अब ब्लैक फंगस की दवा मार्केट से गायब
अब अम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की शुरू हुई कालाबाजारी
पैसा जमा करने के अगले दिन इंजेक्शन देने की दुकानदार कर रहे बात आपदा में अवसर खोज रहे लोगों की काली नजर अब ब्लैक फंगस की दवाओं पर पड़ गई है। अम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। कोरोना के नए लक्षण ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली अम्फोटेरिसिन बी नामक इंजेक्शन बाजार से गायब हो चुके हैं। इंजेक्शन का आर्डर देने के बाद अगले दिन देने की दुकानदार बात कर रहे हैं। अधिकतम सात हजार रुपये में मिलने वाले इंजेक्शन की कीमत भी बढ़ा दी गयी है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में शहर के अधिकांश मेडिकल दुकानों से इंजेक्शन गायब मिले। 12 हजार रुपये बता रहे कीमतब्लैक फंगस के इलाज में कारगर इंजेक्शन अम्फोटेरिसिन बी और लाइपोसोमल की बाजार में कीमत 7 हजार रुपए तक है। मरीज का करीब 6 हफ्ते इलाज चलता है। तब इसकी एक डोज रोजाना मरीज को देनी पड़ जाती है। दवा कारोबारियों का कहना है कि पहले इस बीमारी के एक-दो केस भी मिलना बड़ा मुश्किल होता था लेकिन अब इसके इलाज के लिए संबंधित की इंजेक्शन डिमांड बढ़ने लगी है। ज्यादातर बड़े दुकानदार भविष्य में इसकी मांग को देखते हुए स्टोर करने लगे हैं। अगर यही आलम रहा तो आने वाले समय में बीमारी बढ़ने के साथ इसकी दवाओं की भी किल्लत शुरू हो जाएगी। जैसा कि पहले रेमडेसिविर और आक्सीजन सिलेंडर के साथ हो चुका है।
कोरोना की अन्य दवाइयों की भी है कमी ब्लैक फंगस के साथ कोरोना की अन्य दवाइयों की भी बाजार में कमी है। दवा कारोबारियों का कहना है कि पैरासिटामाल, आईवर मैक्टिन, फेबीफ्लू, डेक्सा, एंटीवायरल, जिंकोविट, एजिथरोल समेत पैंटोप आदि की भी शार्टेज बनी हुई है। मांग बढ़ने से बाजार में ऑक्सीमीटर, फ्लोमीटर और स्टीमर आदि की भी शॉर्टेज चल रही है। बाजार में लाइपोसोमल अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन शार्ट हो गए हैं। इसकी डिमांड बढ़ी है पहले इसकी डिमांड बिलकुल जीरो थी। इन इंजेक्शन की कीमत ज्यादा होने से इसे कोई स्टाक नहीं रखना चाहता। मीटिंग चल रही है। शायद यह भी आने वाले वक्त में ड्रग डिपार्टमेंट के अंडर में रहेगा। राणा चावला अध्यक्ष, प्रयाग केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (फुटकर) एसोसिएशनइंजेक्शन होलसेल बाजार में शॉर्ट हो गया है। ऑनलाइन कुछ दिनों तक बिक रहा था। अब वहां से भी शॉर्ट है। इसकी पूíत कब होगी यह भी नहीं कहा जा सकता है। ऊपर से ही सप्लाई प्रभावित है। दवाइयों के साथ उपकरणों की भी शॉर्टेज है। जितनी डिमांड है उतना स्टॉक उपलब्ध नहीं है।
धर्मेंद्र द्विवेदी, महामंत्री प्रयाग केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (फुटकर) एसोसिएशन