हॉफ भी नहीं फ्रंट लाइन, पब्लिक का अभी नो चांस
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हजार कुल हेल्थ वर्कर जिनको लगनी है वैक्सीन 23 हजार 300 हेल्थ वर्कर को ही अभी लगी वैक्सीन 27 हजार फ्रंट लाइन के लोगों का होना है वैक्सीनेशन 11 हजार फ्रंट लाइन के लोगों को अभी तक लगी वैक्सीन 11 फरवरी को 3068 लोगों को जिलेभर में विभाग द्वारा वैक्सीन लगाई गई 12 फरवरी को जिले में कुल पांच हजार 848 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ फ्रंट लाइन के फिक्स टारगेट का आधा भी नहीं पहुंचा अब तक का वैक्सीनेशनPRAYAGRAJ: कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन की जरूरत हर किसी को है। शुरुआती दौर में हेल्थ वर्कर व फ्रंट लाइन के लोगों को इसे लगाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। जिले में वैक्सीनेशन के लिए विभागवार टारगेट फिक्स किए गए हैं। जिले में लगाई जा रही वैक्सीन का काम कच्छप गति से चल रहा है। यही वजह है कि फ्रंट लाइन के लोगों को अब तक फिक्स किए गए टारगेट में आधे को भी वैक्सीन नहीं लग सकी। इस तरह इन खास लोगों को वैक्सीन लगने के बाद आम पब्लिक को लगाया जाना है। यदि इसी सुस्ती के साथ काम चला तो वैक्सीनेशन के लिए पब्लिक का नंबर कब आएगा? फिलहाल यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।
यह सुस्ती अच्छी नहीं साहबपुलिस और स्वास्थ्य विभाग एवं सफाई कर्मचारियों की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही। लॉकडाउन में सबसे आगे आकर इन लोगों ने मौत से लड़कर पब्लिक को बचाने की कोशिश की। शायद यही वजह है कि कोरोना वैक्सीन आई तो सबसे पहले इन्हीं को उसे लगाने का निर्णय हुआ। प्लान के तहत सर्वाधिक करीब 31 हजार स्वास्थ्य कर्मचारियों को वैक्सीन लगाए जाने का टारगेट फिक्स किया गया। इनमें से अब तक महज 23 हजार 300 हेल्थ वर्करों को ही यह वैक्सीन लगाई जा सकी है। यानी सात हजार 700 स्वास्थ्य कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें यह वैक्सीन लगाई जानी है। वहीं फ्रंट लाइन के 27 हजार लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाए जाने का टारगेट बताया गया। विभागीय आंकड़ों पर यकीन करें तो अब तक इनमें से महज 11 हजार लोगों को ही यह वैक्सीन लगाई गई। महकमें से जुड़े सूत्रों की मानें तो वैक्सीन लगवाने में सबसे कम संख्या पुलिस के जवानों की है।
समझिए क्या है फ्रंट लाइनसरकारी विभाग में फ्रंट लाइन सिर्फ दो शब्द नहीं हैं। इन दो शब्दों में हजारों लोग व कई विभाग शामिल किए गए हैं। फ्रंट लाइन में पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम के कर्मचारी व अधिकारी सहित सफाई कर्मी आदि शामिल हैं। इस तरह कई विभाग को मिला कर एक नाम दिया गया फ्रंट लाइन। इस लाइन से जुड़े कुल 27 हजार लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का फिलहाल लक्ष्य रखा गया है। इनमें से अब तक महज 11 हजार लोग ही इससे लाभान्वित हो सके हैं।
ऐसे सब को नहीं लग जाती वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग से जुड़े जिम्मेदार दबी जुबान यह बताते हैं कि यह वैक्सीन उन्हीं को लगाई जा रही है जिनके मोबाइल पर मैसेज पहुंचते हैं। फ्रंट लाइन में शामिल सभी विभाग ने अपने यहां के कर्मचारियों व अफसरों का पूरा ब्योरा ऑनलाइन अपलोड कर रखे हैं। इनमें से जिसे वैक्सीन लगाई जानी होती है उनके मोबाइल पर एक या दो दिन पहले मैसेज भेजे जाते हैं। मैसेज में किस हॉस्पिटल में और कितने बजे वैक्सीन लगाई जाएगी यह सारा ब्योरा लिखा होता है। सूचना व बताए गए स्थान पर पहुंच कर मोबाइल पर प्राप्त सूचना दिखाते हुए लोगों को वैक्सीन लगवाने होते हैं। बगैर मैसेज दिखाए या मैसेज पहुंचे किसी को भी यह वैक्सीन नहीं लगाने की परमीशन नहीं है वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले भर में कुल 24 सेंटर बनाए गए हैं, इन सेंटरों पर 37 सेसन हैं जहां वैक्सीन लगाई जाती हैव्यस्तता की वजह से नहीं हो पा रहा वैक्सीनेशन
पुलिस के ज्यादातर जवानों को ड्यूटी से नहीं मिल पा रही फुर्सत बहुत से जवान बिजी शिड्यूल की वजह से नहीं देख पाते मैसेज 11 व 12 फरवरी को होने वाले वैक्सीनेशन में ज्यादातर पुलिसकर्मियों की लगी थी स्नान की वजह से ड्यूटी कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के कुछ नियम हैं। जिनके पास मैसेज पहुंचता है उन्हीं को वह भी बताए गए सेंटर पर मैसेज दिखाने के बाद वैक्सीन लगाई जाती है। हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन के लोगों का टारगेट फिक्स है। फ्रंट लाइन के लोगों के आने की संख्या कम है। मैसेज तो उनके पास जाते ही होंगे। सत्येंद्र राय, एसीएमओ