीसी की धाराओं के बजाय भारतीय न्याय संहिता की धारा के तहत दर्ज किए जाएंगे। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। यहां तक कि प्रयागराज में इंस्पेक्टर से लेकर सिपाहियों तक को भारतीय न्याय संहिता की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है।

एक जुलाई से लागू होगी भारतीय न्याय संहिता
नई संहिता में धाराओं की संख्या में कर दिया गया है परिवर्तन
इंस्पेक्टर से लेकर सिपाहियों तक को दे दी गई है ट्रेनिंग
एक जुलाई से होगा परिवर्तन

अभी तक आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज किया जाता रहा है। मगर एक जुलाई थानों में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाएगा। पुलिस विभाग के जानकारों का कहना है कि नई भारतीय न्याय संहिता में कई ऐसे व्यवहारिक परिवर्तन किए गए हैं, जिसका फायदा पुलिस को विवेचना में मिलेगा, साथ ही पीडि़त पक्ष को भी मदद मिलेगी। अपराधियों के लिए मुश्किल बढ़ेगी।


अब ऐसे होंगी धाराएं
आईपीसी भारतीय न्याय संहिता
302 हत्या 103
307 हत्या का प्रयास 109
323 मारपीट 115
354 छेड़छाड़ 74
354 ए शारीरिक स्पर्श, अश्लीलता 75
354 बी शारीरिक संपर्क 76
354 सी ताकझांक करना 77
354 डी पीछा करना 78
363 नाबालिग का अपहरण 139
376 रेप करना 64
392 लूट करना 309
420 धोखधड़ी 318
506 जान से मारने की धमकी 351
304 ए उपेक्षाद्वारामृत्युकारितकरना 106
304 बी दहेज हत्या 80
306 आत्महत्या के लिए उकसाना 108
309 आत्महत्या का प्रयास करना 226
286 विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण 287
294 गाली देना या गलत इशारा करना 296
509 लज्जा भंग करना 79
324 जानबूझकर चोट पहुंचाना 118(1)
325 गंभीर चोट पहुंचाना 118 (2)
326 आयुधों द्वारा हमला 118 (3)
353 लोकसेवक को डरा कर रोकना 121
336 दूसरे के जीवन को खतरा पहुंचाना 125
337 मान जीवन को खतरे वाली चोट पहुंचाना 125 (ए)
338 मानव जीवन को खतरे वाली गंभीर चोट देना 125 (बी)
341 किसी को जबरन रोकना 126
284 विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण 286
290 अन्यथा अनुपबंधित मामलों में लोक बाधा दंड 292
447 आपराधिक अतिचार 329 (3)
448 गृह अतिचार के लिए दंड 329
(4)
382 चोरी के लिए मृत्यु क्षति 304
494 दूसरा विवाह करना 82
498 ए पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता 85


एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत थानों में केस दर्ज किए जाएंगे। इसके लिए जिले में सभी इंस्पेक्टर, दारोगा, हेड कांस्टेबिल और कांस्टेबिल को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं में ऐसा परिवर्तन किया गया है, जिससे पुलिस को विवेचना में सहयोग मिलेगा।
श्वेताभ पांडेय, एसीपी सिविल लाइंस


आईपीसी की कई धाराओं में अपराधियों को विवेचना स्तर में चूक से लाभ मिल जाता था, मगर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में विवेचना स्तर पर पुलिस को काफी सहयोग मिलेगा। जिससे अपराधियों के लिए मुश्किल बढ़ेगी। इसका फायदा पीडि़त पक्ष को मिलेगा।
लालजी शुक्ला, पूर्व आईपीएस


समझने में अभी लगेगा वक्ता
आईपीसी की धाराओं में लंबे समय तक कानून व्यवस्था में काम हुआ। मौजूदा समय में कई व्यवहारिक समस्याओं का समाधान नई भारतीय न्याय संहिता में समायोजित किया गया है। जिसका समाधान आईपीसी की धाराओं में मिलना काफी कठिन होता था। नई भारतीय न्याय संहिता को समझने में अधिवक्ताओं को कुछ समय जरुर लगेगा, मगर व्यवहारिक रूप से नई भारतीय न्याय संहिता आसान है। जिससे अधिवक्ताओं को कोर्ट में अपना पक्ष रखने में आसानी होगी। साथ ही पीडि़त पक्ष को भी फायदा होगा। नई भारतीय न्याय संहिता से अपराधियों के लिए मुश्किल बढ़ेगी।
वशिष्ठ तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट

Posted By: Inextlive